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Sunday, 3 November, 2024
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कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- ‘सभी पांच वादों को पूरा करेंगे’

खड़गे ने रविवार को राज्य में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता के चुनाव के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे और पार्टी नेताओं जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया सहित कर्नाटक में तीन पर्यवेक्षक नियुक्त किए.

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नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को लोगों को आश्वासन दिया कि कैबिनेट गठन के बाद पार्टी के घोषणापत्र में जनता से किए गए सभी पांच वादों को कांग्रेस पूरा करेगी.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान, कांग्रेस ने अपने को स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रखा. कांग्रेस ने अपनी पांच गारंटियों – गृह ज्योति, गृह लक्ष्मी, अन्न भाग्य, युवा निधि और शक्ति – पर भारी भरोसा किया, पार्टी नेताओं ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर उन्हें तत्काल लागू करने का वादा किया था.

मीडिया से बात करते हुए खड़गे ने कहा, ‘‘कर्नाटक के लोगों ने भाजपा को खारिज कर दिया है और कांग्रेस पार्टी को सत्ता में वापस लाया है. लोगों ने हमें रिकॉर्ड संख्या में वोट दिए हैं.’’

खड़गे ने कहा कि लोगों, विशेषकर गरीबों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और दलितों ने कांग्रेस की पांच गारंटी को स्वीकार किया है और उनकी अपेक्षाओं के अनुसार इन्हें लागू किया जायेगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने मंत्रिमंडल के गठन के पहले दिन पांच गारंटी पर काम शुरू कर देंगे और इन्हें लागू करेंगे…इसलिए हमें बड़ा जनादेश मिला है, हमें जनता की सेवा करनी है.’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सबसे बड़ा जनादेश मिला है और वह राज्य में स्थिर सरकार चाहती है.

खड़गे ने कहा, ‘‘सीएलपी की बैठक होने के बाद आलाकमान को रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसके बाद आलाकमान कर्नाटक के मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने में वक्त लेंगे.’’

खड़गे ने रविवार को राज्य में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता के चुनाव के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे और पार्टी नेताओं जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया सहित कर्नाटक में तीन पर्यवेक्षक नियुक्त किए.

अपने सोशल मीडिया हैंडल पर केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष ने सुशील कुमार शिंदे (पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र), जितेंद्र सिंह (एआईसीसी जीएस) और दीपक बाबरिया (पूर्व एआईसीसी जीएस) को कर्नाटक विधानसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी (सीएलपी) के नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया है.’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सिद्धरमैया और डी. के. शिवकुमार के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की दौड़ तेज होने के बीच पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे रविवार को दिल्ली लौट आए.

उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के पर्यवेक्षक कर्नाटक में पार्टी विधायकों की राय से आलाकमान को अवगत करायेंगे और इसके बाद मुख्यमंत्री के चयन को लेकर फैसला किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए सब कुछ ठीक-ठाक रहा है और जल्द ही सरकार बनेगी.

इस बीच, कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष शिवकुमार ने संकेत दिया कि वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं. उन्होंने कहा कि वह सभी को साथ लेकर चले और कभी भी अपने लिए कुछ नहीं मांगा. उन्होंने अपने और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बीच मतभेदों की खबरों को भी खारिज कर दिया.

कर्नाटक से दोपहर में यहां लौटे खड़गे ने कहा कि कांग्रेस की प्राथमिकता राज्य के लोगों की सेवा करना है. उन्होंने कहा कि पार्टी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि किस ने पार्टी को वोट दिया और किस ने नहीं दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार दोनों ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं. दोनों ने विधायक दल की बैठक से पहले अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक की.

पर्यवेक्षक कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में मौजूद रहेंगे और पार्टी आलाकमान को रिपोर्ट सौंपेंगे. इससे पहले शनिवार को वेणुगोपाल ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की बड़ी जीत को ‘2024 के चुनावों से पहले मील के पत्थर’ के रूप में बताया.

वेणुगोपाल ने आगे कहा कि कांग्रेस राज्य में गरीबों के लिए खड़ी हुई और इस तरह लोगों का जनादेश जीता.

उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी जिस प्रकार की विभाजनकारी राजनीति करती है, वह हर बार सफल नहीं होने वाली है. यह एक स्पष्ट संदेश है. हम कर्नाटक के गरीब लोगों के लिए खड़े हुए. वे अमीरों के लिए खड़े हुए. अंत में गरीब इस चुनाव को जीत गए. यह है इस चुनाव की स्पष्ट कथा.’’

भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, राज्य में 224-सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल करते हुए 135 सीट जीतीं, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की अगुवाई में जनता दल (सेक्युलर) ने क्रमश: 66 और 19 सीट जीतीं.


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