नई दिल्ली: कांग्रेस नेता शशि थरूर केंद्र सरकार की लेटरल एंट्री योजना के समर्थन में हैं, उन्होंने इसे “सरकार के लिए विशेषज्ञता हासिल करने का एक अपरिहार्य तरीका” कहा है, जबकि उनकी पार्टी इसकी प्रमुख आलोचक है.
तिरुवनंतपुरम के सांसद ने सोमवार को एक्स पर लिखा, “लेटरल एंट्री पर मेरा रुख यह है कि यह सरकार के लिए विशेषज्ञता हासिल करने का एक अपरिहार्य तरीका है, जिसकी अन्यथा उसके पास कमी है, विशेषज्ञता के विशिष्ट क्षेत्रों में जिसके लिए सरकारी सेवा में पहले से ही कोई योग्य व्यक्ति नहीं है. अल्पावधि में, यह अपरिहार्य है. दीर्घावधि में, जो ज़रूरी है वो यह है कि मौजूदा नियमों के तहत भर्ती किए जाने वाले सरकारी अधिकारियों को, जिसमें लागू आरक्षण भी शामिल है, सरकार द्वारा आवश्यक विशेषज्ञताओं में प्रशिक्षित किया जाए.”
थरूर ने लैटरल एंट्री स्कीम का समर्थन ऐसे समय में किया है, जब उनकी पार्टी ने इसके माध्यम से की जाने वाली नियुक्तियों में आरक्षण की कमी के लिए इसकी कड़ी आलोचना की है. इस योजना का विरोध करते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा, “लैटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है. भाजपा का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करने और बहुजनों से आरक्षण छीनने का प्रयास करता है.”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी शनिवार को एक पोस्ट में इस योजना की आलोचना करते हुए कहा, “संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली भाजपा ने आरक्षण पर दोहरा हमला किया है! एक सुनियोजित साजिश के तहत भाजपा जानबूझकर नौकरियों में ऐसी भर्तियां कर रही है, ताकि एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को आरक्षण से दूर रखा जा सके.”
थरूर और उनकी पार्टी के रुख के बीच विरोधाभास के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मेरा तर्क बहुत स्पष्ट है कि जब तक सरकार के भीतर विशेषज्ञता विकसित नहीं हो जाती, तब तक लेटरल एंट्री अस्थायी होनी चाहिए.”
हालांकि, लेटरल एंट्री का सहारा केवल तभी लिया जाना चाहिए जब विशेषज्ञता की ज़रूरत हो, न कि उन भूमिकाओं के लिए जिन्हें आईएएस अधिकारी निभा सकते हैं जिन्होंने कई वर्षों तक सिस्टम में काम किया है.
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार द्वारा घोषित सभी पदों के लिए इतनी विशेषज्ञता की ज़रूरत है कि उन्हें आईएएस अधिकारियों द्वारा नहीं भरा जा सकता है.”
थरूर ने कहा, “मुझे लगता है कि यह एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) जैसे संगठनों के लिए है कि सरकार को बाहर से पुरातत्वविदों को लाना चाहिए.”
शनिवार को जारी एक विज्ञापन में केंद्र ने 24 केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के लिए आवेदन मांगे हैं — 2018 में लेटरल एंट्री योजना के शुरू होने के बाद से यह सबसे बड़ी संख्या है.
इस घोषणा ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि एनडीए के कम से कम दो सहयोगी — जनता दल (यूनाइटेड) और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) — सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण को दरकिनार करने की योजना का विरोध करने के लिए विपक्षी खेमे में शामिल हो गए हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: असम में टीचर छात्रों को पोर्न देखने को करता था मजबूर, POCSO के तहत FIR दर्ज, प्रदर्शनकारियों ने जलाया स्कूल