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Wednesday, 20 November, 2024
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कांग्रेस आप को नहीं मानती विश्वासपात्र, इसलिए नहीं हो सका गठबंधन

आखिरी समय तक कांग्रेस को मनाते रहे आप के नेता, नहीं बनी बात तो दिल्ली की छह सीटों पर अकेले ही मैदान में उतरे. कांग्रेस से अभी भी बातचीत को तैयार.

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नई दिल्ली: दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की छह लोकसभा सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला किया है. शनिवार को पार्टी कार्यालय में इसकी घोषणा की गई पार्टी ने नई दिल्ली सीट से ब्रजेश गोयल, पूर्वी दिल्ली सीट से आतिशी, उत्तर पूर्वी दिल्ली से दिलीप पांडे, दक्षिणी दिल्ली से राघव चड्ढा, चांदनी चौक से पंकज गुप्ता और उत्तरी पश्चिम दिल्ली से गुग्गन सिंह को मैदान में उतारा है. पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा कि अभी पश्चिमी दिल्ली से उम्मीदवार तय नहीं किया गया है, नाम तय होने पर इसकी घोषणा की जाएगी.

शीला का था दबाव अकेले ही उतरें दिल्ली के रण में

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद शीला दीक्षित बहुत ही प्रभावी तरीके से पार्टी में काम-काज देख रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री पहले से ही तैयार थीं कि दिल्ली की सातों सीटों पर पार्टी अकेले ही मैदान में उतरेगी, इसके लिए वह पार्टी के आला अधिकारियों को संकेत भी दे चुकी थीं, वहीं इस बारें में वह केंद्रीय नेतृत्व से पहले ही कई दौर की बातचीत कर चुकी थी. इसके इतर, पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ मैदान में उतरने को लेकर लगातार दबाव बना रहे थे.
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आप पार्टी के उम्मीदवारों की सूची
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार शुक्रवार सुबह शीला दीक्षित के निवास पर प्रदेश कांग्रेस के तीनों कार्यकारी अध्यक्ष सहित प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता जिसमें हारून यूसुफ, देवेंद्र यादव, राजेश लिलोठिया, सुभाष चोपड़ा, अरविंदर सिंह लवली, जय प्रकाश अग्रवाल बैठक में मौजूद थे. इस बैठक में सभी ने एक स्वर में लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी से गठबंधन करने से इंकार कर दिया. सभी का एक स्वर में केवल यही कहना था कि आम आदमी पार्टी और उसके मुखिया अरविंद केजरवील भरोसेमंद नहीं है. इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस ने भी अपने निर्णय को दिल्ली प्रदेश प्रभारी औेर संगठन को अवगत करवा दिया था.

साथ लड़ते तो विधानसभा में होती दिक्क्त

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लोकसभा चुनाव अगर साथ में लड़ते तो आम चुनाव के कुछ ही महीनों बाद दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जनता के बीच क्या लेकर जाती, जो पार्टी कांग्रेस को ही हराकर सत्ता में आई है. उसके साथ गठबंधन करना कांग्रेस की छवि को जनता के बीच नुकसान पहुंचा सकती थी. दोनों पार्टियों के गठबंधन पर भाजपा को एकबार फिर कांग्रेस को घेरने का अवसर भी मिल जाता. कांग्रेस ऐसा का मानना है कि हम अकेले पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेंगे, तो लोकसभा चुनाव में अच्छा परिणाम मिल सकता है.

दोनों दलों में सीटों को लेकर चल रहा था मंथन

आम आदमी पार्टी और दिल्ली कांग्रेस कमेटी के बीच बीते कई दौर से सातों लोकसभा सीटों को लेकर मंथन चल रहा था. आप 4:3 यानी आम आदमी पार्टी दिल्ली की चार सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी, और कांग्रेस को तीन सीट देने की योजना बना रही थी और इसी फॉर्मूेले पर दोनों के बीच घमासान चल रहा था. सीटों के बांटने को लेकर गुरूवार को कांग्रेस नेता अहमद पटेल, महासचिव  केसी वेणुगोपाल और दिल्ली कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीसी चाको भी मौजूद थे. सूत्रों की मानें तो तीन कांग्रेस और तीन आप और एक दोनों दलों के साझा उम्मीदवार पर सहमति बनी थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के सुझाए गए इस फार्मूेले पर प्रदेश कांग्रेस ने कोई हामी नहीं भरी थी, इससे कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया.

बयानों में ही लग रहा था संभव नहीं है गठबंधन

हाल ही में हुई एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिल्ली के सीएम और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि इस बार लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को सातों सीटें जीतीं, तो दो साल में दिल्ली को पूर्ण राज्य बनवा देंगे. वहीं दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष शीला दिक्षित ने प्रदेश चुनाव समिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल झूठ के प्रचार के बल पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, ऐसे में कांग्रेस दिल्ली की जागरूक जनता को केजरीवाल के फरेब और झूठ से अवगत करवाएंगे. वहीं आप की झूठ की नीतियों का भांडाफोड़ करेंगे. इन बयानों से ही लग रहा था कि दोनों दलों में गठबंधन की बातें भले ही ऊपरी स्तर पर चल रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत में यह संभव होता नहीं दिख रहा था.

साझा गठबंधन को लगा झटका

सभी दलों के हुए गठबंधन से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली में भी आप और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा अन्य राज्यों की तरह हो जाएगा. वहीं हाल ही में कई कार्यक्रमों में केजरीवाल और राहुल गांधी में नजदीकियां भी दिखाई दी थी, कई मौकों पर दोनों नेता एक साथ मंच पर नजर आए. मोदी सरकार की जमकर आलोचना भी की, कुछ दिनों पहले प्रेस चर्चा में केजरीवाल बोले थे कि हम दिल्ली में समझौते के लिए कांग्रेस को मना-मना कर थक गए हैं. लेकिन उन्होंने मना कर दिया है. अब दिल्ली की सात में से छह सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जाने के फैसले के बाद महागठबंधन को एक और झटका लगा है. अगर दोनों दलों में समझौता होता तो पंजाब, हरियाणा में भी सीटों का बंटवारा हो सकता था.

राहुल के इंकार पर हुआ निर्णय

आप नेता गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर वोटों का विभाजन नहीं हो, हम सब मिलकर चुनाव लड़ें, इसे लेकर हमने कई बार कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर प्रयास किए थे. दिल्ली में हाल ही में महागठबंधन के नेताओं की बैठक शरद पवार के घर पर हुई थी, इसमें आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में गठबंधन को लेकर चर्चा की तो उन्होंने मना कर दिया. उनका कहना था कि हमारी प्रदेश समितियां तैयार नहीं है, इसके चलते हमने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं.

कांग्रेस के प्रस्ताव पर विकल्प खुले है

गोपाल राय, म़ंत्री दिल्ली सरकार व आम पार्टी नेता ने कहा, ‘हमारे पास कांग्रेस से संपर्क के दो रास्ते थे, पहले हमें राहुल गांधी ने मना किया और शुक्रवार को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने गठबंधन की किसी भी संभावना से इंकार कर दिया. भविष्य में कांग्रेस की तरफ से कोई प्रस्ताव आता है तो हमने विकल्प खुले रखे हैं.’

मजबूती से उतरेंगे,विकल्प पर निर्णय हाईकमान का

कांग्रेस नेता हारून युसूफ ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘कांग्रेस पार्टी बहुत मजबूत है, हम पूरी तैयारी के साथ लोकसभा चुनाव में उतरेंगे.’
कांग्रेस से गठबंधन के मामले पर हारून ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी के लोग बोलते कुछ हैं और करते कुछ हैं.’ वहीं कांग्रेस के लिए विकल्प खुले होने की बात को लेकर उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्रीय नेतृत्व लेगा.

आप के दिल्ली लोकसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार

-चांदनी चौक से उम्मीदवार पंकज गुप्ता कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में काम कर चुके हैं. पार्टी की स्थापना से जुड़े हैं, राष्ट्रीय सचिव और पार्टी प्रवक्ता का दायित्व संभाल रहे हैं. वहीं राजनीतिक गतिविधियों की कमेटी के सदस्य भी रहे हैं. फिलहाल पार्टी की तरफ से चांदनी चौक के प्रभारी भी हैं.
-उत्तर पूर्वी दिल्ली उम्मीदवारी कर रहे दिलीप पांडे पार्टी संगठन में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. कई समाजिक संगठनों के माध्यम से गरीबों के लिए काम करते हैं. कई किताबें भी लिख चुके हैं.
-पूर्वी दिल्ली से पार्टी प्रत्याशी आतिशी पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों की कमिटी की सदस्य हैं. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया की शिक्षा सलाहाकार के रूप में उन्होंने बहुत काम किया है. पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर है.
-दक्षिणी दिल्ली से ताल ठोंक रहे राघव चड्ढा पेशे से सीए हैं. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया के वित्त सलाहकार के रूप में भी काम किया है.
-उत्तरी पश्चिमी दिल्ली से लोकसभा सीट से मैदान में उतरे गुग्गन सिंह ने इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस सेवा में 18 वर्ष काम किया है. किसानों के लिए कई आंदोलन में उनके हक की लड़ाई लड़ी वहीं बीएसपी के बुनकर समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे है. बवाना विधानसभा सीट से विधायक भी रहे हैं.
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