मुंबई: कांग्रेस ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय नागपुर में एक रैली आयोजित करके अपना संसदीय चुनाव अभियान शुरू किया. जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रेखांकित किया कि यह स्थान चुनने के पीछे का विचार यह पुष्टि करना था कि कांग्रेस को बीआर अंबेडकर के “प्रगतिशील” विचारों द्वारा परिभाषित किया गया था, जिनकी विचारधारा इस शहर में है.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी 2024 की चुनावी लड़ाई को तीखे वैचारिक संदर्भ में परिभाषित करते हुए कहा कि इस धारणा के विपरीत कि कांग्रेस और भाजपा के बीच लड़ाई राजनीतिक थी, यह अनिवार्य रूप से आरएसएस द्वारा फैलाई गई ताकतों को हराने की लड़ाई थी, जो यहां तक कि “शैक्षिक संस्थानों पर कब्जा” कर रही है.
कांग्रेस की स्थापना की 139वीं वर्षगांठ के दिन ‘है तैयार हम’ रैली में अपने भाषण में, गांधी ने यह भी दोहराया कि केंद्र में सत्ता में लौटने के बाद पार्टी देशव्यापी जाति जनगणना कराएगी.
कांग्रेस नेताओं ने न्यूनतम आय गारंटी योजना, न्यूनतम आय योजना (न्याय) को लागू करने के पार्टी के 2019 के चुनावी वादे को भी पुनर्जीवित किया.
खरगे ने कहा, “नागपुर में दो विचारधाराएं हैं. एक विचारधारा प्रगतिशील है, जो बाबा साहब अम्बेडकर की है. दूसरी तरफ आरएसएस है, जो देश को बर्बाद कर रहा है. और हमें अंबेडकर की विचारधारा पर चलना होगा.”
अपने भाषण में, गांधी ने आरएसएस पर भारत को “स्वतंत्रता-पूर्व युग” में वापस ले जाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ”इस समय देश में विचारधाराओं की लड़ाई है. लोग सोचते हैं कि यह एक राजनीतिक लड़ाई है, सत्ता की लड़ाई है. लेकिन इस लड़ाई की बुनियाद विचारधारा है. आजादी से पहले महिलाओं को कोई अधिकार नहीं था, दलित अछूत थे. यह आरएसएस की विचारधारा है और हमने इसे बदल दिया है. और आज, वे हमें आज़ादी से पहले की स्थिति में ले जाना चाहते हैं.” गांधी ने कहा, ”आज,संस्थानों के कुलपतियों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि विचारधारा के आधार पर की जाती है और वे सभी एक विशेष संगठन से संबंधित होते हैं.”
उन्होंने कहा, कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है, जहां हर कार्यकर्ता अपने विचार रख सकता है, भाजपा के विपरीत जहां नेता और कार्यकर्ता केवल शीर्ष मालिकों के आदेशों का पालन करते हैं.”
उन्होंने कहा, “उन सभी लोगों के लिए जो यह पूछ रहे हैं कि कांग्रेस ने कई वर्षों में क्या किया है, हमने प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार दिया है और हमारे पूर्वजों ने एक संविधान दिया है जो सभी नागरिकों को समान रूप से अधिकार देता है.”
यह भाषण ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र में सभी राजनीतिक दल अगले साल के आम चुनाव और बाद में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में 48 संसदीय सीटें हैं, जो उत्तर प्रदेश की 80 के बाद दूसरे स्थान पर हैं. 2019 के आम चुनावों में, कांग्रेस ने केवल एक सीट जीती, जबकि भाजपा ने 23, तत्कालीन अविभाजित शिवसेना ने 18 और अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने चार सीटें जीतीं थी.
कांग्रेस का नागपुर कनेक्शन
नागपुर लंबे समय से कांग्रेस के लिए एक विशेष स्थान रखता है. 1920 में पार्टी के नागपुर अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की घोषणा की थी.
यहीं एक सत्र के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1959 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का अध्यक्ष बनाया गया था.
1990 के दशक तक, विदर्भ, जहां नागपुर स्थित है, में कांग्रेस मजबूत थी. वर्ष 1962, 1971, 1996, 2014 और 2019 को छोड़कर, नागपुर संसदीय सीट भी इसी तरह कांग्रेस के पास रही है.
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी की स्थापना दिवस रैली के लिए शहर को स्थल के रूप में चुनने का एक और कारण है कि यहीं दीक्षाभूमि पर अंबेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों के साथ 1956 में दशहरा के दिन बौद्ध धर्म अपनाया था.
2014 में, बीजेपी के कद्दावर नेता और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर सीट जीतने के लिए पूर्व कांग्रेस सांसद विलास मुत्तेमवार को 2 लाख से अधिक वोटों से हराया था. उन्होंने 2019 के आम चुनाव में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले को भी हराया.
हालांकि, अपनी हार के बावजूद, कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय चुनावों में खोई हुई जमीन हासिल कर रही है. उदाहरण के लिए, 2022 के पंचायत समिति और जिला परिषद चुनावों में, कांग्रेस ने भाजपा के शून्य के मुकाबले नौ में अपना अध्यक्ष चुना. कांग्रेस ने नागपुर जिला परिषद में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद भी बरकरार रखा.
(संपादन: अलमिना खातून)
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