कोलकाता: पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने गुरुवार को तीन अलग-अलग अध्ययनों का हवाला देते हुए दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2014 से 2020 के बीच उच्च नेटवर्थ वाले 35,000 भारतीय उद्यमियों ने देश छोड़ दिया है.
उन्होंने कहा कि क्या यह ‘भय की मनोवृति’ की वजह से हुआ है. उन्होंने मांग की है कि प्रधानमंत्री मोदी ‘अपने शासन के दौरान भारतीय उद्यमियों के भारी पलायन’ पर संसद में एक श्वेत पत्र पेश करें.
मित्रा ने ट्विटर पर लिखा, ‘मोदी सरकार के तहत उच्च नेटवर्थ वाले 35,000 भारतीय उद्यमियों ने 2014-2020 के बीच अप्रवासी भारतीयों/आव्रजकों के रूप में भारत छोड़ दिया. भारत दुनिया में पलायन में शीर्ष पर है. क्यों? क्या इसका कारण ‘भय की मनोवृति’ है? प्रधानमंत्री को अपने शासन के दौरान भारतीय उद्यमियों के बड़े पैमाने पर पलायन पर संसद में श्वेत पत्र पेश करना चाहिए’
Under Modi Govt 35,000 Indian Entrepreneurs of High Net Worth LEFT India between 2014-2020, as NRI/Immigrants. India RANKED No 1 IN EXODUS IN THE WORLD. ?. WHY? ‘Fear psychosis’?? PM must place WHITE PAPER to Parliament on massive flight of Indian entrepreneurs during his Regime
— Dr Amit Mitra (@DrAmitMitra) October 21, 2021
मित्रा ने एक स्टडी का हवाला देते हुए दावा किया कि 2014-18 के दौरान उच्च नेटवर्थ वाले 23,000 उद्यमियों ने भारत छोड़ दिया, जो दुनिया में सबसे खराब आंकड़ा है.
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उन्होंने ट्वीट किया, ‘2014-2018 में, उच्च संपत्ति मूल्य वाले 23,000 उद्यमियों ने भारत (मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट) छोड़ दिया, जो दुनिया में सबसे खराब आंकड़ा है. 2019 में 7,000 ने (एफ्रएशिया बैंक) भारत छोड़ दिया जबकि 2020 में 5,000 ने (जीडब्ल्यूएम रिव्यू) भारत छोड़ दिया.’
Sources of above Data : 1) In 2014-2018, 23,000 High Net worth entrepreneurs left India ( Morgan Stanley study) Worst in the World. 2) 7,000 left India in 2019 (AfrAsia Bank).
3) 5,000 left India in 2020.(GWM Review)— Dr Amit Mitra (@DrAmitMitra) October 21, 2021
मित्रा ने एक और ट्वीट में लिखा, ‘पीयूष गोयल द्वारा भारतीय व्यवसायों के खिलाफ 19 मिनट कड़ी निंदा को याद करें, जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि भारतीय उद्योग के कामकाज के तरीके राष्ट्रीय हित के खिलाफ हैं. क्या यह ‘भय की मनोवृति’ पैदा कर, पलायन को बढ़ावा दे रहा है? लेकिन प्रधानमंत्री ने गोयल को फटकार नहीं लगाई. क्यों?’
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