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Sunday, 22 December, 2024
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सरयू तट पर आरती, अयोध्या में ताकत का प्रदर्शन- ‘आदित्य की यात्रा’ को लेकर शिवसेना की बड़ी तैयारियां

आदित्य की अयोध्या की एकल यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह युवा ठाकरे के लिए अपने पिता उद्धव के साये से बाहर निकलकर, आने वाले समय में अपने लिए जगह बनाने का प्रतीक है.

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मुंबई: सरयू नदी के तट पर एक आरती, पूरे महाराष्ट्र से शिव सैनिकों के आने के लिए ट्रेनों और बसों की बुकिंग और पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा शक्ति का एक भव्य प्रदर्शन – ये तैयारी हैं शिवसेना के वंशज आदित्य ठाकरे की अयोध्या की पहली एकल यात्रा की, जिसकी योजना हाल-फिलहाल में तैयार की गई.

32 साल के आदित्य अपने पिता,  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बिना बुधवार को उत्तर प्रदेश के शहर का दौरा करेंगे.

पार्टी सूत्रों ने बताया कि एक दिन की यात्रा युवा ठाकरे और शिवसेना, दोनों के लिए खास मायने रखती है. इसका उद्देश्य उन्हें न केवल एक ‘ठाकरे वंशज’ के रूप में बल्कि एक ऐसे नेता के रूप में पेश करना है जो अपने पिता के साये से बाहर निकल रहा है और जो अपने दम पर शिवसेना की विरासत को आगे बढ़ायेगा.

नाम न छापने की शर्त पर शिवसेना के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह आदित्य साहब की खुद की पहली यात्रा है. इससे पहले भी वह अयोध्या गए थे, लेकिन उस समय उद्धव साहब उनके साथ थे. जब भी शिवसेना के नेता राज्य से बाहर जाते हैं, हमारे कार्यकर्ता उनका अनुसरण करते हैं.  इस बार कार्यकर्ताओं में उत्साह कुछ ज्यादा है.’

उन्होंने कहा, ‘आदित्य साहब जब अयोध्या जाएंगे, तो वहां मौजूद शिवसैनिकों की संख्या उद्धव साहब के इस तरह के किए गए दौरे की तुलना में बहुत अधिक होगी.’

आदित्य की अयोध्या यात्रा ऐसे समय में भी हो रही है जब शिवसेना सहयोगी से प्रतिद्वंद्वी बनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ इस मसले पर रस्साकशी का खेल चल रहा है कि हिंदुत्व के प्रति किसकी प्रतिबद्धता ज्यादा मजबूत है.

उधर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे का कहना है कि जून में उनके अयोध्या जाने की योजना के बाद शिवसेना ने आदित्य की अयोध्या यात्रा की घोषणा की है. हालांकि उत्तर प्रदेश के एक भाजपा सांसद ने मनसे के उत्तर भारत विरोधी रुख के कारण उनकी यात्रा पर कड़ी आपत्ति जताई थी. जिसके बाद मनसे अध्यक्ष ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना दौरा रद्द कर दिया.

ऊपर उद्धृत शिवसेना के पदाधिकारी ने कहा, ‘हम किसी के लिए अपने हिंदुत्व को सही ठहराने के लिए अयोध्या नहीं जा रहे हैं. आदित्य की इस यात्रा के लिए पिछले छह महीनों से विचार किया जा रहा था. लेकिन किसी न किसी कारण से अंतिम तारीख तय नहीं हो सकी.

शिवसेना एमएलसी मनीषा कायंडे के अनुसार, इस यात्रा का हिंदुत्व को लेकर शिवसेना पर भाजपा के हमलों से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘शिवसेना ने कभी भी राजनीतिक कारणों से भगवान राम का इस्तेमाल नहीं किया. यह सिर्फ एक तीर्थ है. आज (13 जून) उनका जन्मदिन भी है, इसलिए वह जाना चाहते थे. हमारा हिंदुत्व दिखावा करने के बारे में नहीं है.’

दिप्रिंट से बात करते हुए, राजनीतिक टिप्पणीकार अभय देशपांडे ने कहा, ‘आदित्य की अयोध्या यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि शिवसेना अपनी नई अधिक उदार विचारधारा और हिंदुत्व के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है.’


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भीड़ जुटाने की कवायद

ठाकरे के दौरे की तैयारी के लिए शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत सोमवार को उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हो गए.

लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए राउत ने कहा, ‘नासिक से भी एक टीम तैयारियों के लिए आई है. जैसा कि हमने (मुंबई से) किया है. हजारों शिवसैनिकों के नासिक, ठाणे, मुंबई और अन्य जगहों से आने की उम्मीद है. हमने ट्रेन, फ्लाइट बुक कर ली हैं कुछ बसें पहले ही निकल चुकी होंगी’

पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिवसेना ने मुंबई से पूरी दो ट्रेनें बुक की हैं. एक ट्रेन में पार्टी के लगभग 17,00 से 18,00 सदस्य हैं, जबकि काफी सारे तो पहले ही बसों में निकल चुके हैं. अकेले मुंबई और ठाणे से करीब 8,000 पार्टी कार्यकर्ताओं के अयोध्या जाने की उम्मीद है.

शिवसेना के 55 विधायकों में से कोई भी अयोध्या नहीं जाएगा. दरअसल महाराष्ट्र विधान परिषद की 10 सीटों पर चुनाव 20 जून को होने हैं. इसे देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

राउत ने जोर देकर कहा, ‘लेकिन यह ताकत का प्रदर्शन नहीं है. मतलब साफ है कि यह यात्रा राजनीतिक नहीं है.’

शिवसेना के एक अन्य पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि बुधवार की तारीख इसलिए तय की गईं क्योंकि आदित्य को इस्कॉन मंदिर से भी निमंत्रण मिला था.

 ‘अपने कंफर्ट जोन से बाहर आ रहे हैं’

आदित्य ठाकरे ने औपचारिक रूप से 2010 में राजनीति में प्रवेश किया था. तब शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने उन्हें पार्टी की वार्षिक दशहरा रैली में एक प्रतीकात्मक तलवार सौंपी और अपने पोते को युवा सेना के अध्यक्ष के रूप में लॉन्च किया.

पार्टी में उनका दबदबा बाद के दशक में आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गया, जिसमें शिवसेना की उदार राजनीति का एक बड़ा हिस्सा आदित्य के युवा वोटों को आकर्षित करने के प्रयास से जुड़ा है. उन्होंने शिवसेना से अपने आक्रामक वैलेंटाइन्स डे विरोध को छोड़ने, नाइटलाइफ़, खुले स्थान, और शहर में खेल सुविधाओं आदि के बारे में बात करने के लिए कहा.

अभय देशपांडे को लगता है कि आदित्य ठाकरे धीरे-धीरे ‘अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आ रहे हैं. और पार्टी के मामलों को सामने से आकर संभालते दिख रहे हैं.’

देशपांडे ने कहा, ‘आदित्य ठाकरे ने राज्यसभा चुनाव की तैयारियों को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह मुंबई नागरिक निकाय के मामलों की देखरेख कर रहे हैं. इस जिम्मेदारी को पहले पिता संभालते थे. वह इस साल के अंत में नगर निगम चुनावों के लिए प्रचार अभियान की कमान भी संभाल सकते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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