नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर और इतिहासकार मीनाक्षी जैन को राज्यसभा के लिए नामित किया है.
ये नामांकन पूर्व में नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने से खाली हुई सीटों को भरने के लिए किए गए हैं.
राष्ट्रपति संसद के उच्च सदन के लिए साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के क्षेत्रों से अधिकतम 12 सदस्यों को नामित कर सकते हैं.
उज्ज्वल निकम का चयन लंबे समय से अपेक्षित था क्योंकि उन्होंने गुलशन कुमार हत्याकांड, शक्ति मिल गैंगरेप, मरीन ड्राइव बलात्कार, 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट और 26/11 आतंकी हमले जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों में काम किया है.
विशेष लोक अभियोजक 2008 के आतंकी हमले के दौरान पकड़े गए एकमात्र पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब के मुकदमे के समय लगातार खबरों में बने रहे. बाद में उन्हें तब आलोचना का सामना करना पड़ा जब उन्होंने खुलासा किया कि कसाब ने कभी भी मुकदमे के दौरान मटन बिरयानी की मांग नहीं की थी.
उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव में जन्मे निकम ने 1979 में वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू की थी. उनके पिता जज थे लेकिन उन्हें पहली बार तब प्रसिद्धि मिली जब उन्हें 1993 के सीरियल ब्लास्ट केस में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया.
26/11 केस के बाद निकम की भाजपा सरकार से नजदीकियां बढ़ीं. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया.
पिछले साल, भाजपा ने दो बार की सांसद पूनम महाजन को मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से टिकट नहीं दिया और उसकी जगह उज्ज्वल निकम को चुनावी मैदान में उतारा. हालांकि, उनका पहला चुनावी प्रयास असफल रहा और कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ ने उन्हें 16,500 से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया.
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति भवन द्वारा किए गए नामांकनों की सराहना की. उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, “श्री उज्ज्वल निकम की कानून के क्षेत्र और हमारे संविधान के प्रति निष्ठा प्रेरणादायक है. उन्होंने न केवल एक सफल वकील के रूप में काम किया है, बल्कि महत्वपूर्ण मामलों में न्याय की लड़ाई में भी सबसे आगे रहे हैं. उन्होंने अपने पूरे करियर में संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने और सामान्य नागरिकों को गरिमा से जीने का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए काम किया है.”
भारतीय विदेश सेवा (IFS) के सेवानिवृत्त अधिकारी, श्रृंगला जनवरी 2020 से अप्रैल 2022 तक विदेश सचिव रहे. उन्होंने कोविड महामारी के दौरान भारत की कूटनीतिक रणनीति को संभाला. हाल ही में, श्रींगला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद इस्लामी देशों तक भारत की पहुंच बढ़ाने में भी शामिल थे.
अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में, उन्हें ह्यूस्टन में मोदी के सार्वजनिक कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी’ और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अच्छे संबंधों का श्रेय दिया जाता है.
बाद में उन्हें 2023 में भारत की जी20 अध्यक्षता के लिए मुख्य समन्वयक बनाया गया और उन्होंने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन में मोदी सरकार की मदद की.
श्रृंगला की जीवनी ‘नॉट एन एक्सीडेंटल राइज’ में लेखिका डिपमाला रोका ने उल्लेख किया है कि उन्होंने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने के लिए किस तरह प्रशासनिक और कूटनीतिक प्रयास किए.
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि जब मोदी सरकार ने 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द किया, तब श्रृंगला ने अमेरिका में 400 सीनेटरों से मुलाकात की और 22 राज्यों की यात्रा की.
पिछले साल के आम चुनावों में दार्जिलिंग से भाजपा प्रत्याशी के रूप में उनका नाम चर्चा में था, लेकिन पार्टी ने मौजूदा सांसद राजू बिष्ट पर ही भरोसा जताया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सदानंद मास्टर ने 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी के रूप में असफल चुनाव लड़ा. फिलहाल वे भाजपा की केरल इकाई के राज्य अध्यक्ष हैं.
संघ के वरिष्ठ सदस्य मास्टर पर 1994 में सीपीआई(एम) के कार्यकर्ताओं ने हमला किया था, जिसमें उन्होंने दोनों पैर गंवा दिए. इसके बावजूद वे राजनीति में सक्रिय रहे और भाजपा ने उन्हें केरल में वामपंथी हिंसा के पीड़ितों का प्रतीक बनाकर पेश किया.
एक भाजपा पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “थ्रिसूर में सुरेश गोपी की जीत के बाद भाजपा केरल में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है. मास्टर का चयन राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है ताकि पिछले दो दशकों से वाम शासन के खिलाफ लड़ रहे कार्यकर्ताओं को संदेश दिया जा सके.”
मध्यमकालीन और औपनिवेशिक भारत की प्रसिद्ध इतिहासकार मीनाक्षी जैन, टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व संपादक गिरिलाल जैन की बेटी हैं।
वे दिल्ली विश्वविद्यालय के गर्गी कॉलेज में इतिहास की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की पूर्व फेलो और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की गवर्निंग काउंसिल की पूर्व सदस्य रह चुकी हैं. फिलहाल वे भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद में सीनियर फेलो हैं.
उनकी पुस्तकों जैसे ‘फ्लाइट ऑफ डीटीज़ एंड रिबर्थ ऑफ टेम्पल्स’, ‘द बैटल फॉर राम: केस ऑफ द टेम्पल एट अयोध्या’, ‘राम और अयोध्या’, ‘पैरालल पाथवे: एस्से ऑन हिंदू–मुस्लिम रिलेशंस’ में राष्ट्रीय महत्व के ऐतिहासिक मुद्दों को उठाया गया है.
जैन ने अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में एनसीईआरटी की किताबों में योगदान दिया था. बाद में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उनकी किताब को पाठ्यक्रम से हटा दिया. अयोध्या पर कानूनी लड़ाई में आरएसएस और अन्य हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों ने उनके कार्यों का हवाला दिया.
2020 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
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