नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) में बुधवार को एक प्रस्ताव पास किया जा सकता है, जिससे दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित एक अस्थाई ढांचे को कानूनी रूप मिल जाएगा, जो उस जगह खड़ा किया गया है, जहां एक हनुमान मंदिर हुआ करता था.
निगम ने 3 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर, चांदनी चौक में चल रही सौंदर्यीकरण योजना के तहत दशकों पुराने हनुमान मंदिर को गिरा दिया था.
ये अस्थाई ढांचा पिछले हफ्ते रातों-रात खड़ा कर दिया गया, जिसके लिए उत्तरी दिल्ली मेयर, बीजेपी के जय प्रकाश ने दावा किया कि ये काम ‘हनुमान भक्तों’ ने किया है.
मंगलवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सभी पार्टियों के बीच उस प्रस्ताव पर सहमति बन गई, जिसमें अस्थायी ढांचे को कानूनी दर्जा देने की बात कही गई है. ये प्रस्ताव बृहस्पतिवार को होने वाली, सदन की बैठक में पारित किए जाने की संभावना है. उसके बाद, इसे अंतिम स्वीकृति के लिए उप-राज्यपाल के पास भेजा जाएगा और फिर इसे लागू कर दिया जाएगा.
मेयर जय प्रकाश सिंह ने दिप्रिंट से इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा, ‘चूंकि बीजेपी और आप दोनों पार्टियां, मंदिर को कानूनी दर्जा देने के बारे में सहमत लग रही हैं, इसलिए हम भी अब इसे सियासी मुद्दा नहीं बनाएंगे, चूंकि सब लोग यही चाहते हैं’.
इस सबके बीच एक पत्र सामने आया है, जो चांदनी चौक सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल को लिखा है. 21 जनवरी को लिखे इस पत्र में सांसद ने मांग की है कि हनुमान मंदिर का चांदनी चौक में, उसी सेंट्रल वर्ज पर फिर से निर्माण किया जाए, जहां वो पहले मौजूद था.
मुद्दे से शुरू हुई थी राजनीतिक खींचतान
इस मुद्दे पर जनवरी में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और बीजेपी के बीच खींचतान शुरू हो गई थी, जिसका एनडीएमसी पर नियंत्रण है, वो नागरिक एजेंसी जिसने मंदिर गिराने का काम अंजाम दिया था.
लेकिन, मेयर प्रकाश ने कहा कि पार्टियों ने अब अपने मतभेद खत्म कर दिए हैं और उनमें आम सहमति बन गई है.
प्रकाश ने कहा, ‘हम एक सकारात्मक सोच के साथ, फैसले को समर्थन देने पर सहमत हो गए. बहुमत में रहने की वजह से हम खुद इस प्रस्ताव को पारित करा सकते थे लेकिन हम हर किसी को साथ लेकर चलना चाहते थे’.
उन्होंने आगे कहा, ‘अंतिम मंज़ूरी के लिए हम प्रस्ताव को दिल्ली सरकार के पास भेजेंगे और धार्मिक कमेटी को भी भेजेंगे, ताकि मंदिर को एक कानूनी दर्जा दिया जा सके’.
उन्होंने कहा, ‘अलग-अलग पार्टियों के नेता, वैसे भी वहां जाकर पूजा कर रहे हैं’.
सदन में नेता प्रतिपक्ष, आप के विकास गोयल ने भी कहा कि वो भी इस बात के इच्छुक हैं कि ढांचे को एक कानूनी दर्जा दिया जाना चाहिए.
लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसी पार्षद मुकेश गोयल ने मेयर पर सवाल उठाए कि ढांचा गिराए जाने को लेकर जब नगर निकाय ने दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था, तो उस समय एक सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाई गई.
गोयल ने कहा, ‘जब मंदिर को अतिक्रमण बताया जा रहा था, तो आप और बीजेपी दोनों, एक दूसरे पर दोषारोपण में लगे हुए थे. उनमें से किसी ने वास्तव में ढांचे को बचाने की कोशिश नहीं की’. उन्होंने आगे कहा, ‘और अब, वो सब नए ढांचे का श्रेय लेने के लिए उतावले हो रहे हैं’.
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