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Tuesday, 5 November, 2024
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कृषि कानून विरोध प्रदर्शन में किसानों पर दर्ज थे 54 केस, AAP सरकार ने 17 को वापस लेने की दी मंजूरी

इनमें पिछले साल गणतंत्र दिवस पर लाल किले में हिंसा की घटना से संबंधित मामला भी शामिल है. केंद्र सरकार ने आंदोलनकारियों को अपना प्रदर्शन खत्म करने पर राजी करने के लिए जो आश्वासन दिए थे, मामले वापस लेना भी उनमें एक था.

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नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल सरकार ने पिछले साल कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के खिलाफ पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए 17 मामलों को वापस लेने के लिए अपनी मंजूरी दे दी, जिसमें गणतंत्र दिवस पर लाल किले में हिंसा से जुड़ा केस भी शामिल है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

तीन विवादास्पद कृषि कानूनों—जिन्हें पिछले साल नवंबर में रद्द कर दिया गया—के खिलाफ आंदोलन को लेकर दर्ज मामलों की वापसी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तरफ से दिए उन आश्वासनों में से एक है जो किसान समूहों के साथ समझौते को निर्णायक मुकाम पर पहुंचाने में मददगार बने. करीब एक साल तक दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले रहे किसानों ने 9 दिसंबर, 2021 को अपना आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था.

दिप्रिंट की नजर में आए दस्तावेजों के मुताबिक, अब तक, दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए नवंबर 2020 और दिसंबर 2021 के बीच दर्ज 54 में से 17 मामलों की पहचान की है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि दिल्ली पुलिस बाकी 37 मामलों की फिलहाल समीक्षा कर रही है और उन्हें वापस लेने के संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है.

दिल्ली पुलिस ने 17 मामले रद्द करने संबंधी प्रस्ताव की फाइल 28 जनवरी को उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल की मंजूरी के लिए भेजी थी. दस्तावेजों से पता चलता है कि इसके बाद बैजल ने दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन की मंजूरी के लिए फाइल 31 जनवरी को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को भेजी.

1 से 15 फरवरी के बीच फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग जाती रही और 16 फरवरी को शाम 4 बजे सत्येंद्र जैन के कार्यालय पहुंची—यह सब ऐसे समय हुआ जब आप के शीर्ष नेता पंजाब में चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, जहां किसानों का आंदोलन एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था. पंजाब में 20 फरवरी को मतदान हुआ था.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि जैन की मंजूरी के बाद फाइल सोमवार शाम उपराज्यपाल के कार्यालय पहुंचा दी गई.

गौरतलब है कि किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन सितंबर 2020 में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों ने शुरू किया था. प्रदर्शनकारियों, जिनमें ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से थे, ने नवंबर 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल दिया था और नवंबर 2021 में इन कानूनों को निरस्त किए जाने के ऐलान के बाद ही अपना विरोध प्रदर्शन खत्म किया.

आंदोलन के दौरान चार राज्यों—पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली—में बड़े पैमाने पर पुलिस केस दर्ज किए गए थे. ये सभी राज्य अब तक या तो मामले वापस लेने की घोषणा कर चुके हैं या फिर इसकी प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं.

लाल किला और लोनी बॉर्डर मामला

वापसी के लिए निर्धारित मामलों में से एक पिछले साल 26 जनवरी को लाल किले पर हिंसा की घटना से संबंधित है.

दस्तावेजों में कहा गया है कि आंदोलनकारी किसानों ने पिछले साल गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टरों के काफिले के साथ राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था, जिसके कारण लाल किले की ओर जाते समय सड़कों पर हिंसा और तोड़फोड़ की घटना हुई थी.

दस्तावेजों के मुताबिक, करीब 200-300 प्रदर्शनकारी और 25 ट्रैक्टर लाहौरी गेट के रास्ते 17वीं शताब्दी के स्मारक के परिसर में दाखिल हुए और इस दौरान टिकट काउंटर, दरवाजे की चौखटों, मेटल डिटेक्टर और बैगेज स्कैनर आदि को क्षति पहुंचाई गई.

एक अन्य मामला उत्तर पूर्वी दिल्ली के ज्योति नगर थाने में उन किसानों के खिलाफ दर्ज किया गया था, जो 150-175 ट्रैक्टरों पर सवार होकर यूपी के लोनी बॉर्डर से राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश की कोशिश कर रहे थे. दस्तावेजों के मुताबिक, उन्होंने पुलिसकर्मियों की ड्यूटी में बाधा डाली और उनके साथ मारपीट की.

अधिकांश मामले नवंबर 2020 में शुरू हुए आंदोलन के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों के उल्लंघन को लेकर दर्ज किए गए थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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