नई दिल्ली: बंगाल चुनाव में कांग्रेस गठबंधन को लेकर आनंद शर्मा पर पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी द्वारा की गई टिप्पणी का आनंद शर्मा ने जवाब दिया है.
अधीर रंजन द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए आनंद शर्मा ने कहा,’यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं सभ्य राजनीतिक चर्चा में विश्वास करता हूं, यहां तक कि अगर वैचारिक मतभेद हों तो भी. जो अधीर रंजन ने कहा उस पर मैंने ध्यान दिया है, लेकिन मैं व्यक्तिगत नहीं हो सकता.’
That is unfortunate. I believe in a civilised political dialogue even if there are differences or ideological issues. I’ve noted what Adhir babu said but I can’t become personal: Anand Sharma on AR Chowdhury’s reported remark that his tweet on alliance with ISF serving BJP agenda pic.twitter.com/uOL42bcUYM
— ANI (@ANI) March 2, 2021
आगे उन्होंने कहा, ‘जो मैंने कहा है वह मेरे चिंताओं की अभिव्यक्ति है. न सिर्फ मैं कांग्रेस की विचारधारा के प्रति कटिबद्ध हूं, जो कि समावेशी, लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष है बल्कि मैं पार्टी के इतिहासकारों और विचारकों में से हूं, और इसे भी उस संदर्भ में लेना चाहिए.’
What I’ve said is an expression of my concerns. Not only that I’m firmly committed to Congress ideology, which is inclusive, democratic & secular, but I’m also one of the historians & ideologue of the party & it has to be taken in that context: Anand Sharma, Congress on his tweet https://t.co/wKhHO7Bjgo pic.twitter.com/RjJRikS8cb
— ANI (@ANI) March 2, 2021
शर्मा ने कहा, ‘बगावत किसके ख़िलाफ. सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में हम सब विश्वास करते हैं उनकी प्रशंसा भी करते हैं. आज तक मैंने एक शब्द और एक टिप्पणी भी नेतृत्व के खिलाफ नहीं बोली है.’
दरअसल, पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी सहयोगी आनंद शर्मा द्वारा इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ पार्टी के गठबंधन की आलोचना करने पर पलटवार करते हुए कहा था कि शर्मा पार्टी के हितों को ‘नुकसान’ पहुंचा रहे हैं और उनकी टिप्पणी ‘भाजपा के एजेंडे के अनुरूप है.’
उन्होंने पश्चिम बंगाल में मुस्लिम धर्म गुरु अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ से कांग्रेस के गठबंधन करने की शर्मा द्वारा आलोचना किए जाने पर ये बात कही थी. आनंद शर्मा ने कांग्रेस द्वारा आईएसएफ से गठबंधन किए जाने पर कहा था कि यह ‘गांधीवादी एवं नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता’ के खिलाफ है और पार्टी ‘सांप्रदायिकता’ के खिलाफ लड़ाई में चुनिंदा रुख नहीं अपना सकती है.
शर्मा के इस बयान पर कई ट्वीट कर चौधरी ने शर्मा को निशाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. गौरतलब है कि शर्मा जी-23 समूह के नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन करने की मांग की थी.
अधीर रंजन ने सोमवार देर रात ट्वीट किया था, ‘आनंद शर्मा जी इस तथ्य को जान लें कि माकपा नीत वाम मोर्चा पश्चिम बंगाल में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है जिसमें कांग्रेस अभिन्न हिस्सा है. हम भाजपा की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति एवं अधिनायकवादी शासन को हराने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
उन्होंने कहा था, ‘कांग्रेस को सीटों में पूरी हिस्सेदारी मिली है. वाम मोर्चा ने अपने हिस्से से नवगठित इंडियन सेक्युलर फ्रंट-आईएसएफ को सीटें दी हैं. आपके द्वारा माकपा नीत मोर्चे के फैसले को सांप्रदायिक कहने से भाजपा के ध्रुवीकरण के एजेंडे को ही फायदा होगा.’
शर्मा ने कोलकाता में आयोजित रैली पर भी सफाई मांगी थी, जिसमें आईएसएफ के नेता मौजूद थे. उन्होंने चौधरी की उपस्थिति को ‘पीड़ादाई और शर्मनाक’ करार दिया था.
पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रमुख ने इस पर कहा था, ‘जो भाजपा की जहरीली सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने को प्रतिबद्ध हैं उन्हें कांग्रेस का समर्थन करना चाहिए और पार्टी के लिए पांच राज्यों में चुनाव प्रचार करना चाहिए, न कि भाजपा के एजेंडे के अनुरूप टिप्पणी कर पार्टी को नुकसान पहुंचाना चाहिए.’
उन्होंने कहा था, ‘मैं प्रतिष्ठित कांग्रेस सदस्यों के खास समूह से आह्वान करूंगा कि वे निजी हितों से ऊपर उठें और प्रधानमंत्री की प्रशंसा करने में समय बर्बाद करना बंद करें. वे पार्टी को मजबूत करने के अपने कर्तव्य का निवर्हन करें, न कि उस पेड़ को नुकसान पहुंचाएं जिसने उनका पोषण किया.’
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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