नई दिल्ली: लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ अपनी लड़ाई को स्पष्ट रूप से वैचारिक मोर्चे पर रखने वाली कांग्रेस ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इस संगठन की तारीफ करके “संसदीय, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का सीधा उल्लंघन” किया.
मुख्य विपक्षी पार्टी ने यह भी कहा कि मोदी के ये बयान RSS को खुश करने के इरादे से थे. कांग्रेस ने RSS को ऐसे संगठन के रूप में बताया जो “उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ने की विरासत नहीं बल्कि आम भारतीयों के बीच नफरत और विभाजन फैलाने की परंपरा” का प्रतीक है. पार्टी का कहना है कि मोदी 17 सितंबर के बाद, जब उनकी उम्र 75 साल होगी, अपने कार्यकाल की बढ़ोतरी के लिए RSS के समर्थन पर निर्भर हैं.
कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि पीएम के बयान स्वतंत्रता दिवस को “व्यक्तिगत और संगठनात्मक लाभ” के लिए राजनीतिक बनाने के बराबर हैं, जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हैं.
रमेश ने बयान में कहा, “आज पीएम के भाषण में सबसे चिंताजनक पहलू RSS का लाल किले की प्राचीर से नाम लेना था. 4 जून, 2024 की घटनाओं के बाद पूरी तरह कमजोर हो चुके पीएम अब RSS की दया पर हैं और सितंबर के बाद कार्यकाल बढ़ाने के लिए मोहन भागवत के समर्थन पर निर्भर हैं.”
रमेश मूल रूप से राहुल गांधी की राय दोहरा रहे थे, जिनका RSS पर गहरा आलोचनात्मक दृष्टिकोण कांग्रेस की आधिकारिक नीति का मुख्य आधार रहा है. राहुल अक्सर पार्टी की राजनीतिक लड़ाई को RSS के खिलाफ वैचारिक संघर्ष के रूप में पेश करते हैं, उनका कहना है कि यह संगठन भारत की सभ्यतावादी सोच के मूल सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत विचारधारा रखता है.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे लाल किले पर प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान मौजूद नहीं थे. 2024 में राहुल समारोह में शामिल हुए थे, लेकिन पीछे की सीट पर बैठे थे, जिससे विवाद खड़ा हुआ था.
खरगे ने भारी बारिश के बीच दिल्ली के कोटला मार्ग स्थित कांग्रेस मुख्यालय, इंदिरा भवन पर तिरंगा फहराया. राहुल भी बारिश के बीच समारोह में शामिल हुए. कांग्रेस की तरफ से लाल किले समारोह में राहुल और खरगे की गैरमौजूदगी पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.
अपने भाषण में, खरगे ने पार्टी की कथित मतदाता सूची धोखाधड़ी के खिलाफ चल रही मुहिम का ज़िक्र करते हुए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील की कि बूथ स्तर पर चुनावी सूचियों को प्राप्त कर उन्हें ध्यान से जांचें.
उन्होंने कहा, “देखें कितने नाम हटाए गए हैं, कितने मृत घोषित किए गए हैं, या किसे जानबूझकर दूसरे बूथ में भेजा गया है. कितने बाहरी लोगों के नाम जोड़े जा रहे हैं? या वही वोटर आईडी कार्ड कई बार दर्ज किया गया है. एक नई समस्या सामने आई है: चुनाव के एक दिन पहले एक नई वोटर लिस्ट अतिरिक्त सूची के नाम पर भेज दी जाती है, जिसे उम्मीदवार समय की कमी के कारण जांच नहीं सकते.”
इस बीच, शुक्रवार को कांग्रेस ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की स्वतंत्रता दिवस पर सोशल मीडिया पोस्ट की भी तीखी आलोचना की, जिसमें महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह के साथ वीर सावरकर की तस्वीर भी थी.
पोस्ट में सावरकर की फोटो बाकी सभी के ऊपर रखी गई थी. कांग्रेस के लोकसभा मुख्य उपाध्यक्ष मैनिकम टैगोर ने एक्स पर लिखा, “चाहे कितनी भी कोशिश करें, मिस्टर मोदी, आप महात्मा, नेताजी और भगत सिंह को महावीर के नीचे नहीं धकेल सकते, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और मरे, उनके बलिदान का अपमान मत कीजिए और ब्रिटिश से माफी मांगने वालों को महिमामंडित मत कीजिए.”
टैगोर ने प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले के भाषण में RSS की तारीफ पर भी निशाना साधा. उन्होंने लिखा, “1925 में स्थापित RSS ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में सीधे भाग नहीं लिया. यह नागरिक अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अन्य बड़े विरोध से दूर रहा. इसके संस्थापक के.बी. हेडगवार ने 1925 से पहले कांग्रेस के विरोधों में भाग लिया था, लेकिन RSS बनने के बाद इसका ध्यान ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ पर चला गया, न कि औपनिवेशिक शक्ति का सामना करने पर.”
कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने भी मंत्रालय की सोशल मीडिया पोस्ट की कड़ी निंदा की. उन्होंने एक्स पर लिखा, “हर स्वतंत्रता दिवस पर मोदी नेतृत्व वाली भाजपा इतिहास को तोड़-मरोड़ कर दुश्मनों को हीरो बनाती है. महात्मा गांधी जैसे असाधारण नायक को पीछे डालकर और ब्रिटिश की कृपा मांगने वाले सावरकर को ऊपर उठाकर, पंडित नेहरू और सरदार पटेल को पूरी तरह हटा देना, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति उनका अपमान दिखाता है. ऐसे लोगों से और क्या उम्मीद की जा सकती है जिनके पूर्वज ब्रिटिश के साथ मिलकर हमारे बीच नफरत और विभाजन की जड़ें बोते रहे?”
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