मुंबई: ऐसे समय में जब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध में पार्टियों का INDIA गुट कमज़ोर होता दिख रहा है — तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में 2024 का लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने के फैसले की घोषणा की है और जनता दल (यूनाइटेड) भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में लौट रहा है — महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले महायुति समूह का मुकाबला करने के लिए नए साझेदार प्राप्त कर रहा है.
जबकि एमवीए — राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया ब्लॉक का एक हिस्सा — शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस से बना है, महायुति गठबंधन में शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना, अजित पवार के नेतृत्व वाला राकांपा गुट और भाजपा शामिल हैं.
मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए शिव सेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि एमवीए अब आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (सपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की महाराष्ट्र इकाई और, सबसे महत्वपूर्ण, प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को अपने में शामिल करेगी.
2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में 11.81 प्रतिशत अनुसूचित जाति की आबादी है — जो वीबीए का प्राथमिक वोट बैंक है. शिवसेना यूबीटी ने पिछले साल वीबीए के साथ गठबंधन की घोषणा की थी, हालांकि, उस समय यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि पार्टी को एमवीए के भीतर कैसे समायोजित किया जाएगा.
राज्यसभा सांसद राउत ने मंगलवार की एमवीए बैठक के अंत में मीडिया से कहा, “आज, हमने कई सकारात्मक फैसले लिए हैं और सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक एमवीए का विस्तार करना था. हम मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं और अधिक से अधिक मित्रवत साझेदार हमारे साथ जुड़ रहे हैं.”
बैठक में संजय राउत के अलावा, शिवसेना (यूबीटी) नेता विनायक राउत, एनसीपी के शरद पवार गुट से जयंत पाटिल और जितेंद्र अव्हाड और कांग्रेस से बालासाहेब थोराट, अशोक चव्हाण, नाना पटोले, वर्षा गायकवाड़ शामिल हुए। एमवीए सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि 2024 के चुनावों के लिए सीट बंटवारे पर भी चर्चा हुई.
एमवीए में विस्तार उन असफलताओं के कारण महत्वपूर्ण है जिनका इंडिया ब्लॉक को हाल ही में सामना करना पड़ रहा है.
इस हफ्ते की शुरुआत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गठबंधन से बाहर हो गए और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए में लौट आए. यह तब हुआ जब तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पंजाब के सीएम और आप नेता भगवंत मान ने घोषणा की कि पार्टियां अपने राज्यों में 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी.
मंगलवार की एमवीए बैठक दो प्रमुख चुनावों से कुछ महीने पहले हो रही है — आम चुनाव, जो इस साल अप्रैल-मई में होने की उम्मीद है और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, जो साल के अंत में होने की उम्मीद है. महाराष्ट्र में 48 संसदीय सीटें और 288 सदस्यीय विधानसभा है.
उनकी ओर से पूर्व सांसद प्रकाश आंबेडकर, भारत के दलित आइकन बी.आर. आंबेडकर के पोते ने कहा है कि उन्हें एमवीए से शामिल किए जाने का कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है, लेकिन उन्होंने दिप्रिंट को यह भी स्पष्ट किया कि वह भविष्य में एमवीए बैठकों में भाग लेंगे.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हालांकि, शिवसेना यूबीटी और एनसीपी महाराष्ट्र से फैसले ले सकते हैं, लेकिन हम अभी भी नहीं जानते हैं कि (महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष) नाना पटोले के पास अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से फैसले लेने का अधिकार है या नहीं. इसके बावजूद, हम एमवीए की बैठकों में शामिल होंगे, जब भी वे आयोजित होंगी.”
नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने दिप्रिंट को बताया कि एमवीए के भीतर सीट-बंटवारे की बातचीत अभी भी चल रही है और छह-आठ सीटें ऐसी हैं, जिन पर और बातचीत की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा, “सीट बंटवारे पर बातचीत अच्छी चल रही है, लेकिन अभी भी यह छह-आठ सीटों पर अटकी हुई है. उदाहरण के तौर पर हम मराठवाड़ा में हिंगोली चाहते हैं जो शिवसेना के कोटे में है, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ है. हालांकि, आने वाली बैठकों में इसका समाधान निकाला जाएगा. हमारी ओर से, अंतिम फैसला दिल्ली नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा.”
आंबेडकर की पार्टी में शामिल होने पर नेता ने कहा कि कांग्रेस ने उन्हें निमंत्रण ईमेल किया था और यहां तक कि “इसे सोशल मीडिया पर भी डाला था”.
नेता ने कहा, “हमने उनसे फोन पर भी बात की और वे अगली बैठक में व्यक्तिगत रूप से आने के लिए सहमत हुए.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन्हें अपने साथ पाकर “बहुत खुश” है.
एमवीए की अगली बैठक 2 फरवरी को होनी है.
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आंबेडकर का समावेश
मंगलवार की विस्तार वार्ता के बावजूद एमवीए खेमे में पहले से ही परेशानी दिख रही है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आंबेडकर की पोस्ट के अनुसार, नवीनतम तनाव का स्रोत बैठक में उनकी पार्टी के प्रतिनिधि, वीबीए के राज्य उपाध्यक्ष धैर्यवर्धन पुंडकर के साथ किया गया कथित व्यवहार था.
पोस्ट में कहा गया, “भले ही वीबीए के राज्य उपाध्यक्ष को एमवीए बैठक में उचित सम्मान नहीं दिया गया और वीबीए को एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) या रमेश चेन्निथला (कांग्रेस नेता) द्वारा न तो इसकी जानकारी है और न ही सूचित किया गया है कि क्या नाना पटोले के पास एमवीए गठबंधन में वीबीए को शामिल करने के लिए किसी भी पत्र पर हस्ताक्षर करने का कोई अधिकार है. हम अगली बैठक में एमवीए में शामिल होंगे क्योंकि वीबीए की प्राथमिकता भाजपा-आरएसएस को हराना है.”
आंबेडकर का पोस्ट पुंडकर के उस दावे के बाद आया है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सीट-बंटवारे की बातचीत के दौरान उन्हें कमरा छोड़कर बाहर बैठने के लिए कहा गया था.
हालांकि, संजय राउत ने आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा, “कुछ गलतफहमी है. वीबीए नेता हमारे साथ थे. उन्होंने हमारे साथ दोपहर का भोजन भी किया. आप फुटेज देख सकते हैं. किसी का अपमान करने का कोई सवाल ही नहीं है.”
यह पहली बार नहीं है कि आंबेडकर और कांग्रेस आमने-सामने नहीं दिखे हैं. पिछले सितंबर में आंबेडकर ने एमवीए में शामिल होने में उनकी पार्टी की व्यक्त रुचि का जवाब नहीं देने के लिए कांग्रेस की आलोचना की थी.
आंबेडकर ने पोस्ट में कहा, “एक सितंबर को वीबीए ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र लिखकर गठबंधन में शामिल होने की हमारी रुचि दोहराई और कहा कि हमारे दरवाज़े खुले हैं. आज 25 सितंबर है और हमें अभी तक खरगे या कांग्रेस से कोई पत्र-व्यवहार नहीं मिला है. इसकी संभावना नहीं है कि शामिल दल जल्द ही आम सहमति पर पहुंचेंगे. हम इंतज़ार नहीं कर सकते या उनकी गलत बातों में फंसे नहीं रह सकते. अगर ज़रूरी हुआ तो हम सभी 48 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.”
इस हफ्ते की शुरुआत में आंबेडकर ने महाराष्ट्र के वाशिम में मुसलमानों से कहा कि वे कांग्रेस को वोट न दें. मंगलवार को, टिप्पणियों पर विवाद छिड़ने के बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मतलब था कि “अगर वे (विपक्षी एमवीए) एक साथ (एक ब्लॉक के रूप में) लड़ते हैं, तो मुसलमानों को गठबंधन के लिए वोट करना चाहिए, क्योंकि बीजेपी उनकी तरफ देखती भी नहीं है”.
पिछले हफ्ते, आंबेडकर ने सीट-बंटवारे की बातचीत के लिए कांग्रेस के निमंत्रण को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि पटोले के पास उन्हें आमंत्रित करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्होंने मांग की कि इसके बजाय कांग्रेस आलाकमान उनसे संपर्क करे.
हालांकि, एआईसीसी के महाराष्ट्र प्रभारी चेन्निथला द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि पटोले को राज्य विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को वीबीए और अन्य “समान विचारधारा वाले दलों” के साथ बातचीत करने के लिए अधिकृत किया गया था.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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