गुरुग्राम: आगामी विधानसभा चुनाव में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री की पारंपरिक सीट तोशाम में बंसीलाल के परिवार के दो सदस्यों — किरण चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी — के बीच मुकाबला होने की संभावना है.
बंसीलाल की बहू किरण चौधरी के बुधवार को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद, उनके पोते अनिरुद्ध चौधरी इस सीट से कांग्रेस टिकट के आकांक्षी हैं.
अनिरुद्ध ने गुरुवार को दिप्रिंट से कहा, “हां, मैं तोशाम से चुनाव लड़ने में दिलचस्पी रखता हूं, क्योंकि मैं वहां दो साल से अधिक समय से काम कर रहा हूं. इससे पहले मैं तोशाम के साथ-साथ बाधरा विधानसभा क्षेत्र में भी काम कर रहा था, लेकिन चूंकि चाचीजी (चाची, किरण चौधरी) ने कांग्रेस छोड़ दी है, इसलिए मैं पार्टी टिकट के लिए अपना दावा पेश करूंगा क्योंकि मेरे दादा इस सीट से चुनाव लड़ते थे. बाकी सब पार्टी पर निर्भर करता है क्योंकि टिकटों का वितरण एक प्रक्रिया है और यह नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वे तोशाम में किसे मैदान में उतारते हैं.”
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मैनेजर 47-वर्षीय अनिरुद्ध आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के पूर्व सदस्य और बीसीसीआई के पूर्व कोषाध्यक्ष हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बाल भवन, भिवानी से की और फिर मेयो कॉलेज, अजमेर चले गए. इसके बाद अनिरुद्ध ने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से बी.कॉम की डिग्री और दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की.
उनके पिता रणबीर महेंद्रा, बंसीलाल से उस समय दूर हो गए थे, जब हरियाणा के पूर्व सीएम अपनी राजनीति के चरम पर थे. हालांकि, मई 2005 में महेंद्र के छोटे भाई और किरण चौधरी के पति सुरेंद्र सिंह की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद, दोनों के बीच संबंध फिर से बहाल हो गए. 2006 में बंसीलाल की मृत्यु के बाद, दोनों परिवार संपत्ति के स्वामित्व को लेकर कानूनी लड़ाई में उलझ गए, जिसका मामला अभी भी अदालतों में लंबित है.
इस बीच, अनिरुद्ध ने कहा कि हाल ही में हुए संसदीय चुनावों के दौरान भी उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार राव दान सिंह के साथ तोशाम में प्रचार किया था. “हमने अपने पैतृक गांव गोलागढ़ में चौधरी बंसीलाल की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करके तोशाम में राव दान सिंह के अभियान की शुरुआत की. अभियान के दौरान मेरी चाची मौजूद नहीं थीं.”
अनिरुद्ध ने दावा किया कि तोशाम में उनके दौरे के दौरान उन्हें भारी समर्थन मिल रहा है, उन्होंने भरोसा जताया कि अगर कांग्रेस उन्हें आगामी चुनावों में मैदान में उतारती है, तो वे भारी अंतर से जीतेंगे.
हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं.
हालांकि, किरण चौधरी तोशाम में अपने भतीजे के उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की संभावना से बेफिक्र दिखीं.
मौजूदा विधायक ने गुरुवार को दिप्रिंट को बताया, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कांग्रेस मेरे खिलाफ किसे मैदान में उतारती है. आप जिस व्यक्ति (अनिरुद्ध) की बात कर रहे हैं, वो तोशाम में मतदाताओं के बीच स्वीकार्य नहीं होगा, क्योंकि हर कोई जानता है कि उसके पिता (रणबीर महेंद्र) ने हमेशा बंसीलाल का विरोध किया और उनके विरोधियों के साथ गठबंधन किया. 1998 के लोकसभा चुनाव में जब मेरे पति ने अपने पिता की हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार के रूप में भिवानी से चुनाव लड़ा, तो अनिरुद्ध के पिता ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा.”
उन्होंने आगे याद किया कि उनके दिवंगत पति सुरेंद्र सिंह ने आखिरकार चुनाव जीत लिया, जबकि महेंद्र 27,000 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे और उनकी ज़मानत जब्त हो गई.
तोशाम विधायक ने कहा, “उन्होंने (महेंद्र) बधरा से तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ा और तीनों ही मौकों पर हार गए.”
पार्टी में शामिल होने पर भाजपा नेतृत्व और लोगों से मिली प्रतिक्रिया पर खुशी जताते हुए किरण चौधरी ने दावा किया कि हरियाणा में भाजपा फिर से सरकार बनाएगी. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर इशारा करते हुए कहा, “कांग्रेस किसी भी कीमत पर सत्ता में नहीं आ सकती. पार्टी को अब कुछ लोगों ने निजी जागीर बना दिया है.”
हालांकि, अनिरुद्ध ने कहा कि उनकी चाची उस पार्टी में शामिल हुई हैं जिसने 1999 में बंसीलाल को धोखा दिया था और उनकी सरकार गिरा दी थी.
उन्होंने कहा कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है.
अनिरुद्ध ने कहा कि जब से ‘चाचीजी’ भाजपा में शामिल हुए हैं, उन्हें बंसीलाल और सुरेंद्र सिंह के पुराने समर्थकों से सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जो उनकी विरासत को लेकर चिंतित हैं.
अनिरुद्ध ने कहा, “मैं उन्हें आश्वस्त कर रहा हूं कि मैं चौधरी बंसीलाल, चौधरी रणबीर महेंद्र और चौधरी सुरेंद्र सिंह का नाम सबसे ऊपर रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं.”
उन्होंने इस संबंध में अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट भी शेयर की.
अगर तोशाम में चुनावी मुकाबला होता है, तो यह हरियाणा के तीन प्रसिद्ध लाल राजवंशों – देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल – में से दूसरा होगा, जिसके सदस्य पिछले छह महीनों में एक-दूसरे के खिलाफ भिड़ रहे हैं.
हाल ही में संपन्न संसदीय चुनावों में देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह (भाजपा) को अपने पिता की दो पोतियों नैना चौटाला (जेजेपी) और सुनैना चौटाला (आईएनएलडी) के खिलाफ हिसार में खड़ा किया गया था. तीनों ही अंततः चुनाव हार गए और कांग्रेस के जय प्रकाश ने जीत हासिल की.
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