हैदराबाद: आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार ने प्रत्येक जाति समूह में लोगों की सटीक संख्या, उनके भौगोलिक विस्तार, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षा और नौकरी के स्तर वगैरह की पहचान करने के लिए पिछड़ी जातियों की ‘जनगणना’ की घोषणा की है.
यह अभ्यास नवंबर के मध्य में शुरू होगा और जिसके 2024 में राज्य में और देश के लोकसभा चुनाव से पहले पूरा होने की उम्मीद है.
यह कदम ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस जैसी पार्टियां सत्ता में आने पर पड़ोसी राज्य तेलंगाना जैसे चुनावी राज्यों में जाति जनगणना कराने का वादा कर रही हैं.
बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने पहले ही राज्य जाति सर्वे के नतीजों को सार्वजनिक कर दिया है, एक ऐसा कदम जिसने राष्ट्रीय जाति जनगणना की नए सिरे से मांग शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति जनगणना की मांग को “देश को जाति के नाम पर विभाजित करने की चाल” करार दिया है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की जनगणना योजना विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के ऐसे किसी भी चुनावी वादे को पूरा करने के लिए है, जो खुद को पिछड़ी जातियों की पार्टी के रूप में पहचानती है.
अकादमिक, राजनीतिक विश्लेषक और गुंटूर स्थित नव्यंध्र इंटेलेक्चुअल फोरम के अध्यक्ष प्रोफेसर डीएआर सुब्रमण्यम ने दिप्रिंट को बताया, “जाति जनगणना की घोषणा के साथ, जगन ने टीडीपी की पिछड़ी जाति का चुनावी मुद्दा छीन लिया है.”
पिछड़े समुदायों को पूरा करने वाली जगन की कल्याणकारी योजनाओं, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, यादव, वड्डेरा, नाई और मछुआरों जैसे विभिन्न पिछड़े वर्ग समूहों के लिए 56 निगमों की स्थापना और बीसी को विभिन्न राजनीतिक नामांकित पदों के आवंटन के आधार पर जाति जनगणना की गई. सुब्रमण्यम ने कहा, इससे सीएम को टीडीपी के पिछड़ी जाति के वोटबैंक को तोड़ने में मदद मिलेगी.
आंध्र के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री सी. श्रीनिवास वेणुगोपाल कृष्णा के अनुसार, राज्य में एससी, एसटी और अगड़ी जातियों को छोड़कर 139 समुदाय हैं, जिन्हें बीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
कृष्णा ने बुधवार को अमरावती में संवाददाताओं से कहा, “विभिन्न बीसी समुदायों के बीच यह चिंता रही है कि क्या उनके विशेष समूह को उनकी आबादी के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त है और तथ्यों को जानने के लिए समुदाय संघों और नेताओं की ओर से जाति जनगणना की लंबे समय से मांग की जा रही है. हमारे मुख्यमंत्री ने उनकी पीड़ा को समझा है.”
मंत्री ने कहा, “सर्वे के नतीजे, जो सबसे पिछड़े वर्गों की भी पहचान करेंगे, समुदाय और क्षेत्र-विशिष्ट हस्तक्षेपों के साथ उनकी स्थितियों में सुधार करने में सहायक होंगे. हम नहीं चाहते कि 0.1 प्रतिशत ज़रूरतमंद लोग भी हमारे कल्याण के दायरे से बाहर रहें. जाति जनगणना अभ्यास चुनाव के लिए नहीं है.”
हालांकि, इस अभ्यास में भाग लेने वाले एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी ने कहा कि सर्वे में राज्य भर के सभी घरों और इस प्रकार जातियों और समुदायों को शामिल किया जाएगा और छह अगड़ों सहित हर समूह- ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, कम्मा, कापू और वेलामा जातियां और अनुसूचित जातियां या दलित, अनुसूचित जनजातियां और अल्पसंख्यक की पूरी तस्वीर यानी संख्यात्मक संरचना दी जाएगी.
इस प्रक्रिया में शामिल एक विभाग के अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “हम इसे जाति सर्वेक्षण कह सकते हैं.”
विपक्षी टीडीपी ने जनगणना को चुनावी स्टंट बताकर खारिज कर दिया है.
पिछड़ी जाति की नेता और टीडीपी एमएलसी पंचुमर्थी अनुराधा ने दिप्रिंट को बताया, “यह विचार (राजनीतिक वकालत समूह) भारतीय राजनीतिक कार्रवाई समिति द्वारा कुछ पिछड़ी जाति के वोटों को वाईएसआरसीपी में लाने के लिए दिया गया था. यह पार्टी-वार समर्थकों की पहचान करने और मतदाता सूचियों के साथ छेड़छाड़ करने की एक चाल भी हो सकती है.”
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‘हमारे समाज की रीढ़’
इस साल अप्रैल में समाज सुधारक ज्योतिराव फुले की जयंती के अवसर पर, जगन ने राज्य में “जाति जनगणना” का आश्वासन दिया था. बजट सत्र के दौरान, आंध्र विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया था और इसे केंद्र को भेजकर जनसंख्या जनगणना के साथ-साथ “जाति जनगणना” कराने के लिए कहा था.
कृष्णा ने कहा, “चूंकि प्रक्रिया में देरी हो रही थी, इसलिए हमने बीसी जनगणना प्रक्रिया शुरू की है. कोई विवाद नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को जाति जनगणना-सर्वेक्षण करने की अनुमति दी है.”
यह अध्ययन कैसे किया जाना चाहिए, इसके लिए बीसी, अल्पसंख्यक कल्याण, योजना आदि जैसे राज्य के संबंधित विभागों के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की एक समिति बनाई गई थी. इस काम के लिए ग्राम और वार्ड सचिवालय प्रणाली और स्वयंसेवकों का उपयोग किया जाएगा. मंत्री के अनुसार, जनगणना शुरू होने से पहले, कुरनूल, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, तिरुपति और राजमुंदरी में बीसी समूहों के साथ परामर्श बैठकें और गोलमेज सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे.
मंत्री ने कहा, “(टीडीपी प्रमुख) चंद्रबाबू नायडू बीसी के निरंतर पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन हमारे सीएम इन समुदायों को पिछड़ा नहीं बल्कि समाज की रीढ़ मानते हैं.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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