नई दिल्ली: पिछले हफ्ते तमिलनाडु राजभवन ने एक बयान जारी कर कहा था कि राज्यपाल आर.एन. रवि बिजली और आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी, जिन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, के कैबिनेट में बने रहने के लिए सहमत नहीं थे.
राजभवन ने एक बयान में कहा, “माननीय राज्यपाल वी. सेंथिल बालाजी को मंत्रिपरिषद में बतौर मंत्री बनाए रखने के लिए सहमत नहीं हैं, क्योंकि वह नैतिक अधमता के लिए आपराधिक कार्यवाही का सामना कर रहे हैं और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.”
यह बयान उस समय आया जब तमिलनाडु सरकार के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपने “बीमार स्वास्थ्य” का हवाला देते हुए सेंथिल को पोर्टफोलियो फिर से सौंप दिया. पिछले हफ्ते प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के तुरंत बाद सेंथिल बीमार हो गए थे और उन्हें दिल की बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई थी.
इसके बाद शुरू हुई जुबानी जंग में तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने राज्यपाल रवि पर “बीजेपी के एजेंट की तरह काम करने” का आरोप लगाया.
लेकिन यह राज्य की द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) सरकार और रवि के बीच पहला विवाद नहीं है, जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में कार्य किया है और तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने से पहले सितंबर 2021 तक नागालैंड के राज्यपाल थे.
उनकी नियुक्ति के लगभग दो वर्षों में विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी, राज्यपाल की विभिन्न विवादास्पद टिप्पणियों और यहां तक कि स्टालिन की मई में सिंगापुर की आधिकारिक यात्रा सहित कई मुद्दों पर ऐसे कई गतिरोध रहे हैं.
दिप्रिंट ने डीएमके सरकार के साथ रवि की विभिन्न अनबन पर एक नज़र डालने की कोशिश की है.
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सेंथिल की गिरफ्तारी, नीट विरोधी बिल
14 जून के शुरुआती घंटों में करूर के बाहुबली सेंथिल को 18 घंटे की पूछताछ के बाद कैश-फॉर-जॉब घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया और अंततः 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
ईडी के अनुसार, सेंथिल ने कथित तौर पर अपने कार्यालय का “दुरुपयोग” किया और 2014-15 में राज्य के परिवहन उपक्रमों में “इंजीनियर” नौकरी रैकेट घोटाला किया. यह मामला कथित रूप से तत्कालीन अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) सरकार में राज्य के परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल तक जाता है.
हालांकि, उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था और ट्रिपल वेसल डिजीज के लिए कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (CABG) सर्जरी की सलाह दी गई थी.
हालांकि, राज्यपाल रवि ने सेंथिल के विभागों को फिर से आवंटित करने के राज्य सरकार के कारण को खारिज कर दिया. उन्होंने वित्त और मानव संसाधन प्रबंधन मंत्री थंगम थेनारासु को बिजली और गैर-पारंपरिक ऊर्जा विकास और आवास और शहरी विकास मंत्री एस मुथुसामी को निषेध और उत्पाद शुल्क विभाग सौंपने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया.
डीएमके सरकार के साथ रवि के झगड़े, हालांकि, 2021 से पहले के हैं—राज्य में नियुक्त किए जाने के कुछ महीने पहले के.
जबकि सीएम स्टालिन, जिनकी सरकार केवल चार महीने पहले ही सत्ता में आई थी, ने उनकी नियुक्ति का स्वागत किया था, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (टीएनसीसी) और विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) जैसे सहयोगियों ने इसके पीछे “कोई और मकसद” देखा.
लेकिन जल्द ही, तनाव बढ़ने लगा. तमिलनाडु सरकार का राष्ट्रीय-विरोधी पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) विधेयक पहला विवादित मुद्दा बन गया. तमिलनाडु एडमिशन टू अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्स बिल, 2021 प्रदेश के स्टूडेंट्स को नीट से छूट देने का प्रयास करता है, ऑल इंडिया प्री-मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट जिसे तमिलनाडु ने लंबे समय से अपने पक्ष में एक कांटे के रूप में देखा है.
पहली बार तमिलनाडु विधानसभा में 13 सितंबर, 2021 को पारित ये बिल, उसी महीने राज्यपाल को उनकी सहमति के लिए भेजा गया था. जैसा कि आरोप है कि राज्यपाल नहीं मान रहे थे, उन्होंने 2022 में इस बिल वापस कर दिया. हालांकि, इसे फरवरी 2022 में विधानसभा द्वारा फिर से अपनाया गया.
इस विवाद के बीच रवि ने उस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में नीट परीक्षा की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा था, “नीट की शुरुआत से पहले सरकारी स्कूलों के छात्रों का सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटों का हिस्सा मुश्किल से 1 प्रतिशत था. सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण की सकारात्मक कार्रवाई के लिए धन्यवाद, उस संख्या में काफी सुधार हुआ है.”
डीएमके को वो भाषण अच्छा नहीं लगा—29 जनवरी को अपने मुखपत्र मुरासोली में पार्टी ने राज्यपाल के शब्दों की निंदा करते हुए कहा, “अगर रवि ने बड़े भाई के रवैये पर टिके रहकर राजनीति करने के बारे में सोचा, तो वे उनके लिए यह अच्छा होगा, की वो जल्दी समझ जाएं कि तमिलनाडु नागालैंड नहीं है.”
उस साल अप्रैल में यह मुद्दा एक बार फिर गरमा गया, जब सीएम स्टालिन और उनके मंत्रियों ने तमिल नववर्ष के अवसर पर रवि की ‘एट होम’ चाय पार्टी का बहिष्कार किया, जिसमें राज्य विधानसभा द्वारा पारित कई विधेयकों पर हस्ताक्षर करने में राज्यपाल की अनिच्छा का हवाला दिया गया था, जिसमें नीट-विरोधी बिल भी शामिल था.
लंबित बिलों का मुद्दा इस साल फिर से उठा — चार मई को तमिलनाडु के उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु ने कहा कि राज्यपाल को अभी तक 17 बिलों पर हस्ताक्षर करना बाकी है — सात पिछले सत्रों से और 10 अप्रैल में समाप्त हुए विधानसभा सत्र से.
लेकिन लंबित बिल राज्यपाल और डीएमके सरकार के बीच तनाव का एकमात्र कारण नहीं थे. अक्टूबर 2022 में कोयंबटूर में हुए कार विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिसके कारण राज्यपाल और डीएमके के बीच वाकयुद्ध भी हुआ था.
घटना के कुछ दिनों बाद, रवि ने मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपने में “देरी” पर सवाल उठाया — संघीय एजेंसी ने आतंकी मामलों की जांच करने का अधिकार है.
द हिंदू के मुताबिक, रवि ने जे.एस.एस. इंस्टीट्यूट नेचुरोपैथी एंड यौगिक सांइसेज़, अस्पताल में अपने संबोधन में कहा, “जिले में कुछ दिन पहले हुई घटना, एक बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने का प्रयास था…बाद में मिली विस्फोटक सामग्री की मात्रा और आईईडी बनाने वाले रसायन और सामग्री यह बताने के लिए काफी थे कि उन (आतंकवादियों) ने कईं हमलों की योजना बनाई थी. ” उन्होंने कहा, “सवाल यह है कि जब तमिलनाडु पुलिस को संदिग्ध घंटों के भीतर मिल गया, तो उसे एनआईए में लाने में चार दिन से अधिक समय क्यों लगा?”
अपनी प्रतिक्रिया में डीएमके सरकार ने दावा किया कि एनआईए हमेशा पुलिस जांच का हिस्सा रही है और राज्यपाल इस मुद्दे पर “राजनीति” कर रहे हैं.
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‘सनातन धर्म’ और ‘तमिझगम’
सनातन धर्म और तमिल संस्कृति पर रवि के विभिन्न विवादास्पद बयानों ने सत्ताधारी सरकार के साथ तनाव को और बढ़ा दिया है.
पिछले साल जून में चेन्नई में रामकृष्ण मिशन स्टूडेंट्स होम एंड रेजिडेंशियल हाई स्कूल में एक कार्यक्रम में रवि ने दावा किया था, “भारत की रीढ़ सनातन धर्म है और इस धर्म को भारत के व्यापक उत्थान के लिए उठना होगा”.
टिप्पणी पर डीएमके सहित राज्य के कई हिस्सों से गंभीर प्रतिक्रियाएं आईं, जिसे विपक्षी बीजेपी और इसके वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के तमिलनाडु में एजेंडे को आगे बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा गया.
डीएमके के कोषाध्यक्ष टी.आर. बालू ने एक बयान में दावा किया कि हालांकि, राज्यपाल अपने धार्मिक विश्वास के हकदार थे, उन्हें संवैधानिक अधिकार के रूप में “सनातन धर्म और वर्णाश्रम (वर्ण व्यवस्था)” का समर्थन करने से बचना चाहिए.
रवि ने इसी तरह इस साल जनवरी में डीएमके का गुस्सा झेला था, जब उन्होंने तमिलनाडु को “तमिझगम” कहा था.
संदर्भ के लिए तमिलनाडु का मूल अर्थ तमिल ‘भूमि’ है, जिसे अब ‘तमिल राष्ट्र’ के रूप में भी पढ़ा जाता है. दूसरी ओर, ‘तमिझगम’ का अर्थ तमिल लोगों का ‘निवास’ या ‘भूमि’ है और यह प्राचीन तमिल राष्ट्र का नाम था.
4 जनवरी को राजभवन में एक कार्यक्रम में रवि ने दावा किया कि तमिलनाडु में “एक अलग तरह का नैरेटिव तैयार किया गया है”.
उन्होंने अपने भाषण में कहा था, “जो पूरे देश के लिए लागू होगा, उसके लिए तमिलनाडु न करेगा. यह एक आदत बन गई है. इतने सारे शोध लिखे गए हैं — सब झूठी और घटिया कल्पना. इसे तोड़ा जाना चाहिए. सत्य की जीत होनी चाहिए. तमिझगम इसके लिए अधिक उपयुक्त शब्द है. बाकी देश ने लंबे समय तक विदेशियों के हाथों बहुत तबाही झेली.”
इसने भी न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि सोशल मीडिया पर भी तूफान खड़ा कर दिया, जहां हैशटैग #TamilNadu और #GetOutRavi ट्रेंड करने लगे.
कड़े शब्दों में जवाब देते हुए डीएमके ने कहा कि “आर्यन, द्रविड़ियन, थिरुकुरल और औपनिवेशिक शासन पर राज्यपाल की टिप्पणी निंदनीय और खतरनाक है”.
डीएमके ने एक बयान में कहा, “उनका उद्देश्य राज्य को वर्णाश्रम काल में वापस ले जाना है.” उन्होंने कहा है कि “पिछले 50 वर्षों में तमिलनाडु के लोगों को एक झूठी कहानी परोसी गई है. 50 साल बाद तमिलनाडु की तुलना में बिहार और उत्तर प्रदेश की क्या स्थिति है? भारत की जीडीपी में तमिलनाडु का योगदान 9.22 प्रतिशत है.”
इन आलोचनाओं के बावजूद, रवि ने राज्य को तमिझगम के रूप में संदर्भित करना जारी रखा — पोंगल समारोह के लिए राजभवन से एक आधिकारिक निमंत्रण में उन्हें तमिझगा आलुनार (तमिझगम के राज्यपाल) के रूप में संदर्भित किया गया.
लेकिन इस विवाद के शांत होने से पहले ही रवि ने खुद को एक और विवाद के बीच में पाया. साल के पहले विधानसभा सत्र की शुरुआत में रवि ने राज्य सरकार द्वारा उनके लिए तैयार किए गए भाषण के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया. इन छोड़े गए हिस्सों में अन्य बातों के अलावा, तमिलनाडु को “शांति का स्वर्ग” के रूप में संदर्भित किया गया था और राज्य के कुछ सबसे बड़े नेताओं जैसे ई.वी. रामासामी ‘पेरियार’, और पूर्व मुख्यमंत्रियों के. कामराज, सी.एन. अन्नादुराई, और एम. करुणानिधि के नाम लिए गए थे.
जैसा कि स्टालिन ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें जोर देकर कहा गया कि राज्यपाल ने तैयार भाषण को पूरा पढ़ा, राजभवन के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जो हिस्से छोड़े गए थे, वे ज्यादातर राज्य सरकार की प्रशंसा थे, न कि “तथ्यात्मक विवरण”.
इन “छोड़े गए हिस्सों” में महत्वपूर्ण डीएमके का शासन के “द्रविड़ मॉडल” का संदर्भ था.
स्टालिन की विदेश यात्रा
राज्यपाल और द्रमुक सरकार के बीच विवाद का ताजा बिंदु एम.के. स्टालिन की पिछले महीने सिंगापुर और जापान की यात्रा थी.
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार ने इस यात्रा के दौरान 3,000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि कंपनियों ने जनवरी 2024 में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में हिस्सा लेने की इच्छा जताई थी.
हालांकि, राज्यपाल रवि इससे असहमत रहे.
उन्होंने कहा, “निवेशक सिर्फ इसलिए नहीं आएंगे क्योंकि हम उनसे कहते हैं, या हम जाकर बात करते हैं.” उन्होंने कहा, इसके लिए राज्य को वैश्विक कॉर्पोरेट दिग्गजों को आकर्षित करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की ज़रूरत है.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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