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Sunday, 17 November, 2024
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BJP के मैदान जम्मू में आप का बिगुल, ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ और ‘दिल्ली मॉडल’ की हिट धुनें बजाईं

नेताओं का कहना है कि आप ने जम्मू में अपनी पहुंच बढ़ा दी है और उन्हें हिंदू बहुल जिलों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया भी मिल रही है. पार्टीं में पिछले 3 महीनों में 2,000 से ज्यादा स्वयंसेवक शामिल हुए हैं.

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जम्मू/सांबा/डोडा: हिमालय की तलहटी में बसे ठथरी गांव का डाक बंगला 8 जून की सुबह से गुलजार नजर आ रहा था. डोडा जिले का यह कोना जम्मू के सुदूर चिनाब घाटी क्षेत्र में आम आदमी पार्टी (आप) के आउटरीच बैठकों की एक सीरिज का पहला हिस्सा था जिसे लोगों की चहल-पहल ने आबाद बना दिया.

जैसे-जैसे सूरज आसमान में चढ़ता गया, डोडा और किश्तवाड़ जिलों के यहां-वहां मौजूद गांवों से सैकड़ों लोग बिल्डिंग में जमा होने लगे. कुछ उत्सुकता से वहां थे तो कुछ सड़कों की कमी, खराब स्वास्थ्य सेवाएं, लंबी बिजली कटौती, आस-पास पर्याप्त स्कूल का न होना जैसी अपनी समस्याओं को सुनाने के लिए यहां आए थे.

आप पार्टी कार्यकर्ता और जिला विकास पार्षद मेहराज मलिक ने दोपहर में डाक बंगले पर सभा को संबोधित करते हुए उनकी इन समस्याओं का एक ही हल सुझाया: एक राजनीतिक विकल्प.

उन्होंने अपने संक्षिप्त संबोधन में कम से कम तीन बार आप के ‘दिल्ली मॉडल’ का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘अगर यह पंजाब में काम करता है, तो यह जम्मू में भी काम कर सकता है’. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने गांवों में इस बात का प्रसार करें.

ठठरी डाक बंगले में बैठक को संबोधित करते डोडा से आप के जिला विकास पार्षद मेहराज मलिक | मनीषा मंडल | दिप्रिंट

आप 2015 से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है लेकिन इस साल मार्च में राजधानी के बाहर पार्टी के कदमों की जोरदार आहट सुनाई दी. उन्होंने पंजाब में चुनाव जीता और 117 में से 92 सीटों पर जीत हासिल कर अपने नाम कर लीं.

पार्टी अब अपने कदमों को राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए पहले से कहीं अधिक सक्रिय नजर आ रही है. वह इस साल के अंत में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और कई अन्य राज्यों में प्रभारी भी नियुक्त किए हैं.

चुनाव आयोग द्वारा पिछले महीने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए अपनी परिसीमन प्रक्रिया – चुनावी सीमाओं को फिर से परिभाषित करना – पूरा करने की घोषणा के बाद, जम्मू भी उनकी लिस्ट में जुड़ गया है. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों को निलंबित कर दिया गया था लेकिन अब निकट भविष्य में चुनावों की संभावना बढ़ गई हैं.

ठथरी की बैठक दो महीने बाद हुई जब पार्टी ने आधिकारिक तौर पर डोडा जिले में एक रैली के साथ जम्मू में अपनी उपस्थिति दर्ज की. यहां लोगों की भीड़ आप नेताओं के लिए भी आश्चर्यचकित करने वाली थी.

आप की राजनीतिक मामलों की समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘रैली में किसी भी बड़े नेता ने भाग नहीं लिया था. यह पूरी तरह से स्थानीय स्वयंसेवकों की मेहनत का नतीजा थी. जब पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो देखा तो वह भी हैरान रह गए. इससे हमें जम्मू में विस्तार की संभावनाओं को जानने में मदद मिली.’

जैसा कि पार्टी बाकी राज्यों में कर रही है, यहां भी उसका फोकस अपने विकास ‘मॉडल’ को बढ़ावा देने पर ही है. वह मॉडल  जो स्कूलों, अस्पतालों, बिजली-पानी की आपूर्ति, सड़कों को ठीक करने और ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ राजनीति की बात कहता है. हालांकि पार्टी अपने स्वयं के ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के ब्रांड का भी फायदा उठाने में लगी है. इसके लिए उसकी नजर उन लोगों पर है जो अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद, पिछले कुछ सालों से भाजपा से दूर जाते नजर आने लगे हैं.

जम्मू में AAP नेता कुलदीप कुमार राव ने दिप्रिंट को बताया, ‘लोगों का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी की राजनीति से अपना मोहभंग कर चुका है. उन्हें मौजूदा क्षेत्रीय दलों से भी कोई उम्मीद नजर नहीं आती. जम्मू में आप उन्हें अपने पक्ष में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है’

उन्होंने कहा कि अब तक की प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही है.

जम्मू में भी आम आदमी पार्टी अपने साथ कुछ ही जाने-पहचाने चेहरे होने और अभी तक मुसलमानों का रुख अपनी तरफ करने के रास्ते न तलाश कर पाने जैसे मुद्दों का सामना कर रही है.

बदलते राजनीतिक मिजाज

ठथरी में डाक बंगले के ठीक बाहर एक सार्वजनिक ट्यूबवेल से जार में पानी भरने के लिए गांव वालों की एक लंबी कतार लगी है. उनके मुताबिक यह इलाके में 200 से ज्यादा परिवारों के लिए पानी का एकमात्र स्रोत है.

इस तरह के मुद्दे दूर-दराज के क्षेत्र में आम हैं. लोगों ने कहा कि वे एक बदलाव चाहते हैं लेकिन उन्हें यकीन नहीं है कि आप उनकी इस समस्या को हल करने के लिए अगुआई कर पाएगा.

गुर्जर समुदाय से ताथरी के रहने वाले सलीम दीन ने कहा, ‘हम पिछले कुछ महीनों से इलाके में आप की मौजूदगी देख रहे हैं. इस क्षेत्र के लोग बदलाव चाहते हैं लेकिन हम यह आकलन कर रहे हैं कि क्या आप उस बदलाव को कर पाने में सक्षम है जिसका वह वादा कर रही है.’

हालांकि आप नेता कुलदीप कुमार राव को भरोसा है कि पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड उसके पक्ष में काम करेगा.

उन्होंने कहा, ‘जब बेहतर स्कूलों, अस्पतालों, पानी, बिजली, सड़कों आदि के लिए काम करने की बात आती है तो आप एक विश्वसनीय पार्टी के तौर पर नजर आती है. जम्मू के पहाड़ी इलाकों में ऐसी सुविधाओं की कमी हमें यहां विस्तार की उम्मीद देती है.’

उत्तराखंड (जहां वह 2022 के चुनाव हार गई) में वह इसी मुद्दे के साथ चुनाव लड़ी थी और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में भी पार्टी इसी रास्ता को अपनाना चाहती है, जहां इस साल के अंत में उसकी चुनाव लड़ने की योजना है.

जीत के लिए वह उधमपुर, सांबा, कठुआ और जम्मू जैसे हिंदू-बहुल मैदानी जिलों में बीजेपी से मोहभंग कर चुके लोगों पर निर्भर है. इन क्षेत्रों में तीन साल पहले अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर जश्न मनाया गया था, लेकिन राजनीतिक मूड अब उतना उत्साहजनक नहीं है.

जम्मू में आप कार्यालय. पार्टी ने शहर के एक पॉश इलाके में भूतल को ऑफिस किराए पर लिया है | मनीषा मंडल | दिप्रिंट

सांबा जिले के विजयपुर विधानसभा क्षेत्र के निवासी अरुण शर्मा ने कहा, ‘उम्मीद थी कि केंद्र में भाजपा सरकार के यहां नियंत्रण करने के साथ चीजें बदल जाएंगी, लेकिन हमारी उम्मीदें पूरी नहीं हुईं. बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है, आमदनी कम हो गई है और कारोबार के हालात भी ठीक नहीं हैं.’

इसी तरह की चिंताओं को साझा करते हुए, जम्मू शहर के निवासी बृजेश सान्याल ने कहा: ‘एक तरफ लोग कीमतों में बढ़ोतरी और आय में गिरावट के कारण निराश हैं. दूसरी ओर, उन्हें खराब स्वास्थ्य सुविधाओं, स्कूलों की खराब स्थिति, टूटी-फूटी सड़कों, लंबी और अनिश्चित बिजली कटौती आदि जैसी पुरानी समस्याओं का कोई अंत होते नहीं दिख रहा हैं.’

2015 में अपनी स्थानीय इकाई की स्थापना के बाद से आप जम्मू में है. लेकिन उसने यहां कभी कोई सीट नहीं जीती.

पार्टी के पदाधिकारियों के अनुसार, वास्तव में यह इकाई अब जीवंत हो रही है, जिसमें पिछले तीन महीनों में 2,000 से ज्यादा स्वयंसेवक शामिल हुए हैं.

पार्टी ने अभी तक जम्मू में आधिकारिक तौर पर प्रभारी नियुक्त नहीं किए हैं. और न ही अब तक ब्लॉक, विधानसभा क्षेत्र और जिला स्तर पर पदाधिकारियों को नामित किया है.


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हिंदू अपील

जम्मू में आप के कई क्षेत्रीय नेताओं ने दावा किया कि पार्टी को हिंदू बहुल जिलों में सबसे अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. ये वही इलाके हैं जहां बीजेपी को केंद्र शासित प्रदेश में सबसे ज्यादा समर्थन हासिल है.

हाल ही में आप में शामिल हुए जम्मू-कश्मीर सरकार के पूर्व मंत्री और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के विधायक यशपाल कुंडल ने कहा, ‘बड़ी संख्या में लोग जिन्होंने कभी बीजेपी को वोट दिया था, लेकिन अब पार्टी से तंग आ चुके हैं, उन्हें आप में एक विकल्प दिखाई दे रहा है.’

सांबा जिले में रहने वाले कुंडल के मुताबिक, आप के भाषणों में हिंदुओं को आकर्षित करने के लिए बहुत कुछ है.

उन्होंने कहा, ‘आप अयोध्या में मंदिर निर्माण का समर्थन करने, देशभक्ति और राष्ट्रवाद के विचारों का समर्थन करने और कश्मीरी हिंदुओं की चिंताओं को उठाने में बहुत मुखर रही है. जम्मू में यह एक संवेदनशील विषय है.’

आप अध्यक्ष और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कुछ समय से कश्मीरी पंडितों पर अपना पक्ष रख रहे हैं.

25 मार्च को दिल्ली विधानसभा में एक भाषण में केजरीवाल ने भाजपा पर समुदाय के लिए ज्यादा कुछ न करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि विवादित फिल्म द कश्मीर फाइल्स के निर्माताओं को फिल्म से होने वाली कमाई को कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए दान कर देनी चाहिए.

पिछले एक हफ्ते में  केजरीवाल ने दुख में डूबे कश्मीरी पंडितों के बारे में एक से ज्यादा बार बात की और दावा किया कि भाजपा स्थिति को ‘संभाल’ नहीं सकी है. घाटी में आतंकवादियों द्वारा कथित तौर पर निशाना बनाए जा रहे हिंदुओं के लिए आप ने 5 जून को घाटी मोमबत्ती की रोशनी में चौकसी की थी.

मुसलमानों के बीच कम झुकाव

जम्मू-कश्मीर के हिंदुओं पर अपना फोकस करते हुए आप को डोडा, किश्तवाड़, पुंछ और राजौरी जैसे जिलों में भी मजबूती से पैर जमाना है, जहां अपेक्षाकृत अधिक मुस्लिम आबादी है.

जम्मू-कश्मीर आप के संस्थापक सदस्य दीप सिंह के अनुसार, इन इलाकों में पार्टी के नेताओं को अक्सर स्थानीय लोगों द्वारा अनुच्छेद 370 पर उनके रुख और मुसलमानों से संबंधित मुद्दों के बारे में सवालों का सामना करना पड़ता है.

2019 में  केजरीवाल ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले का समर्थन किया था. साथ ही  पिछले दो सालों में मुस्लिम समुदाय की चिंता के मामलों में आप की राजनीतिक शब्दावली में साफतौर पर बदलाव आया है. पार्टी नेताओं के अनुसार, – यह एक रणनीति है जो भाजपा से जुड़े उन मतदाताओं को लुभाने की कोशिश है जिनका उनके शासन से मोहभंग हो गया है.

दीप सिंह ने कहा, ‘यही कारण है कि इस समय डोडा, किश्तवाड़, पुंछ और राजौरी जैसे जिलों में पार्टी की विकास गति बाकी इलाकों की तुलना में धीमी है लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं. हिंदू और मुस्लिम बहुल दोनों जिलों में पार्टी को मजबूत किए जाने की जरूरत है.’

‘दिशाहीन राजनीति और किसी मजबूत चेहरे का न होना’

आम आदमी पार्टी की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती. एक धारणा यह भी है कि इस समय जम्मू में पार्टी की इकाई में दिशा का अभाव है.

डोडा शहर के एक व्यवसायी जावेद इश्ताक ने कहा: ‘हम उन्हें (आप) रैलियां करते हुए देखते हैं. वे पिछले तीन महीने से सक्रिय हैं. उनमें से ज्यादातर युवा हैं जो साफतौर पर अपने जीवन में  कुछ करना चाहते हैं. इसलिए शोर बहुत होता है लेकिन उन रैलियों में आप के ज्यादातर राजनीतिक कार्यकर्ताओं को यह पता ही नहीं होता कि वे वास्तव में क्या संदेश देना चाहते हैं. उनमें निर्देशन की निश्चित कमी है.’

कुछ लोगों ने यह भी बताया कि जम्मू में आप के पास अभी भी स्थानीय नेतृत्व का अपना कोई चेहरा नहीं है.

जम्मू स्थित पूर्व सरकारी कर्मचारी तुलसी भट ने कहा,’जम्मू की राजनीति में लोग उन पार्टियों पर भरोसा करते हैं जिनके पास मजबूत नेता होते हैं. आप के पास अभी तक ऐसा कोई नेता नहीं है.’

इस समय जम्मू में पार्टी के पास सबसे प्रमुख चेहरे जम्मू और कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (JKNPP) के पूर्व नेता हैं. इनमें यशपाल कुंडल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व शिक्षा मंत्री हर्ष देव सिंह और पूर्व विधायक बलकांत सिंह मलकोटिया शामिल हैं. हालांकि, जेकेएनएनपी ने पिछले कुछ सालों में बड़ी अंदरूनी लड़ाई देखी है और 31 मई को इसके प्रमुख भीम सिंह की मृत्यु हो जाने पर इसे और झटका लगा.


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राजनीतिक विरोधी सतर्क लेकिन संशय में

राजनीतिक विरोधियों ने जम्मू में आप की गतिविधियों पर खासकर 10 मार्च को पंजाब की जीत के बाद से ध्यान देना शुरू किया है.

जम्मू को गढ़ मानने वाली बीजेपी विशेष रूप से सतर्क है.

भाजपा ने 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में जम्मू डिवीजन की 37 में से 25 सीटें जीती थीं .यह संख्या 2008 के विधानसभा चुनावों में जीती गई सीटों से 11 ज्यादा थी. परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू सब डिवीजन में सीटों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है.

भाजपा के जम्मू स्थित एक वरिष्ठ नेता ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘हमें इस बात का डर नहीं है कि आप जम्मू को हमसे छीन लेगी. चिंता की बात यह है कि वे हिंदू बहुल विधानसभा सीटों पर हिंदू वोटों को बांट सकते हैं, जो हमारा गढ़ रहा है. हमारी पार्टी के पास विधानसभा चुनाव होने के बाद, अब जम्मू-कश्मीर में एक हिंदू मुख्यमंत्री की नियुक्ति का एक बड़ा मकसद है और उसके लिए जम्मू डिविजन पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.’

एक अन्य जिला स्तर के भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किस तरह पार्टी क्षेत्र में आप की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए हाल ही में जम्मू में कई आउटरीच कार्यक्रम आयोजित कर रही है.

जिला-स्तरीय नेता ने बताया, पिछले तीन हफ्तों में पूर्व डिप्टी सीएम निर्मल सिंह, पूर्व मंत्री शाम लाल चौधरी और प्रिया सेठी जैसे भाजपा नेताओं और पार्टी के कई विधायकों ने जम्मू में शिकायत निवारण कार्यक्रम आयोजित किए. उनकी गतिविधियों में नौकरी के इच्छुक लोगों, संविदा कर्मचारियों और विश्वविद्यालय के छात्रों सहित बैठक समूहों के साथ-साथ ऐसे कार्यक्रम भी शामिल थे जहां निवासियों ने सार्वजनिक सुविधाओं के बारे में अपनी चिंताओं के बारे में बताया.

हालांकि जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रवक्ता सुनील सेठी ने इस विचार को खारिज कर दिया कि आप जम्मू में एक गंभीर दावेदार के रूप में उभर सकती है.

उन्होंने कहा, ‘मैं अगले 10 सालों में भी आप पार्टी को यहां एक विकल्प के रूप में उभरता हुआ नहीं देखता. इसके दो बड़े कारण हैं. सबसे पहला कारण यह कि यहां पहले से बहुत सारे क्षेत्रीय खिलाड़ी मौजूद हैं. और जम्मू में बहुत सारे क्षेत्रीय मुद्दे हैं जिसके लिए आप के पास अनुभव की कमी है. दूसरा, उनका यहां कोई नेतृत्व नहीं है. इस समय उनके पास जितने भी जाने-माने नेता हैं, वे नेशनल पैंथर्स पार्टी छोड़ने वाले लोग हैं – और उनमें से अधिकांश की सार्वजनिक रूप से साफ छवि नहीं है.’

जम्मू के एक कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस भी आप पर करीब से नजर रखे हुए है. उन्होंने बताया ‘अब तक एक पैटर्न है. आप जहां भी सत्ता में आती है, वह कांग्रेस के वोट आधार को कुचल देती है. हम भी अपने आउटरीच ड्राइव को बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं.’

जम्मू क्षेत्र में 2014 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सीटों की संख्या पिछले चुनाव की तुलना में 13 से घटकर पांच हो गई थी.

लेकिन जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला ने दावा किया कि पार्टी को आप से तत्काल कोई खतरा नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि आप के पंजाब चुनाव जीतने के बाद एक तरह की लहर थी लेकिन अब वहां के बिगड़ते कानून और हालात जम्मू में उनके विकास की संभावनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं. जम्मू क्षेत्र में कांग्रेस का एक स्थापित नेतृत्व है. हमें कोई खतरा नजर नहीं आ रहा. लेकिन क्षेत्र में आप को लेकर भाजपा की चिंताएं समझ में आती हैं क्योंकि सत्ता विरोधी लहर साफ दिखाई दे रही है.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के प्रवक्ता तजीम डार ने कहा, ‘हमें आप से फिलहाल कोई खतरा नहीं दिख रहा है, लेकिन जाहिर तौर पर बीजेपी को ऐसा लगता है. आप पार्टी इस समय विशेष रूप से हिंदू क्षेत्रों में लोकप्रियता हासिल कर रही है. इसका एक कारण है कि वे आस्था से जुड़े खास मसलों पर राजनीतिक रुख के संदर्भ में भाजपा को दोहराते हैं. इसलिए भाजपा को डर है कि आप जम्मू संभाग में उनके वोटों का एक हिस्सा छीन सकती है.’

जम्मू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की पूर्व प्रोफेसर रेखा चौधरी ने कहा कि जम्मू में ‘राजनीति और नेतृत्व का खालीपन’ आप के फायदे के लिए काम कर सकता है.

उन्होंने कहा, ‘लोग भी बदलाव चाहते हैं. इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि आप जैसी पार्टी के लिए यहां जगह है.

हालांकि, इस समय इस बात को लेकर स्पष्टता का अभाव है कि उन्होंने (आप) वास्तव में इस क्षेत्र में कितना काम किया है. साथ ही, नेशनल पैंथर्स पार्टी जैसी पार्टियों के बहुत से राजनेता बड़ी संख्या में आप में शामिल हो रहे हैं, जो उसी पुरानी अंदरूनी कलह के लिए जगह खोलता है. यह आप के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. अगर वे जम्मू की राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की इच्छा रखते हैं, तो उन्हें पार्टी की संगठन संरचना पर काफी काम करना होगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )


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