scorecardresearch
Tuesday, 23 April, 2024
होमराजनीतिअमरिंदर सिंह ने कहा- कृषि कानूनों में संशोधन होने तक लड़ाई जारी रखेंगे

अमरिंदर सिंह ने कहा- कृषि कानूनों में संशोधन होने तक लड़ाई जारी रखेंगे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी इन तीन कानूनों के खिलाफ राज्य में चार से छह अक्टूबर तक ट्रैक्टर रैलियां आयोजित कर रही है.

Text Size:

मोगा/रायकोट: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने रविवार को कहा कि जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक लिखित संवैधानिक गारंटी देने के लिए नये कृषि कानूनों को संशोधित नहीं किया जाता है, तब तक वे इन कानूनों के खिलाफ लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे.

सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ‘किसान विरोधी’ कानूनों के खिलाफ आवश्यक कदम उठाएगी, वहीं इस मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के ‘दोहरे मापदंड़ों’ को उजागर करेगी.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी इन तीन कानूनों के खिलाफ राज्य में चार से छह अक्टूबर तक ट्रैक्टर रैलियां आयोजित कर रही है.

इन विधेयकों को पिछले महीने संसद ने पारित किया था और राष्ट्रपति ने भी इन कानूनों को अपनी मंजूरी दे दी है.

सिंह ने मोगा जिले के बधनी कलां में एक जनसभा को संबोधित करते हुए इन्हें ‘काला कानून’ बताया.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

उन्होंने कहा, ‘पंजाब के किसान भारत को खाद्य सुरक्षा देने की जिम्मेदारी निभाते रहे हैं और छह दशकों से राष्ट्र को खाद्य पदार्थ उपलब्ध करा रहे हैं, और उनके हितों को हर कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए.’

लुधियाना जिले के जत्तपुरा में एक अन्य रैली को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि कांग्रेस कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई में हर कदम पर किसानों के साथ है.

उन्होंने इस ‘मुश्किल’ समय में पंजाब के किसानों के साथ खड़ा होने के लिए गांधी की प्रशंसा की.

सिंह ने शिअद के अध्यक्ष सुखबीर बादल के उस दावे पर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होकर किसानों के लिए ‘त्याग’ किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘अकाली नहीं जानते हैं कि त्याग क्या होता है.’

उन्होंने कहा, ‘शिअद ने किसानों के विरोध को देखते हुए केवल अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए ऐसा किया है.’


यह भी पढ़ें: हाथरस मामले में पत्रकारों पर UP पुलिस के हमले की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने की निंदा


 

share & View comments