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Sunday, 28 April, 2024
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बड़ी संख्या में सांसदों ने छोड़ी BSP, NDA और INDIA में तनाव—दलबदलुओं को मिले टिकट, प्रचार की जिम्मेदारी

एनडीए ने अपने उम्मीदवारों के पक्ष में गुर्जरों को लुभाने के लिए पहले ही बिजनौर के सांसद मलूक नागर को प्रचार की जिम्मेदारी दे दी है. इस बीच, सपा ने राम शिरोमणि वर्मा को श्रावस्ती से अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

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लखनऊ: जैसे ही बिजनौर के सांसद मलूक नागर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से अलग हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और इंडिया गुट के प्रतिद्वंद्वी खेमे लोकसभा चुनाव में अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश में दलबदल का भरपूर फायदा उठा रहे हैं.

जहां, सांसद रितेश पांडे (आंबेडकर नगर) और संगीता आज़ाद (लालगंज) भाजपा में शामिल हो गए, वहीं नागर गुरुवार को एनडीए के घटक राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) में शामिल हो गए. ऐसा तब हुआ जब बसपा ने नागर की जगह लोकदल से आए चौधरी बिजेंद्र सिंह को बिजनौर से टिकट दे दिया.

इस बीच, गाजीपुर से दो बार के सांसद और गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के भाई अफज़ाल अंसारी पहले से ही समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार के तौर पर अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं.

दलबदल की सूची में बसपा के निष्कासित सांसद — अमरोहा के दानिश अली और श्रावस्ती के राम शिरोमणि वर्मा भी शामिल हो गए हैं, जिन्होंने इंडिया के घटक दलों, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का साथ पकड़ा है.

अफज़ाल अंसारी की तरह, दानिश अली भी अमरोहा में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर प्रचार अभियान पर हैं. इस बीच वर्मा को सपा ने श्रावस्ती से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. 23 मार्च को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित वर्मा ने पहले स्वीकार किया था कि वे “विकल्प की तलाश में हैं”.

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पार्टी में शामिल होने के बमुश्किल कुछ घंटों बाद ही गुरुवार को नागर को रालोद का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया.

बसपा प्रमुख मायावती को लिखे पत्र में नागर ने उल्लेख किया कि पिछले 39 साल में उनके परिवार के सदस्यों ने ब्लॉक प्रमुख, विधायक, एमएलसी, जिला निगमों के अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, मंत्री और सांसद पर पर कार्य किया है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि कोई भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहा है.

उन्होंने लिखा, “हम 2006 में पार्टी में शामिल हुए और विभिन्न पदों पर कार्य किया, आपके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद, जिसके लिए हम हमेशा आभारी रहेंगे. राष्ट्रीय स्तर पर मेरी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा और पहचान का नेतृत्व करने वाला कोई नेता नहीं है, जो इतने लंबे समय तक पार्टी के साथ रहा हो.”

बाद में उन्होंने कहा कि पिछले 18 साल तक पार्टी में सेवा की और कई बार कड़वे घूट पिए जब उन्हें “विधायक या सांसदा का टिकट देने से इनकार कर दिया गया और स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर कर दिया गया.”

चूंकि नागर एक गुर्जर हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावशाली व्यवसायी हैं, इसलिए एनडीए ने उन्हें अपने उम्मीदवारों के पक्ष में गुर्जरों को लुभाने के लिए पहले ही अभियान की जिम्मेदारियां सौंप दी हैं.

भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के सूत्रों ने कहा कि सम्राट मिहिर भोज विवाद को लेकर राजपूत भाजपा के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, ऐसे में एनडीए गुर्जरों को लुभाने के लिए नागर का इस्तेमाल करेगा.

नागर ने दिप्रिंट को बताया कि वे देश भर के 14 करोड़ गुर्जरों तक एनडीए का संदेश पहुंचाएंगे. गुर्जर नेता ने कहा कि जब वे नगीना और मथुरा में रैलियों को संबोधित कर रहे थे, तो बिजनौर में एक सभा होने वाली थी.


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संगीता आज़ाद, पाण्डे बढ़ाएंगे एनडीए की संभावनाएं

बीजेपी ने आंबेडकर नगर से रितेश पांडे को टिकट दिया है, लेकिन लालगंज में बीजेपी ने बड़ी चतुराई से अपनी उम्मीदवार नीलम सोनकर की राह आसान करने के लिए संगीता आज़ाद को तैनात कर दिया. संगीता ने 2019 में नीलम को हराया था.

लालगंज से बीजेपी के एक विधायक ने दिप्रिंट को बताया, “संगीता और उनके पति (आज़ाद अरी मर्दन) भाजपा में शामिल हो गए हैं, लेकिन वह दोनों पिछले दो साल से पार्टी के लिए काम कर रहे थे. वे बसपा के संस्थापक सदस्य गांधी आज़ाद की बहू हैं, जिनका बहुत सम्मान किया जाता है. भाजपा ने मोदी लहर के दौरान 2014 में केवल एक बार सीट (लालगंज) जीती है; संगीता के पाला बदलने से पार्टी को मदद मिलेगी.”

मर्दन ने दिप्रिंट को बताया कि दंपति पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित थे, जिन्हें पूर्व विधायक ने “दूसरे कांशीराम और ऐसा व्यक्ति जिसके सिर पर भगवान का हाथ है” बताया.

यह स्वीकार करते हुए कि उन्होंने पिछले दो साल से भाजपा के लिए काम किया है, मर्दन ने कहा कि दोनों मायावती का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र के कारण राजनीतिक गतिविधियों में बहुत कमी कर दी है.

विपक्षी खेमे में दानिश अली और अफज़ाल अंसारी क्रमशः अमरोहा और गाजीपुर में कांग्रेस और सपा के उम्मीदवार हैं.

अली को कैश-फॉर-क्वेरी विवाद में तृणमूल की महुआ मोइत्रा के समर्थन में बोलने के एक दिन बाद संसद से निलंबित कर दिया गया था. उधर, अफज़ाल अंसारी चुपचाप बसपा से बाहर हो गए.

सपा की गाजीपुर इकाई के जिला अध्यक्ष गोपाल यादव ने दिप्रिंट से पुष्टि की कि अंसारी अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गए हैं. पिछले महीने, बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने दिप्रिंट को बताया था कि इस्तीफा दिए बिना यह संभव नहीं है कि किसी नेता को किसी अन्य पार्टी से आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया जा सके.

गाजीपुर में सपा के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया कि अंसारी का पाला बदलना बसपा के लिए एक बड़ा नुकसान है क्योंकि अंसारी का पूर्वांचल में कम से कम दो सीटों -गाजीपुर और घोसी – पर प्रभाव है.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सहानुभूति लहर सिर्फ इन दो सीटों तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा, “मुख्तार की मौत से मुसलमानों में गुस्सा है और इसका असर बलिया और आंशिक रूप से वाराणसी में महसूस किया जाएगा. इससे हमें मदद मिलेगी.”

यह पूछे जाने पर कि गाजीपुर के सांसद ने बसपा से नाता क्यों तोड़ लिया, सपा पदाधिकारी ने कहा कि ऐसा इसलिए था क्योंकि अंसारी परिवार भाजपा की हार सुनिश्चित करना चाहता था और साथ ही विपक्षी गुट से बाहर रहने के मायावती के फैसले के कारण – एक ऐसा कदम जो आरोपों को बल देता है बसपा गुप्त रूप से भाजपा की मदद कर रही है.

एक अन्य बसपा सांसद हाजी फजलुर रहमान भी इंडिया गुट की मदद कर सकते हैं. हालांकि, उन्होंने इस बार सहारनपुर में चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है. रहमान, जिन्होंने घोषणा की थी कि वे भाजपा को हराने वाले किसी भी व्यक्ति की मदद करेंगे, ईद पर कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद से मिले थे.

यह पूछे जाने पर कि क्या वे बसपा के माजिद अली या कांग्रेस के मसूद की मदद करेंगे, रहमान ने कहा कि वे अगले दो-तीन दिनों के भीतर फैसला लेंगे.

इस अटकल के बारे में कि वे बसपा उम्मीदवार की मदद कर सकते हैं क्योंकि 2019 में मसूद उनके प्रतिद्वंद्वी थे, रहमान ने कहा कि हालांकि, उन्हें अभी फैसला लेना बाकी है, लेकिन वो यह सुनिश्चित करेंगे कि भाजपा सहारनपुर में हार जाए.

बसपा अपने मौजूदा सांसदों में से केवल दो, जौनपुर के श्याम सिंह यादव और नगीना के गिरीश चंद्र जाटव पर टिकी हुई है, लेकिन गिरीश को बुलंदशहर स्थानांतरित कर दिया गया है. जौनपुर में अभी प्रत्याशी घोषित करना बाकी है.

यहां तक कि श्याम सिंह यादव ने भी इंडिया के घटक दलों के प्रति अपनापन दिखाया है. उन्होंने 2022 में भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सा लेने के बाद दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में राहुल गांधी की तारीफ की थी. इस साल फरवरी में जब यात्रा आगरा पहुंची तो वे कांग्रेस नेता और अखिलेश यादव के साथ भी शामिल हुए थे.

घोसी में, बसपा ने अपने मौजूदा सांसद अतुल राय को हटा दिया है, जो अपने कार्यकाल के दौरान अधिकांश समय जेल में रहे. उनके बसपा सांसद बनने के एक हफ्ते से भी कम समय बाद वहां बालकृष्ण चौहान को उम्मीदवार बना दिया गया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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