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Saturday, 12 October, 2024
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हरियाणा चुनाव में BSP-INLD अलायंस की हार के बाद बोलीं मायावतीं- क्षेत्रीय पार्टियों के साथ नहीं होगा गठबंधन

इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को हरियाणा के जाट समुदाय की ‘जातिवादी प्रवृत्तियों’ की आलोचना करते हुए इसे राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन का प्रमुख कारण बताया था.

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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को घोषणा की कि पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक से दूरी बनाए रखते हुए ‘क्षेत्रीय दलों’ के साथ गठबंधन नहीं करेगी.

मायावती ने हरियाणा विधानसभा और उससे पहले हुए पंजाब चुनाव परिणामों का मूल्यांकन करने के लिए बुलाई गई समीक्षा बैठक के बाद यह फैसला लिया. उल्लेखनीय है कि यह घटनाक्रम तब हुआ जब पार्टी ने एक क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के साथ गठबंधन के बावजूद हरियाणा विधानसभा चुनाव हार गई, जो एक महत्वपूर्ण जाट-मतदाता आधार वाली पार्टी है.

हरियाणा विधानसभा के नतीजों का हवाला देते हुए मायावती ने इनेलो के वोटर बेस पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि बसपा के वोट गठबंधन पार्टी को ट्रांसफर हो गए हैं, लेकिन गठबंधन पार्टी अपने वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं कर पा रही है, इसलिए पार्टी ने किसी भी क्षेत्रीय पार्टी के साथ आगे कोई गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि पार्टी कार्यकर्ता निराशा न हों और आंदोलन को नुकसान से बचाया जा सके.

एक्स पर एक सोशल मीडिया पोस्ट पर इसे आगे बढ़ाते हुए मायावती ने कहा, “यूपी समेत अन्य राज्यों के चुनावों में बसपा के वोट गठबंधन पार्टी को ट्रांसफर हुए हैं, लेकिन बसपा को वोट ट्रांसफर करने की क्षमता न होने के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं को अपेक्षित चुनाव परिणाम न मिलने के कारण निराशा और आंदोलन के नुकसान से बचाना जरूरी है.”

उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणामों और उससे पहले पंजाब चुनाव के कटु अनुभव को ध्यान में रखते हुए आज हरियाणा और पंजाब की समीक्षा बैठक में निर्णय लिया गया कि क्षेत्रीय दलों के साथ आगे कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा, जबकि भाजपा/एनडीए और कांग्रेस/भारत गठबंधन से दूरी पहले की तरह जारी रहेगी.’’

इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को हरियाणा के जाट समुदाय की ‘जातिवादी प्रवृत्तियों’ की आलोचना करते हुए इसे राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन का प्रमुख कारण बताया था.

राष्ट्रीय राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा)-इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) गठबंधन अपनी गहरी जातिवादी मानसिकता के कारण कुछ सीटों को छोड़कर जाट समुदाय के वोट हासिल करने में विफल रहा. बसपा प्रमुख ने कहा, “हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के कल के चुनाव परिणामों में हमारी पार्टी की स्थिति के बारे में मैं यह कहना चाहूंगी कि हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है. कृषि से जुड़े लोग, खासकर जाट समुदाय, राज्य और केंद्र की किसान विरोधी नीतियों और कार्यों से खुश नहीं हैं. वे अभी भी खुश नहीं हैं… यही कारण है कि जाट समुदाय के अधिकांश वोट कांग्रेस पार्टी को चले गए. इसलिए, बसपा-इनेलो गठबंधन को कुछ सीटों को छोड़कर इस समुदाय के वोट नहीं मिले. लेकिन उनकी जातिवादी मानसिकता के कारण जाट समुदाय ने बसपा उम्मीदवारों को बिल्कुल भी वोट नहीं दिया.”

हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया जबकि कांग्रेस भाजपा सरकार के 10 साल के सत्ता विरोधी रुझान का फायदा नहीं उठा सकी. हरियाणा विधानसभा में भाजपा ने 90 में से 48 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस 37 सीटें जीतने में सफल रही. निर्दलियों ने 3 सीटें जीतीं और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) ने 2 सीटें हासिल कीं.


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