scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावभारत में करीब 34 ताकतवर वंशवादी परिवार राजनीति में हैं, फिर बात सिर्फ राहुल गांधी की क्यों?

भारत में करीब 34 ताकतवर वंशवादी परिवार राजनीति में हैं, फिर बात सिर्फ राहुल गांधी की क्यों?

वंशवाद की राजनीति केवल नेहरू-गांधी परिवार की बानगी नहीं है. ये देश के लगभग हर क्षेत्रों और पार्टियों में विद्यमान है. दिप्रिंट लाया है भारत 34 ताकतवर राजनेता.

Text Size:

नई दिल्ली: चुनावी हलचल के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर हमला करने के लिए वंशवाद का पुराना पैंतरा फिर से अपनाया है. पार्टी के नेता कांग्रेस के वंशज और अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला करने का मौका नहीं छोड़ते हुए, उनके परदादा और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भी नहीं बख्शते हैं.

वैसे तो नेहरू-गांधी परिवार राजवंश की राजनीति को बढ़ावा देने की अगुवा मानी जाती रही है, लेकिन यह परंपरा उत्तर से लेकर दक्षिण तक सभी क्षेत्रों और पार्टियों में व्याप्त है. यह वंशवाद राजनीति की हद है, कि कुछ परिवारों में ऐसे सदस्य हैं जो न केवल राजनीतिक विभाजन बल्कि राज्यों की सीमाएं भी लांघ चुके हैं.

पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी (लोक जनशक्ति पार्टी) के कार्यकर्ताओं की मांग है कि बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से वह अपनी पत्नी या बेटे को मैदान में उतारे.

बता दें, पासवान के बेटे चिराग पहले से ही लोकसभा सांसद हैं और भाई राम चंद्र पासवान बिहार के समस्तीपुर से सांसद हैं. अगर पासवान अपनी पत्नी रीना को मैदान में उतारते हैं, तो वे उनके परिजनों में से इस दुनिया में कदम रखने वाली सबसे नई-नवेली सदस्य होंगी.

अब यह परंपरा भारतीय राजनीति में बुरी तरह से व्यापत हो गई है. दिप्रिंट भारत के 20 राज्यों के 34 प्रमुख राजनीतिक राजवंशों पर एक विशलेषण कर रहा है. (जहां एक परिवार के कम से कम तीन सदस्य सक्रिय राजनीति में रहे हों). जिसे हम आपको क्रमांक में पढ़ाते रहेंगे.

कश्मीर में दो बड़े नाम 

वंशवाद की राजनीति देश के सबसे उत्तरी राज्य जम्मू और कश्मीर में शुरू होती है, जहां दो परिवार-अब्दुल्ला और मुफ्ती -दशकों से राजनीति में सक्रीय हैं. दोनों में से सबसे प्रमुख अब्दुल्ला हैं, जिनके तीन पीढ़ियों के कार्यकाल में कम से कम चार मुख्यमंत्री भी रहे हैं.

Abdullahs
इंफोग्रैफिक्स | अरिंदम मुखर्जी

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया है जबकि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला 2009 और 2014 में यूपीए 2 सरकार में केंद्रीय मंत्री होने के अलावा राज्यों में कई पदों पर शीर्ष भूमिका में रहे हैं.

उमर के दादा शेख अब्दुल्ला हैं – जिन्हें ‘शेर-ए-कश्मीर’ (कश्मीर का शेर) के नाम से जाना जाता है- जिन्होंने कश्मीर के प्रधानमंत्री और बाद में मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने से पहले नेकां की स्थापना की थी.

राज्य में कुर्सी के लिए परिवार के संबंध वहां समाप्त नहीं होते हैं. फारूक के बहनोई – गुलाम मोहम्मद शाह – ने 1980 के दशक में मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.

इसके अलावा, शेख अब्दुल्ला के भाई, शेख मुस्तफा कमाल ने राज्य में एक मंत्री के रूप में सेवा की, जबकि फारूक के चचेरे भाई शेख नजीर नेकां के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले महासचिव थे और लगभग तीन दशकों तक इस पद पर रहे. उनका 2015 में निधन हो गया था.

उधर, मुफ्ती मोहम्मद सईद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के संस्थापक रहे हैं और उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. सईद के बेटे, तसद्दुक मुफ्ती जो कि एक छायाकार हैं वो मुफ़्ती परिवार से राजनीति में प्रवेश करने वाले नए व्यक्ति हैं.

अमरिंदर और बादल परिवार

पंजाब में बादल परिवार ने वंशवाद की राजनीति पर एकक्षत्र दबदबा बनाए रखा है. जिसमें शिरोमणी अकाली दल के संस्थापक और चार बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ध्वजवाहक हैं.

उनके पुत्र सुखबीर सिंह बादल इस समय पार्टी अध्यक्ष हैं और 2009 से 2017 के बीच राज्य के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं. सुखबीर एक बार लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं और 1998 में अटल बिहारी वाजपेई की 13 दिनों की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.

Badals & Amrinder singh family
अमरिंदर सिंह और बादल परिवार | इंफोग्रैफिक्स / अरिंदम चौधरी

सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर बादल लोकसभा सांसद और मोदी सरकार में मंत्री हैं. हरसिमत के भाई और हमेशा विवादों में रहने वाले बिक्रम सिंह मजीठिया भी शिरोमणी अकाली दल के नेता हैं और जब अकाली सत्ता में थी तब उसके कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल भले ही गुमनाम हो, लेकिन वे भी सांसद रह चुके हैं. गुरुदास के बेटे मनप्रीत सिंह बादल एक समय शिरोमणी अकाली दल में परिवारों के झगड़े के पहले, बड़ी जिम्मेदारी संभालने की तैयारी में थे. वे अभी कांग्रेस में हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के परिवार के भी सदस्य राजनीति में हैं. उनकी पत्नी प्रिनीत कौर तीन बार की लोकसभा सांसद हैं और वे यूपीए-2 में मनमोहन सिंह के कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं जबकि उनके बेटे रनिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी के साथ रहे हैं. अमरिंदर सिंह की मां मोहिंदर कौर भी कांग्रेस की नेता और सांसद रह चुकी हैं.

हरियाणा का चौटाला, हुड्डा, बिश्नोई और जिंदल परिवार

हरियाणा भी राजनीतिक परिवारों की भरमार है और उसमें जो सबसे प्रमुख है वो है चौटाला परिवार. इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री, ओम प्रकाश चौटाला, व उनके छोटे बेटे और और हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला, अपने बड़े बेटे अजय चौटाला और अजय के पुत्र दुष्यंत और दिग्विजय के खिलाफ खड़े हुए हैं.

पार्टी संरक्षक ने पिछले साल अजय, दुष्यंत (हिसार से लोकसभा सांसद) और दिग्विजय को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. दुष्यंत ने जननायक जनता पार्टी की शुरुआत की, जिसने पिछले महीने जींद विधानसभा उपचुनाव के लिए आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया. अजय चौटाला की पत्नी नैना, हरियाणा के डबवाली से विधायक हैं.

हालांकि, ओम प्रकाश पहली पीढ़ी के राजनीतिज्ञ नहीं हैं. उनके पिता देवीलाल 1989 और 1991 के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने के अलावा भारत के उप प्रधानमंत्री थे. ओम प्रकाश के छोटे भाई रंजीत सिंह, हरियाणा विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं.

News on Chautalas Family
चौटाला परिवार | दिप्रिंट

हरियाणा का हुड्डा परिवार भी शक्तिशाली राजनीतिक परिवारों में से एक गिना जाता है. कांग्रेसी नेता रणबीर सिंह हुड्डा भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और विधानसभा सदस्य थे. उनके बेटे और प्रभावशाली जाट नेता – भूपिंदर सिंह हुड्डा राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि पोते दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस के सांसद हैं.

उद्योगपति ओ.पी. जिंदल एक वरिष्ठ राजनेता थे, जिन्होंने राज्य में मंत्री के रूप में कार्य किया था, जबकि उनकी पत्नी सावित्री जिंदल भी मंत्री रह चुकी हैं. उनके बेटे नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से लोकसभा के पूर्व सांसद हैं.

शक्तिशाली राजनीतिक परिवारों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल का परिवार भी शामिल है. उनके बेटे, कुलदीप  बिश्नोई और कुलदीप की पत्नी रेणुका राज्य में विधायक हैं. 2017 में, बिश्नोई ने अपनी पार्टी – हरियाणा जनहित कांग्रेस (एचजीसी) का कांग्रेस के साथ विलय कर लिया. भजनलाल के नेतृत्व में एचजीसी कांग्रेस का एक अलग गुट था.

हिमाचल का राजनीतिक घराना

काग्रेंस के वेटरन नेता वीरभद्र सिंह भले 2017 विधानसभा चुनाव हार गए हैं लेकिन वो राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का गौरव उन्ंहे प्राप्त है. वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा लोकसभा सांसद हैं और उनके बेटे विक्रमादित्य 2017 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे.

दिल्ली का राजनीतिक घराना

दिल्ली की तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 1998, 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का झंडा बुलंद किया था. लेकिन उन्हें 2013 में आम आदमी पार्टी से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. जिसमें उन्हें खुद की सीट भी गंवानी पड़ी.

दीक्षित के ससुर उमा शंकर दीक्षित स्वतंत्रता संग्राम के हिस्सा रहे हैं. और 1970 में इंदिरा गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. वे कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं. शीला के बेटे संदीप दीक्षित भी लोकसभा सांसद रह चुके हैं.

जोगी और सोरेन

छत्तीसगढ़ में भले जोगी सरकार का राजनीतिक बोलबाला कम हो रहा हो, लेकिन कांग्रेस से निकाले जाने के बाद उनकी विरासत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी संभाल रहे हैं. अजीत की पत्नी रेणु जोगी छत्तीसगढ़ की कोटा सीट से विधायक हैं. वे पिछले नवंबर में काग्रेंस से टिकट नहीं दिए जाने पर बगावत कर अपने पति की पार्टी को ज्वाइन की थी. इसी बीच अमित की पत्नी रिचा भी नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें शिकस्त झेलना पड़ा.

झारखंड के सोरेन भी एक राजनीतिक परिवार है

झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस कुर्सी पर उनके बेटे हेमंत सोरेन भी रह चुके हैं. शिबू के अन्य बेटे दुर्गा जिनकी 2009 में मृत्यु हो चुकी है, वो भी एक बार विधायक रह चुके हैं. दुर्गा की पत्नी सीता वर्तमान विधायक हैं. उनके तीसरे बेटे बसंत जेएमएम यूथ विंग के अध्यक्ष हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments