नई दिल्ली: भाजपा नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने वर्चुअल रैली के जरिए बिहार के कार्यकर्ताओं और लोगों को संबोधित किया. इस रैली को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के साथ जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन शाह ने कहा कि इस रैली का चुनाव से कोई संबंध नहीं है.
शाह ने कहा, ‘भाजपा लोकतंत्र में विश्वास रखती है और कोरोना संकट में हम जन संपर्क के अपने संस्कार को भुला नहीं सकते हैं. भारत की राजनीति के इतिहास में पहली वर्चुअल रैली में उपस्थित बिहार के सभी कार्यकर्ता भाइयों और बहनों आप सभी का मैं भाजपा की ओर से स्वागत करता हूं.’
अमित शाह ने अपने ऑनलाइन संबोधन में कहा, ‘इस रैली का उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान से लोगों को जोड़ना है, भाजपा इस तरह की 75 सभाएं करेगी.’
शाह की वर्चुअल रैली से पहले बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने ताली और थाली बजाकर इस रैली का विरोध किया.
‘देश के विकास में बिहार के लोगों के पसीने की महक’
शाह ने कहा कि देश का कोई भी कोना हो, उसके विकास की नींव में बिहार के व्यक्ति के पसीने की महक है. जो लोग उन्हें अपमानित करते हैं वो प्रवासी मजदूरों के जज्बे को नहीं समझते हैं.
उन्होंने कहा, ‘कोरोना महामारी के बाद नरेन्द्र मोदी जी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि सभी जगह प्रवासी मजदूरों को सम्मान से रखा जाए और उनके लिए 11 हजार करोड़ रुपये राज्यों को दिए. देश की 130 करोड़ जनता मोदी जी के साथ कोरोना की लड़ाई में चट्टान की तरह खड़ी है.’
‘मैं आज इस मंच से कहना चाहता हूं कि देश का कोई भी हिस्सा चाहे मुंबई, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु हो, जो विकसित है इसकी नींव में जाएंगे तो मेरे बिहार के प्रवासी मजदूर के पसीने की महक आती है. बिहार के व्यक्ति का पसीना इस देश के विकास की नींव में है.’
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शाह ने कहा कि करीब 1.25 करोड़ प्रवासी मजदूरों को हजारों ट्रेनों के माध्यम से उनके घरों तक पहुंचाया गया. उनके लिए भोजन की व्यवस्था की गई, पीने के पानी की व्यवस्था की गई. उनके गृह राज्यों में क्वारेंटाइन की व्यवस्था की गई.
नरेन्द्र मोदी जी ने अभी-अभी गत कैबिनेट में निर्णय लिया की ‘एक देश-एक राशन कार्ड’. बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा के मजदूर देश के कई हिस्सों में काम करते हैं. इससे अब श्रमिक भाई-बहन अपने हिस्से का राशन, देश में कहीं पर भी हों वहां से ले सकेंगे.
‘विपक्ष को किसने रोका है वो भी वर्चुअल रैली कर लेते’
शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘जो वक्रदृष्टा लोग इसमें भी राजनीति देखते हैं, उन्हें मैं कहता हूं कि किसने उन्हें रोका है, दिल्ली में बैठकर मौज करने की जगह, दिल्ली से लेकर पटना और दरभंगा की जनता को जोड़ने के लिए एक वर्चुअल रैली ही कर लेते.’
उन्होंने कहा, ‘ये राजनीतिक दल के गुणगान गाने की रैली नहीं है. ये रैली जनता को कोरोना के खिलाफ जंग में जोड़ने और उनके हौसले बुलंद करने के लिए है.’
उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी जी हमेशा कहते थे कि किसानों का कर्ज माफ करो. 10 साल उनकी सरकार रही थी, तो वो दावा करते हैं कि करीब 3 करोड़ किसानों का 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया. नरेन्द्र मोदी जी ने किसान सम्मान निधि के माध्यम से 9.5 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 72,000 करोड़ रुपये हर साल डालने की व्यवस्था की.’
शाह ने कहा, ‘आरसीईपी की चर्चा कांग्रेस शुरू करके गई थी. इसकी वजह से छोटे किसान, मछुवारे, छोटे कारोबारी, छोटे उद्योग ये सब तबाह हो जाते. मोदी जी ने छोटे किसानों, छोटे व्यापारियों के हित में दृढ़ता से फैसला लेते हुए आरसीईपी समझौते से भारत को अलग कर लिया.’
शाह ने कहा, ‘आजादी के समय जीडीपी के अंदर पूर्वी भारत का योगदान बहुत ज्यादा होता था, परंतु आजादी के बाद से जिस प्रकार से सरकारें चली उन्होंने पूर्वी भारत के विकास से मुंह मोड़ लिया था और परिणाम ये आया कि पूर्वी भारत पिछड़ता गया. मोदी जी ने छह साल के अंदर करोड़ों गरीबों के जीवन में प्रकाश लाने का एक प्रयास किया है जिसका सबसे बड़ा फायदा अगर किसी को हुआ है तो वो मेरे पूर्वी भारत के लोगों को हुआ है.
मोदी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘आवास, बिजली, बैंक खाते, स्वास्थ्य सेवाएं, गैस सिलेंडर, शौचालय, ये सब तो मोदी सरकार 2014-2019 तक के कार्यकाल में ही दे चुकी थी. 2019 में मोदी जी ने जल शक्ति मंत्रालय गठित करके देश के 25 करोड़ लोगों के घर में नल से शुद्ध जल पहुंचाने की योजना शुरू की.’
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उन्होंने कहा, ‘जनता कर्फ्यू भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के अंदर स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा कि देश के एक नेता की अपील पर कोई पुलिस बल प्रयोग किए बगैर पूरे देश ने घर के अंदर रहकर अपने नेता की अपील का सम्मान किया.’
बिहार की जनता ने लोकतंत्र को स्थापित करने का काम किया
शाह ने कहा कि आजादी के बाद जब कांग्रेस पार्टी की नेता श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोटने का प्रयास किया तब बिहार की जनता ने ही जेपी आंदोलन करके फिर से एक बार लोकतंत्र को स्थापित करने का काम किया.
उन्होंने कहा कि बिहार की धरती ने ही पहली बार दुनिया को लोकतंत्र का अनुभव कराया. जहां महान मगध साम्राज्य की नींव डाली गई. इस भूमि ने हमेशा भारत का नेतृत्व किया है.