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Friday, 26 April, 2024
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संजय राउत बोले, अनिल देशमुख ‘एक्सीडेंटल’ गृह मंत्री है, अजीत पवार की नसीहत- परेशानी बढ़ाने का काम न करें

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृह मंत्री दुर्घटनावश बने तथा जयंत पाटिल और दिलीप वालसे-पाटिल जैसे वरिष्ठ राकांपा नेताओं के इनकार के बाद उन्हें यह पद मिला.

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मुंबई: अनिल देशमुख कोई एक्सीडेंटल गृहमंत्री नहीं है. एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने सामना के लेख का जिक्र करते हुए कहा कि ‘एक्सीडेंटल’ गृह मंत्री नहीं है.

संपादक को लेख लिखने का अधिकार है लेकिन यदि संपादकीय (सामाना) में कमियों को आगे लाया गया है, तो, इसे सकारात्मक तरीके से लिया जाना चाहिए. शरद पवार ने उन्हें सोच समझकर जिम्मेदारी दी है. वे ‘एक्सीडेंटल’ गृह मंत्री नहीं है. अगर गृह मंत्री में कुछ कमियां हैं तो वे उसे दूर करने का काम करेंगे.

वहीं उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि तीन पार्टी की सरकार होने पर इन पार्टी से संबंधित लोग एक दूसरे पर वक्तव्य देकर परेशानी बढ़ाने का काम न करें.

अजित पवार ने रविवार को यह भी कहा कि किसी को भी गठबंधन सरकार में स्थिति को बिगाड़ना नहीं चाहिए.

राकांपा नेता पवार ने पुणे के बारामती शहर में संवाददाताओं से कहा कि मंत्री पद का आवंटन एक गठबंधन में हर सत्ताधारी दल के प्रमुख का विशेषाधिकार होता है.

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मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह ने 20 मार्च को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में दावा किया था कि गृह मंत्री देशमुख चाहते थे कि पुलिस अधिकारी बार और होटलों से 100 करोड़ रुपये की मासिक वसूली करें.

हालांकि, देशमुख ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है.

महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार चल रही है.

बता दें कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में  सवाल उठाते हुए पूछा गया है कि सचिन वाजे वसूली कर रहा था और राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख को इसकी जानकारी नहीं थी? मुखपत्र में आगे लिखा गया है कि देशमुख को गृह मंत्री का पद दुर्घटनावश मिल गया.

आगे लिखा गया है कि आखिर एपीआई स्तर के अधिकारी सचिन वाजे को इतने अधिकार किसने दिए? यही जांच का विषय है.

पुलिस आयुक्त, गृह मंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा सचिन वाजे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक था लेकिन उसे सरकार में असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया गया.

शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा कि अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृह मंत्री दुर्घटनावश बने तथा जयंत पाटिल और दिलीप वालसे-पाटिल जैसे वरिष्ठ राकांपा नेताओं के इनकार के बाद उन्हें यह पद मिला.

राउत ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित अपने साप्ताहिक स्तम्भ ‘रोकटोक’ में कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार के पास नुकसान की भरपाई करने के लिए कोई तंत्र नहीं है, जैसा कि मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद देखा गया. सिंह ने आरोप लगाया है कि देशमुख ने पुलिस को हर महीने 100 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के लिए कहा था.


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सामना में राउत ने लिखा

राउत ने अपने साप्ताहिक कॉलम में लिखा, ‘देशमुख को गृह मंत्री का पद दुर्घटनावश मिला. जयंत पाटिल और दिलीप वालसे-पाटिल ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया. इसी कारण शरद पवार ने अनिल देशमुख को इस पद के लिए चुना.’

शायद इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सत्तारूढ़ गठबंधन के एक वरिष्ठ मंत्री के बारे में उनकी इस टिप्पणी को खराब संदर्भ में लिया जा सकता है, राउत ने बाद में ट्वीट किया, ‘बुरा ना मानो होली है.’

राउत ने कहा, ‘अगर सचिन वाजे जैसा कोई कनिष्ठ अधिकारी मुंबई पुलिस आयुक्त के दफ्तर से वसूली का गिरोह चला रहा था, तो यह कैसे हो सकता है कि गृह मंत्री को इसके बारे में जानकारी न हो?’

राउत ने लिखा, ‘वाजे मुंबई पुलिस में एक एपीआई था. किसने उसे इतनी शक्तियां दीं? वह किसका पसंदीदा था? यह सब सामने आना चाहिए.’

उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मेरे खिलाफ आरोपों की जांच करेंगे

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को कहा कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेंगे.

देशमुख ने नागपुर हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा कि मामले की जांच के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी.

सिंह ने गत 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था जिसमें आरोप लगाए गए थे कि देशमुख पुलिस अधिकारियों से बार और होटलों से 100 करोड़ रुपये मासिक वसूली करने के लिए कहते थे.

देशमुख ने हालांकि इन आरोपों को खारिज कर दिया था.

गौरतलब है कि मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर एक वाहन में विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले के बाद राज्य सरकार ने 17 मार्च को परमबीर सिंह को शहर के पुलिस आयुक्त के पद से हटाकर होमगार्ड विभाग में स्थानांतरित कर दिया था.

देशमुख ने रविवार को कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री ठाकरे से परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच शुरू कराने का आग्रह किया था.

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने फैसला किया है कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश मेरे खिलाफ लगाये गये आरोपों की जांच करेंगे. सच जो भी होगा, सामने आ जाएगा.’


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