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Saturday, 21 December, 2024
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पंजाब में सभी दल ‘आम आदमी’ का नाम जप रही हैं लेकिन सभी पार्टियों ने उतारे हैं करोड़पति उम्मीदवार

पंजाब में कांग्रेस द्वारा उतारा गया प्रत्येक उम्मीदवार औसतन 13.3 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक हैं. इसके बाद 12.7 करोड़ रुपये प्रत्येक उम्मीदवार के साथ शिअद और 7.7 करोड़ रुपये प्रत्येक उम्मीदवार के साथ भाजपा का नंबर हैं. 7 करोड़ रुपये की औसत संपत्ति वाले उम्मीदवारों के साथ आप भी इस मामले में बहुत पीछे नहीं है.

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नई दिल्ली: पंजाब में चुनाव अभियान के दौरान राजनीतिक नेताओं के बीच यह साबित करने के लिए होड़ लगी हुई है कि वे ‘आम लोग’ हैं जो मतदाताओं की जरूरतों के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं.

जहां आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का दावा है कि उनके ‘गंदे कपड़े’ उनकी साफ इरादों को दर्शाते हैं, वहीँ कांग्रेस नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कुर्सियां रंगने और कालीन सफाई करने के अपने कौशल को आम आदमी होने की उनकी योग्यता के रूप में शामिल किया है.

लेकिन अपनी नेकनीयत वाले मामूली साधनों के बारे में तमाम तरह की बयानबाजी के बावजूद पंजाब में चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक नेताओं के पास जितना वे स्वीकार करते हैं उससे कहीं अधिक धन संपत्ति जमा हो रखी है.

पंजाब में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रत्येक उम्मीदवार की औसतन संपत्ति 13.3 करोड़ रुपये है. इसके बाद 12.7 करोड़ रुपये प्रत्येक उम्मीदवार के साथ शिअद और 7.7 करोड़ रुपये प्रत्येक उम्मीदवार के साथ भाजपा का नंबर हैं. 7 करोड़ रुपये की औसत संपत्ति वाले उम्मीदवारों के साथ आप भी इस मामले में बहुत पीछे नहीं है.

पंजाब के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों की भी काफी अधिक संख्या – 447 – है और उनके स्वामित्व वाली संपत्ति का औसत मूल्य 1.7 करोड़ रुपये है, जो आप उम्मीदवारों के औसत से लगभग चार गुना कम है.

उम्मीदवारों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए अपनी संपत्ति के हलफनामे, और राजनीतिक अधिकार पर्यवेक्षक ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ द्वारा संसाधित (प्रोसेस्ड) आंकड़े दिखाते हैं कि 2022 विधान सभा चुनाव लड़ने वाले आप उम्मीदवारों में से लगभग 69 प्रतिशत के पास 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है.

2017 में, आप के 61 प्रतिशत उम्मीदवारों ‘आम’ उम्मीदवारों ने करोड़पति कहे जाने योग्यता प्राप्त की थी (उस समय, पार्टी ने 110 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे).

अभी भी (अपेक्षाकृत) अधिक आम है आप?

कांग्रेस, जिसके द्वारा पंजाब में पेश किया जा रहा मौजूदा चेहरा ‘गरीबों के प्रतिनिधि’ सीएम चन्नी का है, ने सभी 117 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार उतारे हैं और इन उम्मीदवारों में से 107 (91 प्रतिशत) करोड़पति हैं.

इस बीच शिअद 96 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार रही है, जिनमें से 89 (93 फीसदी) करोड़पति वाले क्लब में हैं. यह पार्टी मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है, जिसने 20 उम्मीदवारों को खड़ा किया है. इनमें से भी 16 (80 प्रतिशत) के पास एक करोड़ या उससे अधिक की संपत्ति है.

चित्रण : रमनदीप कौर/ दिप्रिंट
चित्रण : रमनदीप कौर/ दिप्रिंट

भाजपा ने 71 सीटों के लिए उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से 60 (85 फीसदी) करोड़पति हैं. उसकी सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा गठित पंजाब लोक कांग्रेस 27 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और इनमें से 16 (59 फीसदी) में इसके उम्मीदवार करोड़पति हैं.

सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ रही आप के पास 81 (69 फीसदी) करोड़पति उम्मीदवार हैं.

एडीआर के आंकड़ों के मुताबिक, एक उम्मीदवार को करोड़पति तब माना जाता है, जब उसकी संपत्ति की कीमत कम-से-कम एक करोड़ रुपये हो. इस मूल्यांकन में अचल संपत्तियां (जैसे कि कृषि योग्य भूमि, गैर-कृषि भूमि, और वाणिज्यिक भवन) के साथ-साथ वर्तमान संपत्तियां – जैसे कि पास में मौजूद नकदी, बैंक बैलेंस और सोना – भी शामिल की जाती हैं.


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कौन है असल अमीर?

जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है, प्रत्येक कांग्रेस उम्मीदवार की औसत संपत्ति 13.3 करोड़ रुपये है, जो सभी राजनीतिक दलों में सबसे अधिक है. इसके बाद शिअद (12.7 करोड़ रुपये) और भाजपा (7.7 करोड़ रुपये) का स्थान है. आप के प्रत्येक उम्मीदवार के मामले में उसकी संपत्ति का औसत मूल्य 7 करोड़ रुपये है, जो सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में सबसे कम है.

फिर भी, पंजाब में आप का औसत उम्मीदवार कहीं से भी दिल्ली में अपने समकक्ष जितना समृद्ध नहीं है. 2020 के दिल्ली चुनावों में आप उम्मीदवारों की औसत संपत्ति का मूल्य 15.3 करोड़ रुपये था. इसके अलावा दिप्रिंट द्वारा एडीआर डेटा के किये गए विश्लेषण के अनुसार दिल्ली में इस पार्टी के 70 उम्मीदवारों में से 51 (73 प्रतिशत) करोड़पति थे.

चित्रण : रमनदीप कौर/ दिप्रिंट

राजनीतिक विश्लेषक और सर्वेक्षण संस्था ‘सी-वोटर’ के संस्थापक यशवंत देशमुख के अनुसार, ‘आम आदमी’ की परिभाषा अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकती है.

देशमुख ने कहा, ‘पंजाब के एक औसत ‘आम आदमी’ की कुल संपत्ति उत्तर प्रदेश या यहां तक कि दिल्ली-एनसीआर के औसत ‘आम आदमी’ से भी कहीं अधिक है.’ साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ अन्य राज्यों के विपरीत, पंजाब में किसी का करोड़पति होना ‘वास्तव में कोई खास ध्यान देने वाली बात नहीं’ है. उन्होंने कहा, ‘यह बहुत सामान्य बात है, विशेष रूप से पंजाबी समाज के सामाजिक रूप से ऊपरी माने जाने वाले तबके में.’


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समृद्ध उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने के नफा-नुकसान का गणित

अशोक विश्वविद्यालय के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा के सह-निदेशक गाइल्स वर्नियर्स के अनुसार, ‘अपने स्वयं के धन को चुनाव अभियानों में खर्च करके पार्टी के सम्पूर्ण चुनाव अभियान की लागत को कम करने में मदद पहुंचाने वाले उम्मीदवारों की तलाश हर पार्टी को रहती है.’

वर्नियर्स ने कहा, ‘राजनीति में प्रवेश की लागत बहुत अधिक है और इसलिए पार्टियां स्व-वित्तपोषित (अपना खर्च खुद उठाने वाले) उम्मीदवारों को नामित करने के प्रति प्रोत्साहित रहतीं है. यह उन पार्टियों के मामले में विशेष रूप से सच होता है जिनके पास अकूत संसाधन नहीं हैं और जिसकी वजह से चुनाव प्रचार की लागत को पूरा करने के लिए वे अपने उम्मीदवारों के धन पर निर्भर करती हैं. यह बात पिछड़े वर्ग और निम्न जाति समूहों से आने वाले उम्मीदवारों पर भी लागू होती है.’

हालांकि, करोड़पति उम्मीदवारों के एक बड़े हिस्से को चुनाव में खड़ा करना आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा को आंच पहुंचा सकता है, क्योंकि इसके अस्तित्व का पूरा मकसद ही आम नागरिकों के प्रति उसकी कथित ‘आत्मीयता’ है. पंजाब में भी इस पार्टी ने दावा किया है कि उसने आम लोगों के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता खोल दिया है, लेकिन ऐसे करोड़पति उम्मीदवारों की वजह से उसके इस तरह के दावों को कम विश्वसनीय आंका जा सकता है.

पंजाब विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर रोंकी राम ने दिप्रिंट को बताया, ‘पंजाब में, लोग बदलाव की तलाश में रहते हैं. फिर भी 69 फीसदी करोड़पति प्रत्याशियों की संख्या काफी अधिक है… लोग यह देखकर संशय में पड़ सकते हैं कि आप आर्थिक रूप से [अन्य पार्टियों से] अलग नहीं है.’

राम के अनुसार, इस बात की संभावना है कि इन अमीर प्रतियोगियों के कारण लोगों का आप से ‘मोहभंग’ हो जाये.

इस मामले को लेकर पहले भी काफी विवाद हो चुका है. जनवरी में, आप के कई बागी नेताओं ने आरोप लगाया था कि पार्टी अमीर उम्मीदवारों को ‘टिकट बेच रही है’, जिनमें से अधिकांश कांग्रेस और शिअद से आए नए लोग थे. हालांकि आप नेतृत्व ने साफ़ किया था कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है.

वर्नियर्स ने कहा, ‘इस संबंध में तो आप काफी लंबे समय से किसी और पारंपरिक पार्टी जैसी बन गई है. चूंकि ‘आम आदमी’ उम्मीदवारों को नामांकित करने में कोई तात्कालिक लाभ नहीं है, इसलिए यह भी अन्य दलों की तरह संभ्रांतवादी (एलिटिस्ट) भर्ती वाली प्रथाओं का पालन कर रही है.’

दिप्रिंट ने फोन कॉल और टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से आम आदमी पार्टी के आधिकारिक मीडिया संयोजक से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. उनकी ओर से जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

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