मुंबई: महा विकास अघाड़ी (एमवीए) इस साल के अंत में होने वाले बीएमसी चुनावों में सबको चौंका सकता है — तीनों सहयोगी दल, कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और एनसीपी (एसपी) अकेले चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अभी तक कोई भी इसे आधिकारिक तौर पर नहीं बता रहा है.
एमवीए के नेता — कुछ ऑन रिकॉर्ड, कुछ ऑफ रिकॉर्ड — कह रहे हैं कि वह एक-दूसरे की ताकत का आकलन करेंगे और फिर फैसला करेंगे, लेकिन गठबंधन के नेताओं से बात करने के बाद दिप्रिंट को जो समझ में आया, वह यह था कि मुंबई, पुणे, नागपुर और ठाणे जैसी हाई प्रोफाइल सीटों पर हर पार्टी अकेले चुनाव लड़ सकती है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट सतर्क थे. उन्होंने सोमवार को मीडिया से कहा कि एमवीए मिलकर तय करेगी कि आगे कैसे बढ़ना है. “समान विचारधारा वाली पार्टियों को एक साथ रहना चाहिए और आगामी चुनावों के लिए, एमवीए के रूप में, हमारे नेता बैठकर चर्चा करेंगे कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए.”
हालांकि, मुंबई में अन्य कांग्रेस नेताओं ने दिप्रिंट से कहा कि वह आखिरी फैसला स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं पर छोड़ सकते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंधे ने कहा, “हमारी लाइन बहुत स्पष्ट है. हमने इसे अपने स्थानीय स्तर के नेताओं पर छोड़ दिया है, जहां भी वह अकेले जाने का फैसला करेंगे, हम अकेले ही लड़ेंगे. यह स्थानीय स्तर के नेतृत्व पर निर्भर करता है.”
कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा, “हम अकेले ही लड़ेंगे, जहां हम मजबूत हैं, जैसे मुंबई, नागपुर और जहां भी हमें लगेगा कि हमें अपने प्रयासों को संयोजित करने की ज़रूरत है जैसे कोल्हापुर, सांगली, पुणे, हम ऐसा करेंगे. इसलिए एमवीए बरकरार है. हालांकि, हर एक निगम, जिला परिषद, नगर पंचायत का व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन किया जाएगा.”
यह ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी शिवसेना यूबीटी ने “महाराष्ट्र के व्यापक हित में” राज ठाकरे और उनकी एमएनएस को संकेत भेजे हैं.
शिवसेना यूबीटी नेताओं ने यह भी कहा है कि वह बीएमसी चुनावों में अकेले जा सकते हैं. मुंबई की पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने यह फैसला पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे पर छोड़ दिया है. उन्होंने कहा, “चाहे अघाड़ी के रूप में जाना हो या राज ठाकरे के साथ या अकेले, वही आखिरी फैसला लेंगे. बतौर कार्यकर्ता हम अपनी ज़मीन तैयार कर रहे हैं. जो कुछ हो रहा है उससे हम नाराज़ हैं और अब वक्त आ गया है कि चुनाव कराए जाएं. हम किसी भी चीज़ के लिए तैयार हैं.”
राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई ने कहा कि ऐसा लगता है कि एमवीए अलग-अलग लड़ेगी, खासकर बड़ी सीटों पर. “फिलहाल, ऐसा नहीं लगता कि एमवीए साथ मिलकर लड़ने की तैयारी कर रहा है. अलग-अलग इलाकों में उनकी ताकत अलग-अलग है. खास तौर पर मुंबई में, सेना यूबीटी मुस्लिम वोट पाने में सक्षम है, जैसा कि पहले विधानसभा और लोकसभा में देखा गया है. इसलिए उन्हें कांग्रेस की ज़रूरत नहीं है और विदर्भ में, कांग्रेस मजबूत है. इसलिए उनके लिए साथ मिलकर लड़ना समझदारी नहीं है. इसके अलावा, सीट बंटवारे में भी मुद्दे सामने आएंगे, खास तौर पर कांग्रेस और सेना यूबीटी के बीच.”
उद्धव-राज, शरद-अजित?
एमवीए के बाहर भी गठबंधन हो सकता है. एक तरफ, शिवसेना यूबीटी और एमएनएस मराठी मानुष के मुद्दे का हवाला देते हुए साथ जाने का फैसला कर सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ शरद पवार-अजित पवार की लगातार बैठकें — 1 जून को वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट में हुई सबसे ताज़ा मुलाकात — संभावित सुलह की अटकलों को जन्म दे रही है.
कांग्रेस के एक नेता ने चेतावनी देते हुए कहा, “ये चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाएंगे और यही वजह है कि समीकरण बिल्कुल अलग हैं. इसके अलावा, अगर मुंबई की बात करें तो शिवसेना मजबूत है. पहले, उनके साथ सीट शेयरिंग को लेकर हमारा अनुभव अच्छा नहीं रहा. इसलिए, यह अभी भी एक मुद्दा हो सकता है. मेरी राय में, अगर हम शिवसेना यूबीटी के साथ जाते हैं, तो वोट ट्रांसफर नहीं होने पर हम दोनों को नुकसान हो सकता है. इसके अलावा, बीएमसी चुनावों में, हमारे चुनावी मुद्दे भी अलग हैं. एमवीए का चुनाव के बाद गठबंधन भी संभव है.”
स्थानीय निकाय चुनावों में अकेले जाने की भाजपा की तैयारी को लेकर महायुति के भीतर भी सुगबुगाहट है, लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने खुद कहा है कि गठबंधन ज्यादातर जगहों पर साथ रहेगा, जबकि कुछ सीटों पर दोस्ताना मुकाबला हो सकता है.
सभी 29 नगर निगमों का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो गया और निगमों और कई नगर पंचायतों और जिला परिषदों के चुनाव इस साल के अंत में होने की उम्मीद है.
महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने पहले ही वार्ड गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे मिनी विधानसभा चुनाव माना जा रहा है.
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