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Thursday, 25 April, 2024
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चुनाव के पहले दलित केंद्रित कार्यक्रम के जरिए ‘आप’ की राजनीति जातिरहित टैग को हटाती दिख रही है

अपने ‘आउट रीच’ कार्यक्रम के तहत ‘आप’ दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में ‘दलित बस्ती’ कार्यक्रम का आयोजन करेगी. इस के जरिए समुदाय की समस्याओं का समाधान किया जाएगा.

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नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी की शासन आधारित राजनीति में बदलाव नजर आने लगा है. राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को आप ने ‘दलित आउट रीच’ कार्यक्रम की शुरुआत की.

आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र पार्टी दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में ‘दलित बस्ती’ कार्यक्रम का आयोजन करेगी. इस कार्यक्रम के जरिए समुदाय की समस्याओं का समाधान किया जाएगा.’

सीमापुरी, गोकलपुर, करोलबाग और त्रिलोकपुरी जैसे आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाएगा.

पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बताया, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सामाजिक कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम के साथ हाल ही में आयोजित बैठक में कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया. कार्यक्रम जल्द से जल्द शुरू होगा.

इस सम्बध में एक पायलट प्रोजेक्ट लगभग सप्ताह भर पहले ही शुरू किया जा चुका था. दो सप्ताह पहले सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों और आप नेताओं ने समुदाय के सदस्यों से मुलाकात कर उनकी प्रतिक्रिया जानी.

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आप का यह कदम दो साल पहले के चुनावी मुद्दों से बहुत दूर नज़र आता है, जब केजरीवाल जाति और धर्म की बजाय शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर चुनाव लड़ने को तरजीह देते थे.


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क्या है कार्यक्रम

पार्टी सूत्रों ने बताया, कार्यक्रम के लाभों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए पार्टी ने एससी/एसटी पृष्ठभूमि से आने वाले स्वयंसेवकों का 3 ग्रुप बनाया है. जो नवम्बर के अंत तक प्रतिदिन कम से कम दो सभाओं को संबोधित करेंगे.

दिल्ली विधानसभा में अब तक समुदाय के लिए कांग्रेस और भाजपा सरकारों ने जो कुछ किया है उसका डाटा इकट्ठा करने के अलावा पार्टी आने वाले समय में दलितों के लिए पेश की जाने वाली स्कीम के संदर्भ में सुझाव भी मांगेगी.

कार्यक्रम के एक अंश के रूप में पार्टी के स्वयंसेवक समुदाय के लिए आप सरकार द्वारा लागू इस योजना को प्रचारित करेंगे जिसमें ‘जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना’ भी शामिल है.

पिछले साल लागू इस स्कीम का उद्देश्य एससी/एसटी छात्रों को संघ लोक सेवा आयोग, दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड और अन्य संस्थानों द्वारा आयोजित परीक्षाओं की मुफ्त कोचिंग प्रदान करना था.

3 सितम्बर को दिल्ली कैबिनेट ने अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के छात्रों को भी इस योजना के तहत शामिल किया और प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए वित्तीय सहायता को 40,000 से बढ़ा कर 1 लाख रुपए कर दिया.

सामाजिक कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा, योजना के लिए ऑनलाइन पोर्टल छात्रों के दस्तावोजों जैसे आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र के वेरीफिकेशन में बर्बाद होने वाले समय की बचत करेगा. सरकार सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सिस्टम के माध्यम से सीधे छात्रों के बैंक खाते में वित्तीय सहायता भेजने और बायोमैट्रिक उपस्थिति के बारे में विचार कर रही है.

मंत्रालाय ने इस स्कीम के तहत विशेष छात्रों के अवेदन भी आमंत्रित किए हैं ताकि उन्हें भी भर्ती करने की संभावनाओं की समीक्षा की जा सके.

अंबेडकर से संबंध

कार्यक्रम के एक भाग के रूप में समाज कल्याण मंत्रालय ने अर्थशास्त्री और समाज सुधारक भीम राव आंबेडकर पर एक छोटी पुस्तिका छापने की सिफारिश भी की है.

गौतम ने दिप्रिंट को बताया, समुदाय के सदस्यों के साथ बात-चीत में मिली प्रतिक्रिया से हमने महसूस किया कि जिन लोगों के लिए अंबेडकर ने अभियान चलाया उन लोगों के बीच उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरूरत है. इसलिए हमने देशभक्ति पाठ्यक्रम में अंबेडकर के जीवन पर आधारित 3 अध्याय वाली पुस्तिका कक्षा 6,7 और 8 के लिए चलाने की सिफारिश की है.

अरविंद केजरीवाल की सरकार ने छात्रों में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए अगले सत्र से देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है.

सर पर हैं चुनाव

आप सरकार का दलित आउटरीच कार्यक्रम समुदाय की सहायता करने का एक तार्किक कदम है.

अगस्त में जब दलितों ने तुगलकाबाद में संत रविदास मंदिर को ढहाने के कोर्ट के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया तो ‘आप’ ने भी दिल्ली विकास प्राधिकरण के विरुद्ध आन्दोलन का समर्थन किया था.

राजनीतिक विश्लेषक आपूर्वानंद का मानना है कि यह कदम नया नहीं है पार्टी ने कभी खुद को जातिगत मुद्दों से दूर नहीं रखा है.


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उन्होंने कहा, ‘उम्मीदवारों का चयन हो या चुनावी मुद्दे जाति का पक्ष हमेशा ही मौजूद रहा. आप के पूर्व नेता आशुतोष का ही उदाहरण ले लीजिए…उन्हें वोट के लिए अपना उपनाम ‘गुप्ता’ को इस्तेमाल करना के लिए कहा गया था.

भारतीय लोकतंत्र में जाति की केंद्रीयता के कारण कोई भी पार्टी जाति तटस्थ नहीं है.

कांग्रेस के दलित नेता उदित राज ने स्वयं कहा, आप इस कार्यक्रम के जरिए उन वादों की भरपाई करना चहती है जो उसके घोषणा पत्र में थे जिन्हें पूरा नहीं किया गया.

राज ने दिप्रिंट को बताया, अब चुनाव नजदीक है तो यह तो होना ही है. हालांकि उन्होंने स्कूल के पाठ्यक्रम में आंबेडकर के पाठ को शामिल करने के कदम का स्वागत किया.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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