नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए 12 राज्यसभा सदस्यों के निलंबन की पृष्ठभूमि में मंगलवार को कहा कि संसद में जनता की बात उठाने के लिए माफी बिल्कुल नहीं मांगी जा सकती.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘किस बात की माफ़ी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं!’
किस बात की माफ़ी?
संसद में जनता की बात उठाने की?बिलकुल नहीं!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 30, 2021
इससे पहले, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि निलंबित किए गए राज्यसभा के 12 विपक्षी सदस्यों को ‘दुर्व्यवहार’ के लिए उच्च सदन के भीतर माफी मांगनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर ये सदस्य सभापति और सदन से माफी मांग लेते हैं तो फिर सरकार उनके प्रस्ताव (निलंबन रद्द करने के) पर सकारात्मक रूप से विचार करने के लिए तैयार है.
संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया.
उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कल इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी.
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं.
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