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Thursday, 16 May, 2024
होमदेश‘हाथ चूमा, फोटो रखी’— तमिलनाडु के पूर्व DGP को IPS अधिकारी का यौन उत्पीड़न करने के लिए 3 साल की जेल

‘हाथ चूमा, फोटो रखी’— तमिलनाडु के पूर्व DGP को IPS अधिकारी का यौन उत्पीड़न करने के लिए 3 साल की जेल

2021 की शिकायत के अनुसार, तत्कालीन सीएम पलानीस्वामी के चुनावी कार्यक्रम में ड्यूटी के दौरान राजेश दास ने अधिकारी को परेशान किया. एक अन्य पुलिसकर्मी जिसने शिकायत दर्ज करने से ‘उन्हें रोकने की कोशिश’ की, उसे 500 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया.

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चेन्नई: निलंबित विशेष पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजेश दास को एक महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में शुक्रवार को दोषी ठहराया गया और तीन साल की जेल हुई.

विल्लुपुरम मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने दास को दो अलग-अलग धाराओं के तहत सजा सुनाई, जिसके लिए जेल की अवधि साथ-साथ चलेगी. पहला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 ए (ii) (किसी भी महिला पर हमला करना या आपराधिक बल का प्रयोग करना) के तहत है, जिसके लिए दास को तीन साल की जेल की सजा काटनी होगी.

तमिलनाडु में महिलाओं के उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत, दास को तीन साल की जेल की सज़ा और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. आईपीसी के तहत गलत तरीके से महिला को रोकने के लिए उन पर 500 रुपये का एक और जुर्माना लगाया गया.

अदालत ने, दास को अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया है और ज़मानत दी है.

चेंगलपट्टू के तत्कालीन एसपी डी. कन्नन – जिन पर महिला आईपीएस अधिकारी को दास के खिलाफ शिकायत करने से रोकने की कोशिश करने के लिए सीबी-सीआईडी द्वारा मामला दर्ज किया गया था- उसे विल्लुपुरम अदालत ने 500 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया था.

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क्या था मामला

एक मार्च, 2021 को दायर अपनी शिकायत में, महिला आईपीएस अधिकारी ने दास पर अपनी गाड़ी में यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया, जब वे तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी के एक चुनाव अभियान के दौरान सुरक्षा ड्यूटी पर थे.

उन्होंने आरोप लगाया कि स्पेशल डीजीपी ने 21 फरवरी को पलानीस्वामी की बैठक के दौरान उन्हें अपनी कार में साथ चलने के लिए कहा.

एफआईआर में कहा गया है कि वरिष्ठ अधिकारी ने कथित तौर पर उनका हाथ पकड़ा और “लगभग 20 मिनट तक” गाना गाया, जिसके बाद उसने उनका हाथ चूमा.

उन्होंने बताया, “मैंने अपना हाथ हटा लिया और उससे कहा कि मैं सहज नहीं हूं और यह अनुचित था. उसने कहा मुझे बस पांच मिनट दे दो और फिर से मेरा हाथ थाम लिया. उस दौरान तनाव और चिंता के कारण, मेरी हथेलियों पर पसीना आ गया था और यह महसूस करते हुए, उन्होंने मुझे पसीना पोंछने के लिए अपना तौलिया दिया.”

उसके बाद वरिष्ठ अधिकारी ने कथित तौर पर उन्हें एक तस्वीर दिखाई – जो उसने पहले खींची थी – उनके कार्यालय की यात्रा के दौरान. एफआईआर में कहा गया है कि आईपीएस अधिकारी ने उसे बताया कि उसने तस्वीर को अपने ‘पसंदीदा’ फोटो के बीच रखा था ताकि वह इसे आसानी से देख सके.

उसने यह भी आरोप लगाया कि दास ने उसे यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करने से रोकने के लिए बहुत कुछ किया, बार-बार उससे विनती की और यहां तक कि उसे डराने के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग भी किया.

एफआईआर में, महिला अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि विशेष महानिदेशक ने घटना के एक दिन बाद जब उन्हें पता चला कि वह “चेन्नई के पुलिस प्रमुख” के पास शिकायत दर्ज कराने वाली हैं, तो माफी मांग ली.

दास ने उससे कहा कि वह “उसके पैरों पर गिर जाएगा और अपने किए के लिए माफी मांगेगा”, उसने कहा, यहां तक ​​कि उसने कथित तौर पर अपने ससुर को “समझौता और सुलह” करने के लिए बुलाया.

शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद, आईपीएस अधिकारी को प्रतीक्षा पर रखा गया था और बाद में राज्य सरकार द्वारा निलंबित कर दिया गया था.

मामले की कार्यवाही

सीबी-सीआईडी ने मामले में 400 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें करीब 70 गवाहों की जांच की गई थी.

सीजेएम अदालत से क्षेत्रीय अदालत में मुकदमे को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए मामला दायर किए जाने के महीनों बाद दास ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसमें कहा गया था कि विल्लुपुरम की अदालत में मामले का अधिकार क्षेत्र नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने विल्लुपुरम अदालत के इसी तरह की याचिका को खारिज करने के आदेश में कोई ‘दुराग्रह’ नहीं पाए जाने के बाद अनुरोध को खारिज कर दिया.

बाद में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मुकदमे को तमिलनाडु से बाहर स्थानांतरित करने का आग्रह किया, लेकिन यह याचिका भी खारिज कर दी गई.

इस साल अप्रैल में, दास ने महिला आईपीएस अधिकारी को वापस बुलाने और जिरह करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि निचली अदालत में शिकायतकर्ता से 13 दिनों तक जिरह की गई जबकि उसके पति ने 2 दिनों तक जिरह की.

अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि दास द्वारा दायर याचिका सुनवाई में देरी के लिए की गई थी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने वरिष्ठ अधिकारी के आवेदन को खारिज कर दिया था.

तमिलनाडु में विल्लुपुरम की एक अदालत ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से निलंबित अधिकारी राजेश दास को एक महिला अधीनस्थ अधिकारी से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले में शुक्रवार को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई.

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने दास को तीन साल कैद की सजा सुनाई. हालांकि, अदालत ने उन्हें जमानत दे दी और अपील के लिए 30 दिन का समय दिया है.

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा )

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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