सूत्रों का कहना है कि नितीश के गुप्तचर लालू प्रसाद, कांग्रेस और शरद यादव के पास जा चुके हैं। लेकिन तेजस्वी यादव एक और गठजोड़ के लिए उत्सुक नहीं हैं।
नई दिल्ली: अपने मुख्य सहयोगी राजद के खिलाफ “गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों” के मुद्दे पर बिहार महागठबंधन को छोड़ने और भाजपा के साथ हाथ मिलाने के लगभग एक साल बाद नितीश कुमार घर-वापसी के लिए तैयार दिखाई देते हैं।
अनौपचारिक वार्ताओं का हिस्सा रहने वाले सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री के दूत राजद प्रमुख लालू प्रसाद के साथ साथ अन्य प्रमुख विपक्षी हस्तियों तक पहुँच चुके हैं और यूपीए संघ में जदयू के पुनः प्रवेश का विषय छेड़ दिया है।
सूत्रों ने कहा कि लालू प्रसाद और नितीश के प्रमुख सहयोगियों में से एक के बीच कम से कम एक बैठक तो हुई है। पिछले महीने मुंबई में आयोजित एक इफ़्तार पार्टी में भी संभावित पैच-अप के मुद्दे पर चर्चा की गयी थी।
भाजपा के साथ अपने गठजोड़ को तोड़ने की नितीश की एकतरफा घोषणा की सम्भावना पर भी चर्चा की गयी। इसके अलावा दूतों ने राजद नेताओं को संकेत दिया है कि वे कांग्रेस के साथ संचार की लाइनें खोल चुके हैं।
पूर्व जदयू अध्यक्ष शरद यादव को नितीश के साथ एक कड़वे ब्रेक-अप के बाद राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था और अब वह अपनी पार्टी बना चुके हैं। नितीश के दूतों ने उनकी भी राय जानने की कोशिश की है।
हालिया महीनों में नितीश के साथ उभरने वाले एक अन्य एनडीए सहयोगी द्वारा जदयू के साथ-साथ संधि तोड़ने की मजबूत सम्भावना की भी एक बैठक में चर्चा हुई थी।
बिहार के मुख्यमंत्री के एक करीबी सहयोगी ने कहा, “हाँ, चर्चा हो चुकी है। लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय हल्के ढंग से नहीं लिए जाते हैं। बहुत सारी चर्चाएँ होती हैं और यदि सभी पक्ष योजना की रुपरेखा से सहमत होते हैं सिर्फ तभी उन्हें अंतिम रूप दिया जाता है। लेकिन मैं पुष्टि कर सकता हूँ कि कुछ बैठकें हुई हैं।”
कई ऐसे सूचक रहे हैं जो दर्शाते हैं कि जदयू और भाजपा के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। सबसे हालिया सूचक आता है 21 जून को, जब नितीश कुमार अकेले ऐसे एनडीए सहयोगी रहे जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में भाग नहीं लिया।
पिछले कुछ हफ़्तों में, बिहार के मुख्यमंत्री ने बिहार को विशेष दर्जा दिलाने के लिए पुनः अपनी आवाज बुलंद की है और असम के नागरिकता विधेयक और मोदी सरकार के विमुद्रीकरण के कदम के खिलाफ भी आवाज उठाई है।
इस महीने की शुरुआत में दि प्रिंट ने बताया था कि नितीश बिहार के अपने सहयोगियों राम विलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा के साथ 2019 लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ सीटें साझा करने की शर्तों को निर्धारित करने की योजना बना रहे हैं।
क्या अब तक यह एक पक्की डील है?
नितीश कुमार भाजपा से अलग होने के लिए उत्सुक दिखाई पड़ते हैं लेकिन राजद नेतृत्व (लालू प्रसाद का परिवार) बहुत उत्सुक नहीं है, विशेष तौर पर एक कटु वाकयुद्ध और तथाकथित दोषारोपण के बाद, जो पिछली जुलाई के ब्रेकअप के बाद हुआ था।
एक राजद नेता ने कहा, वह ऐसा इसलिए चाहते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि वह ढलान पर हैं। लेकिन हमें उनका खेल नहीं खेलना है। उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अतीत में, जब भी किसी ने उनकी मदद की है तो उन्होंने अंत में उस व्यक्ति को केवल क्षति पहुंचाई है। इस बार, कोई भी निर्णय इस पर भी प्रभाव डालेगा।
सूत्रों ने कहा लालू प्रसाद नितीश कुमार को यूपीए में वापस शामिल होने देने के विरोध में नहीं हैं लेकिन उनके बेटे तेजस्वी, जो चारा घोटाला मामले में दोषसिद्धि होने पर लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद अपने स्वयं के अधिकार में एक नेता के रूप में उभर कर आये हैं, बिहार के मुख्यमंत्री के साथ दोबारा सम्बन्ध स्थापित करने में इच्छुक नहीं हैं।
वह मानते हैं कि नितीश पर विश्वास नहीं किया जा सकता और उन्होंने इशारा किया है कि वह इस विचार के खिलाफ हैं। राजद के कई वरिष्ठ नेता उनके इस विचार का समर्थन करते हैं।
राजद नेता ने कहा, “नितीश ने अपनी पूरी विश्वसनीयता खो दी है जिस तरह से उन्होंने भाजपा से हाथ मिलाया था और जिस तरीके से उन्होंने भाजपा को लालू यादव के परिवार की जांच के लिए जांच एजेंसियों को इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी।”
“उन्होंने सोचा था कि यह राजद को ख़त्म कर देगा और उनके लिए खुला मैदान छोड़ देगा। हालाँकि, दुर्भाग्य से, जनता ने उनके और भाजपा के गेम-प्लान को समझ लिया और राजद बाहर निकलने के बाद मजबूती से उभर कर सामने आई। लेकिन उनके कामों को एक दिन में माफ़ नहीं किया जा सकता।”
कांग्रेस का मत
यद्यपि कांग्रेस अगले साल के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा विरोधी गठबंधन को जितना मजबूत हो सके उतना मजबूत करना चाहेगी और दुबारा नितीश के साथ हाथ मिलाने के विरोध में नहीं है लेकिन यह कोई भी निर्णय नहीं लेगी यदि यह राजद को स्वीकार्य नहीं है।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, “हमारे लिए लालू यादव नितीश से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। वह नितीश की तुलना में अधिक भरोसेमंद हैं। यदि लालू महागठबंधन को पूर्वरूप में लाने का फैसला करते हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। अन्यथा, नितीश को इंतजार करना होगा।
Read in English : A year after dramatic breakup, Nitish Kumar wants to get back together with Lalu