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Friday, 19 April, 2024
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BJP ने क्यों प्रज्ञा ठाकुर को मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव चयन समिति से बाहर किया

बीजेपी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश में नगरीय स्थानीय निकाय चुनाव के लिए चयन समितियों की घोषणा की थी. पार्टी का कहना है कि एक सांसद के लिए समिति का हिस्सा होना अनिवार्य नहीं है.

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नई दिल्ली: भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई ने अगले महीने होने वाले नगरीय स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने वाली पार्टी की भोपाल मंडल चयन समिति से सांसद प्रज्ञा ठाकुर को बाहर कर दिया. इसके कुछ दिनों बाद प्रज्ञा ने ट्विटर पर कहा, ‘मैं लोगों के प्रति अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन करती रहूंगी.’

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, भाजपा ने गुरुवार को मध्य प्रदेश में नगरीय स्थानीय निकाय चुनावों के लिए चयन समितियों की घोषणा की. मंडल स्तर पर गठित समिति में ठाकुर का नाम कहीं नहीं था.

सूत्रों ने बताया कि ठाकुर अपने बहिष्कार से नाराज हैं, क्योंकि अन्य सांसदों को अन्य मंडलों में शामिल किया गया है.

ठाकुर ने रविवार को एक ट्वीट में कहा, ‘मुझे चयन समिति में शामिल नहीं करने के पार्टी के फैसले को मैं स्वीकार करती हूं. हालांकि आठ विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने वोट देकर मुझे एक सांसद के रूप में चुना है. मैं अपने लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करती रहूंगी.’

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दिप्रिंट ने ठाकुर से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

उधर मध्य प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने कहा कि एक सांसद के लिए समिति का हिस्सा होना अनिवार्य नहीं है.

वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने चयन पैनल से उनके बहिष्कार किए जाने के लिए सांसद की विवादास्पद छवि की ओर इशारा किया. वे पार्टी के सदस्यों को इस विषय पर बात नहीं करने के आदेश के बावजूद शुक्रवार को भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के निलंबन का समर्थन करने वाली उनकी टिप्पणियों के बारे में बात कर रहे थे.

मध्य प्रदेश में 884 वार्डों वाले 16 नगर निगमों के लिए चुनाव अगले महीने दो चरणों में होने हैं.

पहले चरण का मतदान जहां 6 जुलाई को होगा, वहीं दूसरे चरण का मतदान 13 जुलाई को होना तय है. पहले चरण के लिए 17 जुलाई और दूसरे चरण के लिए 18 जुलाई को वोटों की गिनती होगी.

भाजपा की एमपी इकाई ने गुरुवार को भोपाल, जबलपुर, रीवा, ग्वालियर, चंबल और सागर मंडल सहित अन्य के लिए चयन समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा की थी.

केंद्रीय मंत्री और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जहां ग्वालियर और चंबल मंडल की समिति का हिस्सा हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी शामिल किया गया हैं. इसी तरह जबलपुर मंडल की चयन समिति में सांसद राकेश सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते को शामिल किया गया है.


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विवादों से नाता

महाराष्ट्र में 2008 के मालेगांव विस्फोटों की आरोपी ठाकुर को 2019 के संसदीय चुनावों में भाजपा ने भोपाल से मैदान में उतारा था और सीट जीती थी.

हालांकि सांसद का हमेशा विवादों से नाता बना रहा है.

उदाहरण के लिए लोकसभा में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करने के बाद उन्हें 2019 में पार्टी की संसद रक्षा सलाहकार समिति से हटा दिया गया था और शीतकालीन सत्र के दौरान संसदीय दल की बैठकों में भाग लेने की भी अनुमति नहीं दी गई थी.

ऊपर उद्धृत वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार, पार्टी की अधिकांश बैठकों में ठाकुर सारा ध्यान खुद पर केंद्रित कर लेती हैं जो पार्टी के समग्र कामकाज को प्रभावित करता है.

नेता ने कहा, ‘यह अनिवार्य नहीं है कि एक सांसद मंडल स्तर पर स्क्रीनिंग कमेटी का हिस्सा हो. आमतौर पर इन बैठकों में सांसदों को रखा जाता है लेकिन इसकी कोई बाध्यता नहीं है. अन्य सांसदों को समितियों में शामिल किया गया है, यह सच है. लेकिन साथ ही यह भी सच है कि वह कुछ न कुछ विवादास्पद कह ही देती हैं.’

वह आगे कहते हैं, ‘यहां तक कि अपने बहिष्कार के बाद वह बाहर गई और ट्विटर पर कुछ पोस्ट किया जिससे बचा जाना चाहिए था.’

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा के निलंबन पर ठाकुर के बयान से पार्टी नाराज है.

भाजपा के एक दूसरे नेता ने दिप्रिंट को बताया कि नूपुर शर्मा मामले पर पार्टी के सदस्यों को बोलने से मना करने के बावजूद ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा था कि इन अविश्वासियों ने हमेशा ऐसा किया है. उनका कम्युनिस्ट इतिहास रहा है… कमलेश तिवारी (हिंदू समाज पार्टी के नेता) ने कुछ कहा और वह (2019 में) मारा गया. एक अन्य व्यक्ति (नूपुर शर्मा) ने कुछ कहा और धमकी मिली.

ठाकुर की टिप्पणी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नेताओं से किसी भी धर्म की आलोचना करने से बचने के लिए कहने के बावजूद आई थी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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