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Tuesday, 12 November, 2024
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एक महीने में 9 कलेक्टर, 3 SP को हटाया गया- MP के CM मोहन यादव अधिकारियों पर कर रहे हैं सख्त कार्रवाई

भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि नए मुख्यमंत्री ने अपने पूर्ववर्ती की 'अतीत की गलतियों' से सबक लेते हुए नौकरशाहों को छूट देना बंद कर दिया है और गलती करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है.

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नई दिल्ली: यह जानते हुए कि उनके पूर्ववर्ती को लोकप्रियता के बावजूद भी नौकरशाहों के ओर झुकाव के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव एक ऐसे जन नेता की छवि बना रहे हैं, जो अपने राज्य में लोकप्रिय होने के लिए कड़ी कार्रवाई भी कर सकते हैं.

प्रशासनिक मामलों पर सख्त कार्रवाई करते हुए, यादव ने नौ जिला कलेक्टरों, तीन पुलिस अधीक्षकों और एक संभागीय आयुक्त को मुख्यालय से संबद्ध करके ‘दंडित’ किया है.

तीन बार के भाजपा विधायक ने चौहान की ‘अतीत की गलतियों’ से सबक लेते हुए नौकरशाहों को खुली छूट देना बंद कर दिया है और सोनकच्छ की तहसीलदार अंजलि गुप्ता और शाजापुर के कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल जैसे लोगों पर कार्रवाई की है.

पिछले हफ्ते गुरुवार को गुप्ता को एक वीडियो में कुमारिया राव गांव में किसानों के साथ हुए विवाद के बाद बदतमीजी से बात करते हुए देखा गया था. दिन के अंत तक सीएमओ ने गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये.

यादव ने ट्वीट किया कि उन्होंने वीडियो देखा है और देवास कलेक्टर को कार्रवाई के निर्देश दिये हैं. उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, “अधिकारियों को आम लोगों के साथ सभ्य एवं मर्यादित भाषा का प्रयोग करना चाहिए. इस प्रकार की अभद्र भाषा बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी.”

2 जनवरी को एक बैठक में आईएएस अधिकारी द्वारा एक ट्रक ड्राइवर की ‘औकात’ पर सवाल उठाने के बाद कन्याल को भी बाहर कर दिया गया था. सीएम ने अगले 24 घंटे के भीतर कार्रवाई करते हुए उन्हें हटाकर नरसिंहपुर कलेक्टर रिजु बाफना को पदस्थ किया. कन्याल को अंडर-सेक्रेटरी के रूप में भोपाल स्थानांतरित कर दिया गया.

यादव ने नाराजगी व्यक्त करते हुए स्थानीय मीडिया से कहा, “शाजापुर कलेक्टर द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा हमारी सरकार में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मैं किसान का बेटा हूं…ऐसे में अधिकारियों को ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और अपने आचरण पर ध्यान देना चाहिए. ऐसी भाषा बोलने वाले अधिकारियों को क्षेत्र में रहने का अधिकार नहीं है.”

पिछले महीने, 27 दिसंबर की देर रात गुना में हुई बस दुर्घटना में 13 लोगों की जान जाने के बाद यादव ने राज्य परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा, जिला कलेक्टर तरूण राठी और पुलिस अधीक्षक विजय खत्री का तबादला कर दिया था.

मुख्यमंत्री ने गुना के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को निलंबित कर दिया, क्योंकि वे दुर्घटनास्थल और जान गंवाने वाले लोगों के शोक संतप्त परिवारों से मुलाकात करने के लिए अगली सुबह पहुंचे थे.

इसके बाद यादव ने ग्वालियर संभाग के अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के अलावा, परिवहन विभाग में बड़े फेरबदल का आदेश दिया. प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह, जिनके पास परिवहन का अतिरिक्त प्रभार था, को हटाकर अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजेश कुमार राजोरा को नियुक्त किया गया.

13 दिसंबर को पदभार संभालने के तुरंत बाद, छिंदवाड़ा में यादव ने कलेक्टर को सार्वजनिक रूप से चेतावनी दी कि अगर काम न करने के लिए पटवारी पर कार्रवाई हो सकती है तो उन्हें भी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

जनवरी के पहले सप्ताह में, जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन को एक समीक्षा बैठक के अगले दिन हटा दिया गया था जिसमें कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके व्यवहार और ‘अनुपलब्धता’ के बारे में शिकायत की थी.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता के.के. मिश्रा को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में कुछ भी गलत नहीं लगा. उन्होंने कहा, “यह आवश्यक था क्योंकि मध्य प्रदेश में, नौकरशाह पिछले 18 वर्षों से व्यवस्था चला रहे थे और उन्होंने आम आदमी के प्रति संवेदनशीलता खो दी थी. उन्होंने धन संचय किया और इसलिए उनसे सवाल किया जाना चाहिए.”

पूर्व नौकरशाह एस.के. मिश्रा, जो शिवराज के संकटमोचक माने जाते थे और उनके प्रमुख सचिव के रूप में कार्यरत थे, ने टिप्पणी की कि ये कार्रवाइयां नियमित परिवर्तन थीं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हर सीएम को अपनी टीम में बदलाव करने का अधिकार है. सिस्टम में नौकरशाही की एक सीमित भूमिका होती है.”


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‘सख्त फैसले लेने में संकोच नहीं करेंगे’

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, अपनी लोकप्रियता के चरम पर भी, शिवराज को भाजपा आलाकमान से संघर्ष करना पड़ा, जिनका मानना था कि अनियंत्रित नौकरशाही को संभालना भी एक कठिन कार्य था.

शिवराज के विपरीत, यादव क्षेत्रीय प्रशासनिक मामलों की समीक्षा भोपाल के बजाय अपने मुख्यालय में करते हैं. सीएम ने अपर मुख्य सचिवों को जिलों और जोनों के विकास कार्यों की समीक्षा के लिए जमीनी तौर पर काम करने का निर्देश दिया है.

इसी प्रकार, एडीजी को उनके अधिकार क्षेत्र वाले मुख्यालयों का दौरा करके कानून व्यवस्था की देखभाल के लिए प्रतिनियुक्त किया जाता है. दस वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को राज्य के 10 क्षेत्रों की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया था.

भाजपा के एक राज्य पदाधिकारी ने कहा, “चाहे लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की बात हो या भोपाल के बाहर कैबिनेट बैठक बुलाने की बात हो, वह (यादव) कुछ चीज़ों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं और संदेश दे रहे हैं कि वह सख्त फैसले लेने में संकोच नहीं करेंगे.”

प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि मुख्यमंत्री जानते हैं कि व्यापक शिकायत थी कि नौकरशाह शिवराज सिंह चौहान सरकार चलाते हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “कैलाश विजयवर्गीय जैसे कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से शिवराज से पार्टी कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए नौकरशाही को नियंत्रित करने के लिए कहा. बाद में शिवराज को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने नौकरशाहों को डांटना शुरू कर दिया. यादव को शिवराज की गलती पता है, जो पिछले 18 साल से सत्ता के शीर्ष पर थे… वह न केवल नौकरशाही की जवाबदेही तय करना चाहते हैं, बल्कि यह संदेश भी देना चाहते हैं कि नौकरशाहों से निपटने में लोगों की धारणा अधिक मायने रखती है.”

बीजेपी के राज्य महासचिव भगवानदास सबनानी ने दिप्रिंट को बताया कि मुख्यमंत्री ने केवल उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है जिनका सार्वजनिक व्यवहार ‘उचित नहीं’ था. “वह खुद एक गरीब परिवार से आते हैं. किसी भी अधिकारी को उनका (गरीबों का) अपमान करने का अधिकार नहीं है.”

सबनामी के सहयोगी रजनीश अग्रवाल ने भी कहा कि सरकार अधिकारियों की जवाबदेही तय करना चाहती है. “यह लोगों की सरकार है इसलिए जो लोग इसके आदर्शों और सिद्धांतों का पालन नहीं कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जा रहा है.”

पिछली कैबिनेट के एक मंत्री ने दिप्रिंट को बताया कि शिवराज ने लगभग दो दशकों तक कल्याणकारी योजनाओं के वितरण के माध्यम से ‘मामा’ की छवि अर्जित की.

पूर्व मंत्री ने कहा, “चूंकि वह बहुत लोकप्रिय हैं और केंद्र ने उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी है, इसलिए वह लोगों से मिलते रहे हैं और विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं. राज्य में उनकी लगातार मौजूदगी है. यादव को काम और नई पहल के जरिए अपनी छवि बनानी होगी क्योंकि शिवराज ने एक बड़ी रेखा खींच दी है.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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