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Wednesday, 1 October, 2025
होमराजनीति‘50 लाख नाम हटाए गए’, विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के आरोप बीच बिहार में SIR के बाद 6% मतदाता घटे

‘50 लाख नाम हटाए गए’, विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के आरोप बीच बिहार में SIR के बाद 6% मतदाता घटे

बिहार विधानसभा चुनाव, नवंबर से पहले, चुनावी सूची से लाखों नामों के हटाए जाने को INDIA ब्लॉक के चुनाव अभियान का मुख्य फोकस रहने की संभावना है.

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नई दिल्ली: विवादित तीन महीने के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद, भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बिहार की योग्य मतदाताओं की सूची से लगभग 50 लाख नाम हटा दिए हैं.

मंगलवार को ईसीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब योग्य मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ है. यह SIR से पहले 7.89 करोड़ मतदाताओं की तुलना में लगभग छह प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है.

SIR प्रक्रिया इस साल 24 जून से बिहार में शुरू हुई थी.

1 अगस्त को चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित प्रारूप मतदाता सूची में उस समय 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने का खुलासा हुआ था. ईसीआई ने हटाए गए मतदाताओं को या तो मृत, स्थायी रूप से अपने पते से स्थानांतरित, एक से अधिक विधानसभा में पंजीकृत, या पता न मिलने योग्य बताया.

प्रारूप सूची प्रकाशित होने के बाद, आयोग ने सूची से अतिरिक्त 3.66 लाख मतदाताओं को हटाया और 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े, जिससे अंतिम संख्या 7.42 करोड़ हो गई.

प्रारूप मतदाता सूची के बाद विपक्षी पार्टियों द्वारा व्यापक मतदाता धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए. कांग्रेस और INDIA ब्लॉक की अन्य पार्टियों ने बिहार में “वोट चोरी” के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान भी चलाया.

चुनाव ने 24 जून को पूरे भारत में SIR प्रक्रिया का आदेश दिया था, लेकिन बिहार में यह प्रक्रिया इसलिए शुरू की गई क्योंकि विधानसभा चुनाव इस साल नवंबर में होने हैं.

मंगलवार को जारी एक प्रेस नोट में चुनाव आयोग ने कहा, “SIR प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और ईसीआई के सिद्धांत ‘कोई योग्य मतदाता सूची में न छूटे, और कोई अयोग्य मतदाता सूची में न शामिल हो’ के अनुसार की गई.”

नोट में यह भी कहा गया कि अगर कोई योग्य व्यक्ति अभी भी आवेदन करना चाहता है, तो वह चुनाव के नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से दस दिन पहले तक आवेदन कर सकता है.

अगर कोई व्यक्ति अपने नाम हटाए जाने के खिलाफ चुनौती देना चाहता है, तो वह पहले जिला मजिस्ट्रेट के पास प्रथम अपील कर सकता है और फिर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास दूसरी अपील कर सकता है.

आगामी बिहार चुनाव में मतदाता नामों को हटाना एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है. विपक्ष सरकार और निर्वाचन आयोग पर वैध मतदाताओं के नाम हटाने में मिलीभगत का आरोप लगा रहा है. इस बीच, बीजेपी विपक्ष पर चुनाव में “अवैध प्रवासी मतदाता” को वोट डालने की सुविधा देने का आरोप लगा रही है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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