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Friday, 22 November, 2024
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आंध्र में फिर सत्ता पाने के इच्छुक 72 वर्षीय TDP चीफ नायडू बोले—‘मेरा प्रदर्शन मायने रखता है, उम्र नहीं’

‘जगन हटाओ, आंध्र बचाओ’ का नारा देने के कुछ दिन बाद चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि वह अब जमीनी स्तर पर और सक्रिय दिखाई देंगे, यही नहीं उन्होंने पार्टी कैडर से भी कहा है कि 2024 से पहले जनता के साथ संवाद ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं.

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हैदराबाद: पूरी शिद्दत के साथ तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को पुनर्जीवित करने में जुटे आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (72 वर्ष) ने अपनी उम्र को लेकर तमाम चिंताओं को खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि वह अब जमीन पर और अधिक सक्रिय दिखाई देंगे क्योंकि 2024 के राज्य विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) को सत्ता से हटाना ही उनकी पार्टी का लक्ष्य है.

पूर्व में चुनावों के दौरान कई बार लंबी पदयात्राएं कर चुके नायडू ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘मेरी उम्र को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उसी उम्र के हैं. जो मायने रखता है, वो है प्रदर्शन. हम किसी से भी बेहतर काम कर रहे हैं, 30 साल के युवा उतना काम नहीं कर सकते जितना मैं कर सकता हूं.’

लगभग दो साल तक वर्चुअल बैठकों और कैडरों के साथ सीमित बातचीत के बाद टीडीपी प्रमुख ने पिछले शुक्रवार को ओंगोल में पार्टी के दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन ‘महानडु’ में हिस्सा लिया था, जिसमें पार्टी के नेताओं के मुताबिक, कम से कम 2 लाख सदस्य शामिल हुए.

नायडू ने ‘जगन हटाओ, आंध्र प्रदेश बचाओ’ का नारा लगाते हुए पार्टी नेताओं को निर्देश दिया कि वे जनता के साथ संवाद बढ़ाएं. इसे 2024 की तैयारी शुरू करने के एक स्पष्ट आह्वान के तौर पर देखा जा रहा है.

टीडीपी नेताओं ने पूर्व में दिप्रिंट को बताया था कि पार्टी के लिए मुश्किलों—जिसमें कैडर का बिखराव, पार्टी के प्रमुख चेहरों का चुप्पी साध लेना और कुछ नेताओं और खुद नायडू के बीच आंतरिक मुद्दे आदि शामिल हैं—की शुरुआत 2019 के विधानसभा चुनावों में अपमानजनक हार के साथ हुई, जब टीडीपी के खाते में सिर्फ 23 सीटें आई थीं. मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी ने 175 सदस्यीय विधानसभा में 151 सीटों पर जीत हासिल की थी.

नायडू ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम आंध्र प्रदेश को बचाना चाहते हैं, उसके लिए हमारा नारा है ‘जगन हटाओ, आंध्र प्रदेश बचाओ.’ उन्होंने (जगन) आंध्र प्रदेश में तीन साल के शासन के दौरान सभी संस्थाओं को तहस-नहस कर दिया है. कोई लोकतंत्र नहीं बचा है, लोग उच्च कराधान के कारण परेशान हैं.’

उन्होंने कहा, ‘वह (जगन) कहते हैं डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) हो रहा है. लेकिन इन कार्यक्रमों को इस तरह चलाया जा रहा है कि इसमें कोई पारदर्शिता नहीं है. वह सीएजी (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक), भारत सरकार या अदालतों और विधानसभा के प्रति जवाबदेह नहीं है. वह तो इसी तरह काम कर रहे हैं.’

अपने तीन साल के शासनकाल में वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने कई प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजनाएं शुरू की हैं, जिसमें पैसा सीधे तौर पर लोगों के बैंक खातों में पहुंचता है. 2021 में सीएम ने कहा था कि उनकी सरकार ने पिछले 30 महीनों के दौरान ऐसी योजनाओं पर 1.16 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं.


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नायडू ने दावा किया कि जगन रेड्डी आंध्र प्रदेश में ‘दहशत पैदा कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मान लीजिए कोई अन्याय की शिकायत करता है, तो पुलिस उस पर केस दर्ज करती है, उपद्रवी आते हैं और उनकी पिटाई करते हैं. इस तरह की दहशत की वजह से अंतत: लोगों में निराशा भर गई है. इन्हें (चिंताओं को) लोगों के समक्ष उठाना हमारा कर्तव्य है.’

पूर्व मुख्यमंत्री ने विरासत के मामलों के अलावा इन मुद्दों पर भी चर्चा की कि क्या उनकी पार्टी 2024 के लिए अपनी रणनीति तय करते समय राजनीतिक सलाहकारों की मदद लेने पर विचार रही है, और क्या वह राज्य चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ फिर गठबंधन कर सकती है.

‘सिर्फ विरासत काम नहीं आती, मेहनत करनी पड़ती है’

यह पूछे जाने पर कि उनके पुत्र और पूर्व कैबिनेट मंत्री नारा लोकेश कब तक उनकी जगह पार्टी की बागडोर संभाल लेंगे, नायडू ने कहा, ‘केवल विरासत किसी के काम नहीं आती, इसके लिए हर किसी को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में कोई किसी पर कुछ थोप नहीं सकता.

उन्होंने आगे कहा, ‘यह (टीडीपी) 40 साल पुरानी पार्टी है. हम किसी को रोक नहीं रहे. किसी भी क्षेत्र में अकेले विरासत किसी की मदद नहीं कर सकती, इस पर मेरी राय एकदम स्पष्ट है. मुझे विरासत में क्या मिला? मेरे पिता राजनेता नहीं थे. मैं विधायक बना और फिर मैंने खुद को इस काबिल बनाया. हर क्षेत्र में अवसर उपलब्ध होते हैं. जो कोई भी आगे बढ़ना चाहता है, उसे इनका (अवसरों का) लाभ उठाना होगा, कड़ी मेहनत करनी होगी और अपना लक्ष्य हासिल करना होगा.’

‘सलाहकार केवल मार्गदर्शन कर सकते हैं, उन पर निर्भर नहीं रहा जा सकता’

नायडू ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी किसी राजनीतिक रणनीतिक टीम के साथ काम करेगी, लेकिन उनका मानना है कि सलाहकार सिर्फ मार्गदर्शन कर सकते हैं और अंततः नेतृत्व तो राजनेताओं को ही संभालना होता है.

उन्होंने कहा, ‘आज इतने सारे आईआईटी वाले लोग आ रहे हैं. उनमें से कुछ अच्छा काम कर रहे हैं और कुछ नहीं भी कर पा रहे. लेकिन अंतत: राजनेताओं को ही शासन करना होता है. सलाहकार एक हद तक उनका मार्गदर्शन कर सकते हैं लेकिन उसके बाद क्या? आज आंध्र प्रदेश में ठीक यही स्थिति है.’

नायडू ने कहा, ‘अगर स्थितियों के अनुकूल लगा तो हम (सलाहकारों के साथ) काम कर भी सकते हैं. लेकिन अंतत: तो नेताओं को नेतृत्व करना होता है. अगर (राज्यों की) निर्भरता पूरी तरह से सलाहकारों पर केंद्रित रही तो स्थिति आंध्र प्रदेश जैसी हो जाएगी और इसी तरह जगन मोहन ने राज्य को धोखा दिया है.

टीडीपी नेता संभवत: 2019 में सत्ता से बेदखल करने के लिए सीएम जगन मोहन रेड्डी द्वारा राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मदद लिए जाने का जिक्र कर रहे थे.

‘भाजपा के साथ गठबंधन के बारे में चुनाव के वक्त सोचेंगे’

नायडू को इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोग जगन के नेतृत्व वाली सरकार को ‘बदलना’ चाहते हैं, और उनका कहना है कि टीडीपी एक ‘भरोसेमंद ब्रांड’ है और भाजपा या अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण की जन सेना के साथ किसी भी तरह के गठबंधन के बारे में फैसला चुनाव के वक्त किया जाएगा.

यह पूछे जाने पर कि टीडीपी भाजपा या जन सेना में से किसके साथ गठबंधन करेगी, नायडू ने कहा, ‘गठबंधन का मतलब होता है कि दोनों दल साथ काम करने को तैयार हैं. हमने अतीत में कई गठबंधन किए हैं और कांग्रेस जैसी अन्य पार्टियों के भी गठबंधन थे. हम इस बारे में कोई भी फैसला चुनाव के वक्त करेंगे. अगर लोग आपके साथ हैं तो हर कोई आपके साथ काम करना चाहेगा.’

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सभी राजनीतिक दलों को ‘जगन सरकार परेशान कर रही है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव नायडू के नेतृत्व में ‘भाजपा विरोधी मोर्चा’ बनाने के प्रयासों का हिस्सा बनने पर सहमत होंगे, जिसमें कांग्रेस शामिल नहीं है, नायडू ने कहा कि उनका पूरा ध्यान अब आंध्र प्रदेश के निर्माण पर केंद्रित है, और उनका अपना ‘एजेंडा’ है.

उन्होंने कहा, ‘जैसे मैंने हैदराबाद का निर्माण किया, आंध्र प्रदेश का निर्माण भी मेरी एक जिम्मेदारी है. टीडीपी एक भरोसेमंद ब्रांड है. कभी-कभी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. अगर आप विश्वसनीय हैं तो लोग आपकी बात सुनेंगे. हमारा एक अतीत है, हमने बहुत अच्छा किया है, इससे लोगों को फायदा हुआ है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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