चंडीगढ़: पंजाब के खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र से सांसद के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद जेल में बंद अलगाववादी अमृतपाल सिंह ने खालिस्तान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि “खालसा राज का सपना देखना कोई अपराध नहीं है”.
एक्स पर शनिवार को एक बयान में अमृतपाल सिंह ने अपनी मां की एक दिन पहले की गई टिप्पणी को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनका बेटा “खालिस्तानी समर्थक नहीं है” और उनकी रिहाई की मांग की.
अमृतपाल सिंह के एक्स हैंडल @singhamritpal, एक वेरिफाइड एकाउंट पर उनके बायो में “खडूर साहिब से सांसद, वारिस पंजाब दे के प्रमुख का आधिकारिक हैंडल” लिखा है.
एक्स पर उनका बयान गुरुमुखी में लिखा है. जिसका मोटे तौर पर अनुवाद करने पर अर्थ है, “जब मुझे कल अपनी मां द्वारा दिए गए बयान के बारे में पता चला, तो मुझे बहुत दुख हुआ. मुझे यकीन है कि मेरी मां ने अनजाने में यह बयान दिया है, लेकिन फिर भी, ऐसा बयान मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति की ओर से नहीं आना चाहिए.”
अपने बयान में अमृतपाल आगे कहते हैं, “खालसा राज का सपना देखना कोई अपराध नहीं है, बल्कि यह गर्व की बात है. हम सपने में भी नहीं सोच सकते कि जिस रास्ते के लिए लाखों सिखों ने अपनी जान कुर्बान की है, उससे पीछे हटेंगे. मैंने कई बार मंचों से कहा है कि अगर मुझे पंथ और अपने परिवार के बीच चुनना पड़े, तो मैं हमेशा पंथ को ही चुनूंगा. यह मुझे उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है, जब बंदा सिंह बहादुर के साथ आए सिख शहीद हो रहे थे. एक 14-वर्षीय लड़के की मां ने उसे यह कहकर बचाने की कोशिश की कि वह सिख नहीं है, जिस पर छोटे लड़के ने जवाब दिया कि अगर यह महिला कहती है कि मैं गुरु का सिख नहीं हूं, तो मैं घोषित करता हूं कि वह मेरी मां नहीं है.”
बयान के अंत में कहा गया है, “हालांकि, यह उदाहरण इस स्थिति के लिए बेहद कठोर है, लेकिन यह सिद्धांत को दर्शाता है. मैं अपने परिवार की आलोचना करता हूं कि उन्होंने सिख राज से समझौता करने के बारे में सोचा भी नहीं, इसे खुलकर कहने की तो बात ही छोड़िए. आगे चलकर, मण्डली को संबोधित करते समय ऐसी चूक नहीं होनी चाहिए.”
खडूर साहिब के सांसद के रूप में शपथ लेने वाले दिन अपने बेटे से मिलने के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए अमृतपाल सिंह की मां ने कहा था, “कोई कुछ भी कहे, वह खालिस्तान समर्थक नहीं है. क्या पंजाब के अधिकारों के लिए बोलना या पंजाब के युवाओं को बचाना खालिस्तान समर्थक बनने के बराबर है?”
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