गुरुग्राम: हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार ने ओबीसी क्रीमी लेयर की आय सीमा को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने की घोषणा की है. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में राज्य में करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा की गई लोकलुभावन घोषणाओं की श्रृंखला में यह सबसे नया है.
2019 में हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इस बार कांग्रेस से पांच सीटें हार गई. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) से मिलकर बने इंडिया ब्लॉक ने अन्य पांच सीटों पर जीत हासिल की और 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 46 पर बढ़त हासिल की.
हरियाणा में इस साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां भाजपा के लिए यह परिणाम खतरे की घंटी बजा रहा है. हरियाणा की आबादी में ओबीसी समुदाय की हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत है.
गुरुग्राम में ओबीसी मोर्चा सर्व समाज समरसता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम सैनी ने रविवार को कहा कि सरकार ग्रुप-ए और ग्रुप-बी के रिक्त पदों को भरने के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाएगी. इस कार्यक्रम का आयोजन हरियाणा भाजपा ओबीसी मोर्चा ने किया था.
सैनी ने एक्स पर लिखा, “पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार ने हरियाणा में पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों से लेकर आर्थिक और सामाजिक भागीदारी तक न्याय सुनिश्चित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में भाजपा ने नौकरियों और राजनीतिक नेतृत्व में ओबीसी को उनकी हिस्सेदारी प्रदान करके न्याय किया है.”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने हमेशा ओबीसी के साथ अन्याय किया है, मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने से रोकने की कोशिश से लेकर आज तक. मैं ओबीसी को आश्वस्त करता हूं कि उनके हित भाजपा के साथ सुरक्षित हैं.”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर की वार्षिक आय सीमा में वृद्धि की घोषणा “हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग के साथ परामर्श” के बाद की गई थी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस संबंध में वेतन और कृषि आय को नहीं गिना जाएगा.
इस घोषणा को विधानसभा चुनावों से पहले ओबीसी मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा द्वारा किए गए प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. इस दिशा में प्रयास पहले से ही चल रहे थे, भाजपा ने पिछले साल अक्टूबर में जाट जाति के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ की जगह ओबीसी नायब सैनी को नियुक्त किया था.
इस साल 12 मार्च को, भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर के स्थान पर सैनी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया, जो 2014 से शीर्ष पद पर थे.
इससे पहले, राज्य की भाजपा सरकार ने नगर निकायों में बीसी-ए श्रेणी (राज्य में पिछड़े वर्गों में सबसे पिछड़ा) के लिए एक उप-कोटा की घोषणा की थी.
और इस महीने की शुरुआत में, हरियाणा के पांच नवनिर्वाचित भाजपा सांसदों में से तीन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद में जगह मिली – उनमें से दो, राव इंद्रजीत सिंह और कृष्ण पाल गुर्जर, ओबीसी हैं.
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विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का जोर
लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के कुछ दिनों बाद, सीएम सैनी ने 8 जून को घोषणा की कि उनकी सरकार आने वाले दिनों में 50,000 नई सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियां प्रदान करेगी.
अगले दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, उन्होंने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत लगभग 20,000 बीपीएल परिवारों को 100 वर्ग गज के प्लॉट देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि उनमें से 7,775 को प्लॉट का कब्जा दिया गया, जबकि शेष 12,225 को प्लॉट खरीदने के लिए 1 लाख रुपये दिए जाने थे.
यह योजना भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री के रूप में पहले कार्यकाल (2005-09) के दौरान शुरू की गई थी.
सैनी ने हुड्डा पर योजना लागू न करने का आरोप लगाया, जबकि भूपिंदर सिंह हुड्डा ने दिप्रिंट से कहा कि भाजपा को यह योजना आम चुनाव में राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद ही याद आई. हुड्डा ने दावा किया, “यह योजना कांग्रेस सरकार (राज्य में) के दौरान शुरू की गई थी और लगभग 4 लाख गरीब, एससी और ओबीसी परिवारों को 100 वर्ग गज के मुफ्त प्लॉट वितरित किए गए थे. कांग्रेस ने ये प्लॉट 7 लाख से अधिक परिवारों को देने की योजना बनाई थी, लेकिन भाजपा ने सत्ता में आते ही (2014 में) इस योजना को बंद कर दिया.”
इसके अलावा, 10 जून को सैनी ने राज्य सरकार की परिवार पहचान योजना के तहत परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) और अन्य मुद्दों के खिलाफ शिकायतों के त्वरित निवारण की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को बिना किसी अनावश्यक देरी के शिकायतों का समाधान करने का निर्देश दिया गया है.
खट्टर के कार्यकाल के दौरान शुरू की गई परिवार पहचान और संपत्ति पहचान योजनाओं को संसदीय चुनावों में भाजपा सरकार के खिलाफ काम करने वाले प्रमुख मुद्दों के रूप में देखा गया था.
राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की कि मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता विवाह से तीन दिन पहले लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा कर दी जाएगी. कई लोगों ने इस योजना के तहत राशि वितरण में देरी की शिकायत की थी.
मुख्यमंत्री सैनी ने रविवार को यह भी कहा कि पिछले एक दशक में राज्य सरकार ने ओबीसी समुदाय के लिए काम किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ओबीसी समुदाय के बच्चों को 12,000 से 20,000 रुपये तक की छात्रवृत्ति देकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है.
इसी तरह कौशल विकास के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 18 ट्रेड्स में प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए 13,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है.
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