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Saturday, 20 September, 2025
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अमित शाह ने कहा — ‘हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं तकनीक, विज्ञान, न्याय की धुरी बननी चाहिए’

14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में अपनाया था.

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज हिंदी दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दीं. उन्होंने भारतीय भाषाओं की भूमिका पर ज़ोर दिया, जो देश की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने में एकता का काम करती हैं. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि तकनीक, शासन और वैश्विक जुड़ाव में इनकी अहमियत लगातार बढ़ रही है.

अपने संदेश में अमित शाह ने कहा, “हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं केवल संवाद का माध्यम न होकर तकनीक, विज्ञान, न्याय, शिक्षा और प्रशासन की आधारशिला बनें. डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के इस युग में हम भारतीय भाषाओं को भविष्य के लिए सक्षम, प्रासंगिक और वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में भारत को अग्रणी बनाने वाली ताकत के रूप में विकसित कर रहे हैं.”

भारत को “मूल रूप से भाषा-प्रधान” राष्ट्र बताते हुए अमित शाह ने कहा कि मातृभाषाएं संस्कृति, इतिहास, परंपरा, ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और आध्यात्म को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम रही हैं.

अमित शाह ने कहा, “हिमालय की ऊंचाइयों से लेकर दक्षिण के विशाल समुद्र तटों तक, रेगिस्तान से लेकर कठिन जंगलों और गांव की चौपालों तक, हर परिस्थिति में भाषाओं ने संवाद और अभिव्यक्ति के ज़रिए मनुष्य को संगठित रहने और एकजुट होकर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है.”

अमित शाह ने कहा कि भारतीय भाषाएं हमारे देश की आज़ादी की लड़ाई में “प्रतिरोध की आवाज़” बनीं.

उन्होंने कहा, “हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने क्षेत्रों और गांवों की भाषाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा. हिंदी के साथ-साथ, सभी भारतीय भाषाओं के कवियों, साहित्यकारों और नाटककारों ने लोक भाषाओं, लोककथाओं, लोकगीतों और लोकनाटकों के माध्यम से हर उम्र, वर्ग और समुदाय में स्वतंत्रता का संकल्प मज़बूत किया. ‘वंदे मातरम्’ और ‘जय हिंद’ जैसे नारे हमारी भाषाई चेतना से निकले और स्वतंत्र भारत के गौरव के प्रतीक बने.”

गृह मंत्री ने संविधान निर्माताओं की उस भूमिका को भी याद किया जब उन्होंने हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया था.

अमित शाह ने कहा, “जब देश को आज़ादी मिली, हमारे संविधान निर्माताओं ने भाषाओं की संभावनाओं और महत्व पर गहराई से चर्चा की और 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया. संविधान के अनुच्छेद 351 में हिंदी को बढ़ावा देने और फैलाने की ज़िम्मेदारी दी गई है ताकि यह भारत की साझा संस्कृति का प्रभावी माध्यम बन सके.”

उन्होंने आगे कहा कि 2014 से केंद्र की भाजपा सरकार ने सरकारी कामकाज में हिंदी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है.

अमित शाह ने कहा, “2024 में, हिंदी दिवस पर, सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के बीच निर्बाध अनुवाद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना की गई.”

14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में अपनाया था.


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