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Tuesday, 24 December, 2024
होमराजनीति‘अखिलेश दूसरों के कान से सुनते हैं’, नेतृत्व के खिलाफ बोलने के कुछ दिन बाद SP के 3 नेता निष्कासित

‘अखिलेश दूसरों के कान से सुनते हैं’, नेतृत्व के खिलाफ बोलने के कुछ दिन बाद SP के 3 नेता निष्कासित

सपा नेता प्रदीप तिवारी, ब्रजेश यादव और पूर्णेंदु तिवारी ने पूर्व एमएलसी उदयवीर सिंह पर कथित तौर पर पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को उनके खिलाफ गुमराह करने का आरोप लगाया था.

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लखनऊ: प्रेस को जारी एक बयान के अनुसार, सार्वजनिक तौर पर पार्टी नेतृत्व की आलोचना करने के कुछ दिनों बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के तीन नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए रविवार को निष्कासित कर दिया गया.

निष्कासित नेताओं में समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप तिवारी; युवजन सभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ब्रजेश यादव; और पार्टी के पूर्व राज्य सचिव पूर्णेन्दु तिवारी उर्फ पी.डी. तिवारी शामिल हैं.

लोहिया वाहिनी और युवजन सभा सपा की चार युवा शाखाओं में से एक हैं.

यह कार्रवाई पिछले हफ्ते पार्टी नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान देने और पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को कथित तौर पर गुमराह करने के लिए विधान परिषद के पूर्व सदस्य (एमएलसी) उदयवीर सिंह को निशाना बनाने के बाद हुई.

26 जुलाई को पार्टी द्वारा अपने चार प्रमुख संगठनों के लिए राष्ट्रीय और राज्य प्रमुखों की घोषणा के बाद यह आक्रोश फैल गया. तीनों को शामिल नहीं किया गया.

कभी पार्टी प्रमुख के करीबी माने जाने वाले पूर्णेंदु तिवारी ने 2017 में देवरिया की बरहज सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. ब्रजेश यादव और प्रदीप तिवारी पार्टी के फ्रंटल संगठनों की गतिविधियों में सबसे आगे थे, जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

मीडिया खबरों के अनुसार, इन संगठनों को 2012 में पार्टी की जीत का श्रेय भी दिया जाता है जब सपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.

दिप्रिंट ने पूर्व एमएलसी उदयवीर सिंह से उन तीनों द्वारा लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि पार्टी ने जिला अध्यक्षों की रिपोर्ट पर अपना निर्णय लिया. उन्होंने कहा, “मैं पार्टी का एक छोटा कार्यकर्ता हूं. आप इस बारे में प्रदेश अध्यक्ष से पूछ सकते हैं.”


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‘उदयवीर के कारण नहीं मिला टिकट’

पिछले हफ्ते मीडियाकर्मियों से बात करते हुए ब्रजेश यादव ने “पूर्वी यूपी में पार्टी नेतृत्व को खत्म करने” के लिए पूर्व एमएलसी और पार्टी प्रवक्ता उदयवीर सिंह पर सार्वजनिक रूप से निशाना साधा था. इसके बाद नेताओं ने कथित तौर पर यह उजागर करने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक अभियान शुरू करने का फैसला किया कि कैसे “सपा में गरीब परिवारों से आने वाले युवाओं का शोषण किया जा रहा है”.

ब्रजेश ने कहा कि उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट नहीं दिया गया क्योंकि सिंह ने उनके बारे में अखिलेश यादव से शिकायत की थी.

उन्होंने एक कथित वीडियो में कहा, “मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा और दूसरे राज्य में रहूंगा लेकिन, मैं कहना चाहता हूं कि (वह) इतने बड़े साजिशकर्ता (सिंह) हैं जिन्होंने पूर्वांचल में सभी नेताओं को खत्म कर दिया…उनका लक्ष्य उन यादव नेताओं को खत्म करना है जो काम करते हैं और समुदाय के लिए संघर्ष करते हैं. मैं आखिरी विकेट था.”

“उन्होंने कई नेताओं को खत्म कर दिया है. अरविंद गिरि को युवजन सभा का राज्य प्रमुख बनाया गया है और वह (अभी भी) मुझसे युवा नेताओं से बात करने के लिए कहते हैं. क्या यही राजनीति है, क्या यही संघर्ष है? हमने अखिलेश यादव के साथ राजनीति करने का सपना देखा था. अब, अखिलेश यादव ने ऐसे बहरूपियों के कहने पर अपने द्वारा लगाए गए पौधे को उखाड़ दिया है.”

ब्रजेश ने सिंह पर अपना और कई अन्य लोगों का करियर खत्म करने का भी आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि वह उनके बारे में पार्टी नेतृत्व को प्रतिक्रिया देते हैं और “पार्टी अध्यक्ष को गुमराह करते हैं”.

उन्होंने कहा, “अखिलेश जी अपने कानों से नहीं बल्कि दूसरों के कानों से सुनते हैं.”


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‘सपा को अब युवाओं की ज़रूरत नहीं’

पिछले हफ्ते एक समाचार चैनल से बात करते हुए ब्रजेश ने यह भी कहा था कि वह सपा के युवाओं को चेतावनी देना चाहते थे कि उन्होंने (पार्टी नेताओं ने) ब्रजेश यादव को खत्म कर दिया है, लेकिन पार्टी के अन्य नेता जैसे पी.डी. तिवारी, प्रदीप तिवारी, रमेश यादव और दिनेश यादव भी कल समाप्त हो जाएंगे.

ब्रजेश ने कहा, “सपा (नेतृत्व) के आसपास रहने वाले लोग पार्टी के वफादार मतदाताओं के दुश्मन हैं.”

प्रदीप तिवारी ने भी उसी समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि सपा अपने रास्ते से भटक गई है और राष्ट्रीय अध्यक्ष भी अपने लक्ष्य से भटक गए हैं.

तिवारी ने कहा, “सपा में अब युवाओं की कोई ज़रूरत नहीं है. हमने अपने जीवन के 24-25 वर्ष समर्पित कर दिए. हमने अपना भविष्य अखिलेश यादव के साथ देखा. हम 1997 में पार्टी से जुड़े क्योंकि हमने नेता जी (मुलायम सिंह) से प्रेरणा ली थी. आज अखिलेश यादव जी ने हमें दुख पहुंचाया है. हमारी लड़ाई किसी पद या स्थिति, किसी स्वार्थ या लालच के लिए नहीं है, बल्कि हमारे सम्मान, स्वाभिमान के लिए है.”

एक न्यूज़ पोर्टल से बात करते हुए पूर्णेंदु तिवारी ने कहा कि उनका सपा के संघर्षों से गहरा नाता है और वे अखिलेश के पहले चुनाव से ही उनके साथ जुड़े हुए हैं.

उन्होंने कहा, “हम पार्टी के आंदोलन के हिस्से के रूप में जेल गए. मायावती सरकार के तहत, मैं यूपी विधानसभा के सामने इस तरह के पहले आंदोलन के दौरान जेल जाने वालों में से एक था. जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सरकार बनाई तो हमने कोई मंत्री पद नहीं मांगा…तीन साल पहले उदयवीर सिंह ने मुझसे कहा था कि वो मुझे पार्टी से टिकट नहीं मिलने देंगे. उदयवीर एक ठग है जो गोरखपुर के माफियाओं को संरक्षण देता है और यादव, पिछड़े या ब्राह्मण समुदाय से आने वाले लोगों को निशाना बनाता है, एटा की जनता को उसे चप्पलों से पीटना चाहिए और उसे बाहर निकालना चाहिए.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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