नई दिल्ली: लोकसभा ने गुरुवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल पारित कर दिया. यह बिल यूपीए सरकार के दौर के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की जगह लाए जाने के लिए है.
नए बिल का जोरदार बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सालों में महात्मा गांधी की “हत्या” की है.
चौहान के मुताबिक, गांधी आज भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की सभी योजनाओं में जीवित हैं—जैसे गरीबों के लिए बने चार करोड़ घर, महिलाओं को दिए गए 10 करोड़ एलपीजी गैस कनेक्शन, स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने 11 करोड़ शौचालय, घरों तक पहुंचाए गए 14 करोड़ नल, आदि.
ग्रामीण विकास और कृषि मंत्री ने कहा, “बापू हमारी श्रद्धा हैं, हमारे आदर्श हैं, प्रेरणा हैं, हमारा विश्वास हैं.”
विपक्ष और एक्टिविस्ट ने नए कानून की कड़ी आलोचना की है क्योंकि यह MGNREGA के डिमांड-ड्रिवन फ्रेमवर्क को उलट रहा है, इसकी यूनिवर्सलिटी को खत्म कर रहा है, फैसले लेने की प्रक्रिया को सेंट्रलाइज़ कर रहा है और राज्य सरकारों पर फाइनेंशियल बोझ बढ़ा रहा है.
गांधी पर कांग्रेस की “दोहरी भाषा” पर हमला बोलते हुए चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने कभी बापू की शिक्षाओं की परवाह नहीं की.
उन्होंने कहा कि 1947 में आज़ादी के बाद गांधी चाहते थे कि कांग्रेस को भंग कर दिया जाए. लेकिन सत्ता से चिपके रहने के लिए, उनके मुताबिक, जवाहरलाल नेहरू ने उनकी सलाह नहीं मानी और पहली बार उनके सिद्धांतों की “हत्या” की.
चौहान ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने भारत के विभाजन पर सहमति देकर गांधी की “हत्या” की. उन्होंने कहा कि कश्मीर को विशेष दर्जा देने और इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाने के दौरान भी गांधी के सिद्धांतों की हत्या की गई.
विपक्ष गांधी का नाम नई योजना से हटाए जाने पर “शोर-शराबा” कर रहा है, जबकि चौहान का दावा है कि यूपीए सरकार ने 2009 के चुनाव से पहले सिर्फ वोट पाने के लिए NREGA में गांधी का नाम जोड़ा था.
उन्होंने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद इस योजना को सही तरीके से लागू वास्तव में मोदी सरकार ने ही किया.
कांग्रेस को “पाखंडी” बताते हुए चौहान ने कहा कि 2006-07 से 2013-14 के बीच योजना के तहत 1,660 करोड़ मानव-दिवस रोजगार दिया गया. यह आंकड़ा मोदी सरकार के दौरान बढ़कर 3,210 करोड़ मानव-दिवस हो गया. यूपीए ने इस योजना पर 2.13 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि मोदी सरकार के समय यह बढ़कर 8.53 लाख करोड़ रुपये हो गया.
महामारी के दौरान 2020-21 और 2021-22 में केंद्र सरकार ने MGNREGS के लिए बजट आवंटन रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा दिया—क्रमशः लगभग 1.10 लाख करोड़ रुपये और 96,000 करोड़ रुपये—ताकि लॉकडाउन और शहरों में नौकरी जाने के बाद गांव लौटे मजदूरों की भारी मांग को पूरा किया जा सके.
चौहान ने कहा कि महिला रोजगार 48 प्रतिशत से बढ़कर 56 प्रतिशत हो गया है.
विपक्ष की ओर से ‘वी वांट MGNREGA’ के नारे लगाए जाने के बीच चौहान ने दावा किया कि इस योजना को भ्रष्टाचार से भर दिया गया था, इसलिए इसमें बदलाव जरूरी था.
उन्होंने कहा, “राज्यों के बीच फंड का बंटवारा असमान था. सभी को बराबर हिस्सा देना जरूरी था.” योजना के तहत 60 प्रतिशत राशि मजदूरी के लिए और बाकी 40 प्रतिशत सामग्री के लिए थी. “क्योंकि मजदूरी का पैसा पूरी तरह केंद्र से आता है, इसलिए ज्यादा पैसा मजदूरी पर खर्च हुआ. कुछ राज्यों ने सामग्री पर 26 प्रतिशत खर्च किया, कुछ ने सिर्फ 19-20 प्रतिशत,” उन्होंने कहा. “MGNREGA पूरी तरह भ्रष्ट बना दी गई थी.”
उन्होंने यह भी कहा कि यूपीए ने बजट को 40,000 करोड़ रुपये से घटाकर 35,000 करोड़ रुपये कर दिया था. इसके उलट, मोदी सरकार ने इसे बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया. नई योजना के तहत 1,51,282 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिनमें से केंद्र अकेले 95,000 करोड़ रुपये देगा. चौहान ने कहा कि यह अंतिम आंकड़ा नहीं है और जरूरत पड़ने पर सरकार आवंटन बढ़ाएगी.
जब विपक्षी सांसद बिल की प्रतियां हवा में उछाल रहे थे, तब चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने इंदिरा गांधी के ‘गरीबी हटाओ’ नारे के तहत गरीबी नहीं हटाई, बल्कि गरीबों को ही हटा दिया.
उन्होंने कहा कि नई योजना पर बात करते हुए विपक्ष ने “बेकार में” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को चर्चा में घसीटा.
उन्होंने कहा, “मैं इस महान संसद में कहना चाहता हूं कि संघ व्यक्ति निर्माण में विश्वास करता है…अपने लिए नहीं, बल्कि अगर कोई संगठन समाज के लिए पूरी व्यवस्था खड़ी करता है, तो वह आरएसएस है.”
हिंदुत्व का जोरदार बचाव करते हुए चौहान ने कहा, “धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो—यह हिंदुत्व है.”
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