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Saturday, 21 December, 2024
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‘हमने बीजेपी छोड़ी, हिंदुत्व नहीं’: आदित्य की अयोध्या यात्रा, शिवसेना मुख्यधारा की राजनीति को फिर से हासिल करना चाहती है

बीजेपी और मनसे ने शिवसेना पर हिंदुत्व को छोड़ने का आरोप लगाया है. मंदिर शहर में ठाकरे के वंशज की 'तीर्थयात्रा' को वैचारिक जड़ों पर जोर देने वाले सेना के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.

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लखनऊ: लखनऊ और अयोध्या के बीच 135 किलोमीटर लंबे रास्ते में शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे की तस्वीर वाले सैकड़ों बड़े बड़े होर्डिंग लगे हैं, जिनमें उनके स्वागत वाले संदेश लिखे हैं.

बुधवार को, 32 वर्षीय ठाकरे अयोध्या के मंदिर शहर की अपनी पहलीबार अकेले आए हैं – कमंडल एकबार फिर से राजनीति के केंद्र में है और सैकड़ों शिव सैनिक पूरी चुस्ती से यहां तैनात दिखाई दे रहे थे.

राम मंदिर स्थल पर पूजा-अर्चना करने के बाद, आदित्य ठाकरे ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी यात्रा राजनीतिक नहीं थी, बल्कि एक तीर्थयात्रा थी. (हालांकि उनका स्वागत करने के लिए लगाए गए पोस्टर एक अलग ही कहानी कह रहे हैं, वहीं प्रमुख हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास को विचलित कर दिया.)

अपने पिता की महा विकास अघाड़ी सरकार में पर्यटन और पर्यावरण मंत्री ठाकरे ने कहा, ‘हम यहां शक्ति दर्शन (शक्ति प्रदर्शन) के लिए नहीं बल्कि भक्ति (पूजा) के लिए हैं.’

‘हमारा हिंदुत्व स्पष्ट है. हमने हमेशा कहा है, ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए,’ उन्होंने रामायण की चौपाई का हवाला देते हुए कहा कि यह रघुकुल की एक परंपरा थी – शाही वंश जिसमें भगवान राम का जन्म हुआ था – कि आप अपने जीवन की कीमत पर भी अपनी बात से पीछे न हटें.

यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने के लिए ठाकरे से पहले अयोध्या पहुंचे शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा था कि पार्टी ने कभी हिंदुत्व नहीं छोड़ा.

‘[हमने] बीजेपी छोड़ दी है. बीजेपी छोड़ने का मतलब हिंदुत्व छोड़ना नहीं है. हिंदुत्व और भाजपा दो अलग चीजें हैं. हिंदुत्व सबके लिए है. इसपर भाजपा या किसी एक पार्टी का एकाधिकार नहीं है.’

आदित्य ठाकरे की अयोध्या यात्रा ऐसे समय पर हुई है जब शिवसेना की पूर्व सहयोगी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के और उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना – की तरफ से पार्टी की आलोचना की जा रही थी.

भाजपा और मनसे दोनों ही शिवसेना पर हिंदुत्व को त्यागने का आरोप लगाते रहे हैं, साथ ही यह भी कहते हैं कि शिवसेना ने 2019 में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ महा विकास अघाड़ी का गठबंधन कर पार्टी के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांतों को ताक पर रख दिया है.

इस तरह के आरोपों का जवाब देने के लिए ही शिवसेना ने अपने हिंदुत्व पर जोर दे रही है .

साथ ही बुधवार को ठाकरे ने घोषणा की कि उनकी सरकार अयोध्या में ‘महाराष्ट्र भवन’ बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से जमीन मांग रही है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘महाराष्ट्र से बहुत सारे पर्यटक यहां राम लला के दर्शन के लिए तीर्थ यात्रा पर आते हैं, और हमने अनुरोध किया है कि हमारी यहां एक बिल्डिंग होनी चाहिए जहां वे रह सकें और दर्शन कर सकें.’

ठाकरे ने कहा कि शिवसेना की हिंदुत्व की राजनीति ऐसी है कि हमारे चुनावी मुद्दे या वादे जो भी हों, वे लोगों के सामने होते हैं और हम उन्हें पूरा करते हैं.


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हिंदुत्व की राजनीति

यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना अपनी पुरानी हिंदुत्व की राजनीति को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रही है, उन्होंने कहा, ‘यह हमारा हिंदुत्व है और यह स्पष्ट है.’

राउत ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि उसने सांप्रदायिक मुद्दों को उठाया और ‘बुलडोजर राजनीति’ का सहारा लिया, जब कई और महत्वपूर्ण समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं – जैसे कि बेरोजगारी, कश्मीर में लक्षित हत्याएं और 2020 से लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध भी चल रहा है.

यह दौरा इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जल्द ही बृहन्मुंबई नगर निगम चुनाव होने हैं, जो मानसून के बाद होने की संभावना है.

शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता, जो ठाकरे के साथ अयोध्या आए थे ने दिप्रिंट को बताया कि मंदिर शहर का दौरा करना ‘शुभ’ है खासकर यह देखते हुए कि उद्धव ठाकरे जुलाई 2019 में अयोध्या का दौरा करने के लगभग महज चार महीने बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए थे.

उद्धव मार्च 2020 में अपनी महा विकास अघाड़ी सरकार के 100 दिन पूरा करने के बाद एक बार फिर अयोध्या आए थे और कहा कि उनके जीवन में कुछ ‘अच्छी खबरें’ हमेशा उनके अयोध्या दौरे के बाद आई है.

आदित्य ठाकरे ने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर हम अच्छा काम करना चाहते हैं, तो राम लला के दर्शन राम राज्य लाने में मदद कर सकता है. इसलिए हम यहां आए हैं, ‘ उन्होंने कहा कि अयोध्या उनके परिवार और सेना के लिए एक पवित्र स्थान है.

प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर कि शिवसेना केवल महाराष्ट्र के बाहर हिंदुत्व के बारे में बात करती है, ठाकरे ने कहा कि पार्टी हिंदुत्व के बारे में ‘हर जगह’ और ‘हर समय’ बोलती है.

‘राज ठाकरे का दौरा रद्द होने का शिवसेना से कोई लेना-देना नहीं’

आदित्य ठाकरे की अयोध्या यात्रा को बीएमसी चुनावों से पहले मुंबई की महत्वपूर्ण उत्तर भारतीय आबादी के साथ अंतर को पाटने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है. कुल 236 सीटों में से उपनगरीय मुंबई की 40-50 सीटों पर उत्तर भारतीयों की एक बड़ी आबादी मौजूद है.

शिवसेना और बाद में, मनसे, दोनों ने प्रवासी विरोधी रुख के साथ महाराष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाया – शिवसेना का मुखर प्रवासी विरोधी रुख पिछले कुछ वर्षों में ही नरम हुआ है.

ठाकरे की अयोध्या यात्रा उनके चाचा और मनसे के संस्थापक राज ठाकरे के अयोध्या यात्रा रद्द करने के एक महीने से भी कम समय के अंदर हुई है. जब राज ठाकरे यात्रा करने जा रहे थे तो भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने ठाकरे को उनके प्रवासी विरोधी रुख को याद दिलाया था और उनसे माफी मांगने के बाद ही मंदिर दर्शन के लिए आने की बात कही थी जिसके बाद राज ठाकरे ने अपनी यात्रा कैंसिल कर दी थी.

ठाकरे और राउत दोनों ने बताया कि उन्होंने यात्रा से पहले सांसद से बात की.

ठाकरे ने कहा, ‘हम सभी भगवान राम के वंशज हैं. हमने उनसे [बृजभूषण शरण सिंह] बात की है. बातचीत अच्छे तरीके से हुई और उन्होंने हमारा स्वागत किया, लेकिन हमारा रिश्ता यहां के लोगों से और भगवान राम से है.’

उन्होंने कहा कि राज ठाकरे की यात्रा और भाजपा सांसद के विरोध का शिवसेना पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.

पूरे देश ने देखा कि कोविड के समय में, हमने यूपी, बिहार, तेलंगाना और अन्य सभी राज्यों के लोगों की सेवा की है.
ठाकरे ने अपनी यात्रा के दौरान प्रेस को बताया, ‘किसी का स्वागत किया जाए या नहीं, इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है. हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपनी जान की कीमत पर लोगों की सेवा की.’


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