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Thursday, 21 November, 2024
होमदेश‘AAP’ का मुफ्त बिजली और महिलाओं को आर्थिक मदद का वादा: कर्ज में डूबे पंजाब पर हर साल बढ़ेगा 20,600 करोड़ का बोझ

‘AAP’ का मुफ्त बिजली और महिलाओं को आर्थिक मदद का वादा: कर्ज में डूबे पंजाब पर हर साल बढ़ेगा 20,600 करोड़ का बोझ

पंजाब के अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य पहले से ही 2.82 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा हुआ है. ऐसे में 300 यूनिट मुफ्त बिजली और महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये की आर्थिक मदद का वादा पूरा करना आसान नहीं होगा.

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चंडीगढ़ : आम आदमी पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में पंजाब के हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली और हर महिला को हर महीने एक हजार रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया था. राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि आप की इन दो मुख्य वादों को पूरा करने के लिए राज्य पर 20,600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा.

आम आदमी पार्टी 10 मार्च को जारी चुनाव परिणाम में 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटों के साथ विजयी रही.

अमृतसर में 13 मार्च को एक रोड शो के दौरान आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी चुनावी वादों को पूरा किया जाएगा. हालांकि, पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और नीति के जानकारों का कहना है कि राज्य पर 2.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. ऐसे में अतिरिक्त वित्तीय ज़रूरत को पूरा करना बड़ी चुनौती होगी.

केजरीवाल ने 29 जनवरी को कहा था कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाया जाएगा.

दिप्रिंट ने आम आदमी पार्टी के प्रवक्ताओं को कॉल और मैसेज करके यह जानने की कोशिश की कि इन दो मुख्य वादों को पूरा करने के लिए धन जुटाने की पार्टी की क्या योजना है, लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया है.

‘बिजली देने के वादे से सब्सिडी में कम-से-कम 5,000 करोड़ की वृद्धि’

नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ऊर्जा विभाग के डेटा के हवाला देते हुए सोमवार को दिप्रिंट से बात की. उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली के 73 लाख घरेलू उपभोक्ता, 14 लाख खेती से जुड़े उपभोक्ता (जिनके लिए बिजली पूरी तरह से मुफ्त है), 11.50 लाख कमर्शियल उपभोक्ता और 1.50 लाख औद्योगिक उपभोक्ता हैं.

अधिकारी ने कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं में करीब 15 फीसदी अनुसूचित जाति (एससी), पिछड़ी जाति (बीसी), गरीबी रेखा से नीचे आने वाले (बीपीएल) उपभोक्ता हैं. इन्हें 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाती है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में राज्य में कुल 10,668 करोड़ रुपये की राशि बिजली बिल सब्सिडी के तौर पर दी गई. इनमें से 7,180 करोड़ रुपये किसानों और 1,627 करोड़ की राशि एससी, बीसी और बीपीएल परिवारों को बिजली बिल सब्सिडी के तौर मिली है.

वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, बाकी सब्सिडी बिल परिवारों को प्रति यूनिट बिजली की खपत पर छूट के तौर पर मिलती है. इनमें अलग-अलग तरह के उद्योगों को दी जाने वाली बिजली बिल सब्सिडी भी शामिल है.

अधिकारियों ने कहा, ‘जैसा कि ‘आप’ ने कहा है, हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली की योजना राज्य के सभी परिवारों के लिए है. अगर कम-से-कम भी जोड़ें, तो इससे सब्सिडी बिल में 5,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी.’

महिलाओं को वित्तीय मदद में ‘15,600 करोड़ खर्च होगा’

पंजाब सरकार के एक अन्य अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि राज्य की हर महिला (18 साल और उससे ज़्यादा) को 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता से राज्य के खर्च में कम-से-कम 15,600 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी.

मतदाता सूची के आंकड़ों का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि पंजाब में 1.3 करोड़ महिला मतदाता हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘यह एक सामान्य गणना है, अगर सभी 1.3 करोड़ महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपये दिए जाने हैं, तो इससे सालाना 15,600 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा. हमें पता नहीं है कि आने वाले हफ्तों में सरकार इस योजना में कुछ फेरबदल करेगी और सिर्फ़ कुछ सामाजिक और आर्थिक समूहों को ही इसका फायदा देगी.’

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने चुनावी कैंपेन में, राज्य के वित्तीय संकट के लिए कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों को दोषी ठहराया था. उन्होंने दावा किया था कि इन सरकारों के पहले राज्य का बजट फायदे में था.

कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के अंत में अनुमानित कर्ज 2.82 लाख करोड़ रुपये था. मार्च, 2017 में कांग्रेस जब सत्ता में आई थी उस समय राज्य का कर्ज 1.82 लाख करोड़ रुपये था. इससे पहले राज्य में एसएडी-बीजेपी गठबंधन की सरकार थी.

मान ने पंजाब के हित में वित्तीय मॉडल लागू करने का वादा किया था. उन्होंने दिल्ली सरकार का उदाहरण देते हुए कहा था कि वित्त वर्ष 2013-14 से राज्य का रेवेन्यू सरप्लस बना हुआ है. आम आदमी पार्टी साल 2015 में पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सत्ता में आई. इससे पहले, साल 2013 में कांग्रेस के बाहरी समर्थन से 49 दिनों तक सत्ता में थी.


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‘कड़ी चुनौती’

अमृतसर के गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर राम सिंह घुमान के मुताबिक, आप की सरकार को वित्तीय मोर्चे पर ‘कड़ी चुनौतियों’ का सामना करना होगा.

घुमान ने दिप्रिंट को कहा, ‘मेरे अनुमान से, अगर सरकार लीकेज और (टैक्स) चोरी रोकने में 100 फीसदी कामयाब होती है, तब जाकर वह बिना अतिरिक्त टैक्स लगाए हुए 38,500 करोड़ रुपये जुटा सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे अनुमान के मुताबिक, अगर अलग-अलग करके देखें तो, उत्पाद शुल्क से 5,000 करोड़ रुपये ज्यादा, जीएसटी से 9,000 करोड़ रुपये ज़्यादा, खनन से 3,000 करोड़ रुपये ज़्यादा, स्टाम्प और पंजीकरण शुल्क से 2,000 करोड़ रुपये ज़्यादा, संपत्ति कर से 3,000 करोड़ रुपये ज़्यादा, पेशेवर कर से 1,500 करोड़ रुपये ज़्यादा, बिजली चोरी रोकने से 1,500 करोड़ रुपये ज़्यादा, परिवहन और केबल से 2,500 करोड़ रुपये ज्यादा, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में हो रही गड़बड़ी का पता लगाकर 1,000 करोड़ रुपये ज़्यादा और इसके साथ ही टैक्स की वर्तमान संरचना को युक्तिसंगत बनाकर और मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और एमएलए के गैर-जरूरी खर्चों को रोक कर अतिरिक्त 10,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं.’

घुमान ने कहा कि इसके बावजूद भी यह मुश्किल होगा.

उन्होंने कहा, ‘राज्य अपने रेवेन्यू का करीब 20 फीसदी हिस्सा सार्वजनिक बकाये के ब्याज के तौर पर भुगतान कर देता है. इसके बाद मुख्य कर्ज की राशि और उस पर लगने वाले ब्याज को मिलाकर कर्ज चुकाना है.’

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में पंजाब का अनुमानित रेवेन्यू 95,257 करोड़ रुपये था. जिसमें से करीब 40 फीसदी कर्ज चुकाने में चला गया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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