नई दिल्ली: गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में आम आदमी पार्टी (आप) के अपनी पूरी ताकत झोंक देने को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने लिए फायदेमंद मान रही है. भाजपा को लग रहा है कि इससे सत्तारूढ़ दल को खासकर उन सीटों पर बढ़त हासिल हो सकती है जहां 2017 में उसे मामूली अंतर से कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, भाजपा के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह ने इस सप्ताह के शुरू में अपनी सौराष्ट्र यात्रा के दौरान पार्टी नेताओं से दो टूक कह दिया है कि आप को ‘बहुत ज्यादा मजबूती से नहीं उभरने’ दिया जाना चाहिए और उसका वोटशेयर सीमित रखने के प्रयास किए जाने चाहिए.
2017 में पाटीदार आंदोलन ने पटेल बहुल सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र में भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाया था और उसे क्षेत्र की कुल 54 सीटों में से 23 पर ही सफलता मिली थी, जबकि 2012 के विधानसभा चुनावों में उसने यहां 35 सीटें जीती थीं. पार्टी को इस बार उम्मीद है कि आप के कारण यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने का फायदा सत्तारूढ़ दल को ही मिलेगा.
इस बीच, भाजपा ने हिमाचल प्रदेश की तरह ही गुजरात में भी अपने मौजूदा विधायकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन शुरू कर दिया है और इसके लिए कैडर से फीडबैक लिया जा रहा है.
इस काम के लिए पार्टी ने राज्य को चार क्षेत्रों दक्षिण, मध्य, उत्तर और सौराष्ट्र में बांटा और हर क्षेत्र के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए. पर्यवेक्षकों को 27 से 29 अक्टूबर के बीच स्थानीय पार्टी पदाधिकारियों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत का जिम्मा सौंपा गया था.
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‘अति-आत्मविश्वास से बचें’
भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह ने आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने के सिलसिले में इस हफ्ते के शुरू में सौराष्ट्र में पार्टी नेताओं के साथ मैराथन बैठकें कीं.
पार्टी पदाधिकारियों के मुताबिक, इस दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा को अपने दोनों ही राजनीतिक विरोधियों कांग्रेस और आप को गंभीरता से लेना चाहिए. अपना नाम न छापने की शर्त पर राज्य भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से कड़ी मेहनत करने और अति-आत्मविश्वास से बचने को कहा गया है. हमें 150 सीटों का लक्ष्य दिया गया है और बैठक में अमित शाह जी ने कहा कि कुछ सीटों, खासकर सौराष्ट्र क्षेत्र में, पर त्रिकोणीय मुकाबला पार्टी के लिए फायदेमंद होगा.’
जानकारी के मुताबिक, अमित शाह ने यह भी कहा कि भाजपा को हर सीट के लिए अलग रणनीति बनानी चाहिए.
लेकिन पार्टी को भरोसा है कि 2017 में उसे जिन प्रमुख सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, वहां आप वोट-कटवा साबित हो सकती है. ऊपर उद्धृत नेता ने कहा, ‘ऐसी कई सीटें हैं जहां हम महज हजार-दो हजार वोटों के अंतर से हारे थे और कांग्रेस मजबूत होकर उभरी थी. कांग्रेस का वोट काटने के लिए पार्टी कुछ निर्दलीयों पर निर्भर थी लेकिन अब यह काम आप करेगी. आप के मैदान में होने से भाजपा की तुलना कांग्रेस को कहीं अधिक नुकसान होगा.’
उदाहरण के तौर पर, 2017 में भाजपा जिन सीटों पर एकदम मामूली अंतर से कांग्रेस से हारी उनमें आदिवासी-बहुल दो सुरक्षित सीटें डांग (768 वोट) और कपराडा (170 वोट) भी शामिल है.
राज्य कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘कांग्रेस ग्रामीण इलाकों, खासकर सौराष्ट्र क्षेत्र में मजबूत होकर उभरी थी. हम देख सकते हैं कि आप इस क्षेत्र में मुकाबले में नजर आ रही है और उसकी तरफ से हमारे नेताओं को तोड़ने की कोशिश भी की गई है. आप इस खास बेल्ट और आदिवासी इलाकों में मुकाबला त्रिकोणीय बनाकर हमारी संभावनाओं को धूमिल करने की कोशिश कर रही है.’
सौराष्ट्र से गुजरात कांग्रेस के एक प्रमुख नेता इंद्रनील राजगुरु इसी साल अप्रैल में अरविंद केजरीवाल की आप में शामिल हुए थे. वहीं, पाटीदार आरक्षण के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले पूर्व राज्य कांग्रेस प्रमुख हार्दिक पटेल जून में भाजपा में शामिल हो गए थे.
‘भाजपा 20-25% नए चेहरे उतार सकती है’
1995 से ही गुजरात में सत्तासीन भाजपा 2017 की अपनी टैली में सुधार की कोशिश में जुटी है, जब कांग्रेस ने 77 सीटें जीतीं और सत्तारूढ़ दल को 99 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. इस बार भाजपा का लक्ष्य 182 सदस्यीय सदन की 150 सीटों पर जीत हासिल करने का है.
गुजरात भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पार्टी 20-25 फीसदी नए चेहरों को मौका दे सकती है. उन्होंने कहा, ‘विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का फोकस ‘नो-रिपीट’ मंत्र के बजाये जीत पर केंद्रित होगा. यदि उम्मीदवार के जीतने की संभावना है, तो फिर से टिकट न देने की थ्योरी उसकी राह में आड़े नहीं आएग. उम्मीद है कि अब केवल 45-50 नए चेहरे ही मैदान में उतरेंगे.’
भाजपा के एक तीसरे नेता ने कहा कि आप सौराष्ट्र क्षेत्र में कुछ विशिष्ट समुदायों पर ध्यान केंद्रित करके कई सीटों पर लाभ की स्थिति में आने में सक्षम होगी. साथ ही जोड़ा कि मुकाबला त्रिकोणीय होने पर नतीजे भाजपा के पक्ष में रह सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि आप का फोकस खासकर उन ग्रामीण और आदिवासी इलाकों पर है, जहां 2017 में कांग्रेस को अधिक समर्थन मिला था और भाजपा को अभी वहां कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. खासकर गौशालाओं के रखरखाव से जुड़ा मुद्दा यहां भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है.
अप्रैल में आप ने अपने आंतरिक सर्वेक्षण के हवाले से दावा किया था कि वह गुजरात में 58 सीटें जीतने जा रही है. गुजरात में पार्टी के राज्य प्रभारी संदीप पाठक का भी कहना है कि आप को शहरी क्षेत्रों में निम्न और मध्यम वर्ग का वोट मिलने की उम्मीद है और साथ ही वह कांग्रेस से नाखुश ग्रामीण मतदाताओं को भी लुभाने में सफल रहेगी.
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