नई दिल्ली: रांची से कुछ किलोमीटर दूर बसा खूंटी जिला झारखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था. दरअसल 2017 में शुरू हुए पत्थलगड़ी आंदोलन के चलते इस इलाके के 10,000 हजार आदिवासियों पर राजद्रोह के मुकदमें दर्ज किए गए थे. चुनावी नतीजों से पहले कहा जा रहा था कि इस आंदोलन का प्रभाव भाजपा की सीटों पर जरूर पड़ेगा. चुनावी नतीजों को देखकर पता चलता है कि पत्थलगड़ी प्रभावित जिले खूंची में भाजपा को बढ़त मिल रही है. बता दें कि दिप्रिंट से हुए साक्षात्कार में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन और आजसू पार्टी के चीफ सुदेश महतों ने सत्ता में आते ही इन मुकदमों को खारिज करने की बात भी कही थी.
खूंटी और तोरपा विधानसभा सीटों पर भाजपा जीत गई है तो कोलेबिरा में कांग्रेस की जीत हुई है. सरायकेला और तमड़ विधानसभा सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जीत ली है. लेकिन सिमडेगा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा की कांटे की टक्कर में आखिर में बाजी कांग्रेस के हाथ लगी है.
तोरपा विधानसभा सीट पर झामुमो प्रत्याशी सुदीप गुरिया दूसरे नंबर पर रहे तो भाजपा के कोचि मुंडा ने यहां से जीत दर्ज की है. उन्होंने गुरिया 9630 वोटों से हरा दिया है. लेकिन सरायकेला विधानसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार गणेश महाली झामुमो उम्मीदवार चम्पई सोरेन से 15667 वोटों से हार गए हैं. कोलेबिरा में कांग्रेस के नमन बिक्सल कोंगरी ने बीजेपी के सुजन जोजो को 12,338 वोटों से हरा दिया है. यहां से भाजपा के प्रत्याशी सुजान जोजो दूसरे नंबर पर रहे. तमाड़ विधानसभा सीट से झामुमो के उम्मीदवार विकास कुमार मुंडा ने आजसू के राम दुर्लव सिंह मुंडा को बड़े अंतर से हराते हुए 30971 वोटों से जीत दर्ज की है. यहां पर भाजपा तीसरे नंबर है.
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खूंटी विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार नीलकंठ सिंह मुंडा झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुशील पहन को 26327 वोटों से हरा दिया है. तो झारखंड विकास मोर्चा की दयामनी बारला तीसरे नंबर पर हैं. दयामनी बारला खुद एक आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार हैं. कहा जा रहा था कि वो भाजपा के खिलाफ आदिवासियों की नाराजगी को वो वोट बैंक में तब्दील कर सकेंगी.
गौरतलब है कि पत्थलगड़ी को लेकर खुद राहुल गांधी ट्वीट कर कहा था, ‘अगर किसी सरकार ने 10 हज़ार आदिवासियों पर राजद्रोह क़ानून लगाया है तो हमारे देश की अंतरात्मा हिल जानी चाहिए थी, मीडिया में तूफ़ान खड़ा हो जाना चाहिए था. नागरिक होने के नाते क्या हम इसे बर्दाशत कर सकते हैं.’ लेकिन पीएम मोदी और रघुवर दास की चुनावी रैलियों में इस मामले का कोई जिक्र नहीं हुआ.
लोकसभा चुनाव के दौरान इस इलाके के करीब सौ गांवों ने आम चुनाव का बहिष्कार करने की शपथ ली थी. लेकिन दिप्रिंट ने अपनी चुनावी कवरेज के दौरान पाया कि पत्थलगड़ी आंदोलन के केंद्र बिंदु रहे खूंटी में आदिवासियों ने अपने वोट के अधिकार का इस्तेमाल किया है. लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा जीते थे, ट्राइबल अफेयर्स मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री भी हैं.
साथ ही संथाल परगना इलाके में भाजपा अपना जादू नहीं चला पाई. संथाल में इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा अपना गढ़ बचाने में कामयाब रही है.