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Friday, 15 November, 2024
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अफ़ज़ल गुरु के भाई ऐजाज़ गुरु जम्मू-कश्मीर के सोपोर में मिले NOTA से कम वोट, NC के इरशाद रसूल जीते

ऐजाज़ अहमद गुरु ने जेलों में बंद कश्मीरियों और बेरोज़गारी के मुद्दे पर कैंपेन चलाया था. उनके भाई अफ़ज़ल गुरु को दिसंबर 2001 में संसद पर हमले की साजिश रचने के लिए फांसी दी गई थी.

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नई दिल्ली: 2001 में संसद पर हमले के दोषी अफ़ज़ल गुरु के भाई ऐजाज़ अहमद गुरु जम्मू-कश्मीर के सोपोर विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ 129 वोट मिले हैं, जो कि उन्हें NOTA में पड़े 341 वोटों से भी कम है. गुरु को चुनाव जीतने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार इरशाद रसूल कर से 26846 वोट कम मिले हैं.

एजाज ने “शांति और विकास” के संदेश के साथ निर्दलीय कैंडीडेट के रूप में चुनाव लड़ा था. उनके भाई अफ़ज़ल गुरु को दिसंबर 2001 में संसद के निचले सदन पर हमले की साजिश रचने के आरोप में 9 फरवरी 2013 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी.

एजाज, जिन्होंने 2014 में जम्मू-कश्मीर पशुपालन विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी, वर्तमान में एक ठेकेदार के रूप में काम करते हैं. अपने इलेक्शन कैंपेन के दौरान उन्होंने घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करने पर फोकस किया. अपने कैंपेन के दौरान उन्होंने कश्मीरी युवाओं की दुर्दशा को उजागर किया गया, जो “छोटे-छोटे आरोपों और राज्य में व्यापक बेरोजगारी के कारण जेलों में बंद हैं.

जम्मू-कश्मीर में 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में सोपोर ने कांग्रेस नेता हाजी राशिद को अपना विधायक चुना था, इस चुनाव में राशिद को फिर से पार्टी का टिकट मिला है. अलगाववादियों का गढ़ माने जाने वाले सोपोर में पिछले दशकों में विभिन्न वर्गों द्वारा चुनाव बहिष्कार देखा गया है. लेकिन इस बार, यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), कांग्रेस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) और एजाज़ जैसे निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिला.

उत्तर कश्मीर का बारामूला और सोपोर कभी आतंकवाद का गढ़ रहा है, इस चुनाव में 30 साल में सबसे अधिक मतदान हुआ, जो लगभग 60 प्रतिशत रहा. 10 साल के अंतराल के बाद हुए इस चुनाव में रिकॉर्ड संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे.

अब तक सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार 2008 के विधानसभा चुनाव में थे. इसके बाद सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार इस चुनाव में है जिनकी संख्या 365 है. हालांकि, पीडीपी और एनसी जैसी कई राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव से पहले निर्दलीय उम्मीदवारों को ‘बीजेपी का प्रतिनिधि’ बताया था. हालांकि, इन आरोपों का निर्दलीय उम्मीदवारों ने खंडन किया.

जम्मू-कश्मीर चुनाव से पहले दिप्रिंट से बात करते हुए, एजाज़ ने कहा था कि उनका परिवार सरकार से और अदालतों में जाकर अनुरोध कर रहा है कि उन्हें उनके भाई की कब्र पर जाने की उन्हें अनुमति दी जाए. अफ़ज़ल गुरु को तिहाड़ जेल परिसर में ही दफनाया गया है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने को लिए यहां क्लिक करें.)


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