scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमराजनीतिभाजपा और कांग्रेस के भाग्य का फैसला, 24 करोड़ मतदाताओं के हाथ

भाजपा और कांग्रेस के भाग्य का फैसला, 24 करोड़ मतदाताओं के हाथ

भाजपा जहां पहली बार मतदान करने जा रहे मतदाताओं पर नजर जमाए हुए हैं वहीं कांग्रेस पहली और दूसरी बार मतदात करने जा रहे वोटर्स पर नजर गड़ाए हुए हैं.

Text Size:

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा भले ही अभी नहीं हुई हो, लेकिन राजनैतिक दल वोटर्स के जोड़ घटाव में जुट गए हैं. वहीं अगर भाजपा सूत्रों की मानें तो चुनाव की तारीख की घोषणा 8 मार्च तक हो सकती है. दोनों पार्टियों की नजर देश के उन 13 करोड़ मतदाताओं पर है जो लोकसभा चुनाव 2019 में पहली बार अपना वोट करेंगे. वहीं इन चुनावों में दूसरी बारी अपने मत का प्रयोग करने वाले 11 करोड़ मतदाता बड़ी राजनैतिक पार्टियों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं. यह वही 11 करोड़ मतदाता हैं जो केंद्रनीत मोदी सरकार के कामकाज की समीक्षा भी करेंगे. विरोधी दल इन्हीं मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए लगे हुए हैं.

भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार

– अभी देश में करीब 87.67 करोड़ मतदाता हैं, उम्मीद जताई जा रही आखिरी समय तक नाम जुड़ने तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 89 करोड़ हो जाएगी.

-जानकारी के अनुसार 2001 में 1.30 करोड़ बच्चे जन्में थे, जो 2019 में 18 वर्ष के होंगे और ये लोकसभा चुनाव 2019 में मतदान करेंगे.

– लोकसभा चुनाव 2019 में 13 करोड़ मतदाता पहली बार मतदान करेंगे.

– नए मतदाताओं में करीब 90 फीसदी की उम्र 18 से 23 साल की होगी, बाकी के 10 फीसदी मतदाता ऐसे होंगे जिनकी उम्र इससे सभी ज्यादा हो सकती है.

– एक जनवरी 2019 तक के आंकड़ों के अनुसार कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 89 करोड़ हो सकती है. एक जनवरी 2018 तक यह संख्या करीब 87 करोड़ है.

– वर्ष 2016 में 66 लाख 39 हजार, 2017 में एक करोड़ 13 लाख 44 हजार और एक जनवरी 2018 में 85 लाख 48 हजार नए वोटर जोड़े गए.

– 2018 के आंकड़ों में एनआरआई और सर्विस इलेक्टर को शामिल नहीं किया गया है. अभी इनकी गणना का काम जारी है. लेकिन एक अनुमान के मुताबिक 2018 में करीब सवा करोड़ नए वोटर जोड़े गए हैं.

– जनगणना 2001 के मुताबिक वर्ष 2001 में करीब एक करोड़ 30 लाख बच्चों का जन्म हुआ था. उम्मीद के मुताबिक इनमें से कम से कम करीब सवा करोड़ नए वोटर एक जनवरी 2019 तक बन जाएंगे, क्योंकि इनकी उम्र 2019 में 18 साल की हो जाएगी.

– नए मतदाताओं में महिला वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा होने का अनुमान है. 2015 से 2018 तक कुल दो करोड़ 85 लाख 55 हजार पुरुष और तीन करोड़ 24 लाख 50 हजार महिलाएं नए वोटर के तौर जुड़ीं. 12 करोड़ 457 थर्ड जेंडर नए वोटर बने.

– देश में करीब 25 हजार एनआरआई वोटर हैं. पिछले चार साल में करीब 13 हजार नए एनआरआई वोटर बने हैं. 2014 में एनआरआई वोटरों की संख्या 11 हजार 846 थी. जबकि 2017 में इनकी संख्या बढ़कर 24 हजार 348 हो गई.

– आंकड़ों के मुताबिक करीब साढ़े तीन लाख नए सर्विस इलेक्टर हैं. 2017 तक 16 लाख 75 हजार 444 सर्विस इलेक्टर थे.

‘पहला वोट मोदी के नाम’ से फर्स्ट टाइम वोटर्स पर फोकस

भारतीय जनता पार्टी  ‘नेशन विद नमो’ और ‘पहला वोट मोदी के नाम’ अभियान से पहली बार वोट करने वाले मतदाताओ को साध रही है. पार्टी का फोकस ‘सबका साथ, सबका विकास’ पर ही होगा. पार्टी युवाओं की जरूरतों के साथ रोजगार पर भी जोर दे रही है. इन चुनावों में महिलाओं, किसानों, दलितों और सैनिकों को पहली प्राथमकिता पर रखा गया है. इन सभी के अलावा जनसभाओं में पार्टी मोदी सरकार की बड़ी योजनाओं को भी खूब भुनाएगी.

युवाओं को साधने के लिए भाजपा ने देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में युवा संसद कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं. विपक्ष के खेती और किसान के मुद्दे को देखते हुए पार्टी ने किसानों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है. इसमें जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर की टीमों को लगाया गया है. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ भी नए मतदाताओं को जोड़ने के काम में लगा हुआ है. वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता भी कॉलेजों में नए मतदाताओं को जोड़ने के काम शुरू कर चुके हैं.

दूसरी बार वोटर्स को अपने पाले में करने की जुगत में कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी का मुख्य फोकस अपने पुराने और पारंपरिक वोट बैंक को फिर से खडे़ करने को लेकर है. पार्टी ने इसके लिए बकायदा एक कमेटी का भी गठन किया है. वहीं पार्टी का फोकस पहली बार वोटर्स से ज्यादा दूसरी बार वोट डालने वाले वोटर्स पर है. पार्टी का मानना है कि 2014 के चुनाव के दौरान पहली बार वोटर्स को भाजपा ने झूठे वादे करके छला है. इन मतदाताओं के सामने हकीकत आ गई है कि भाजपा और मोदी ने देश के लिए क्या किया है यह सबके सामने है. कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल इन वोटर्स पर दांव लगा रहे हैं.

विपक्ष को उम्मीद है कि ये लोग सत्ता तक ले जाने में मुख्य भूमिका निभाएंगे. वहीं कांग्रेस ने फर्स्ट और सेकेंड टाइम वोटर्स को अपनी ओर मोड़ने के लिए खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में युवाओं से संवाद कार्यक्रम शुरू किया है. इसके अलावा कॉलेजों में एम्बेस्डर भी बनाये जा रहे हैं जो कि अन्य छात्रों को जोड़ने का काम करेंगे. पार्टी मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में किसानों के कर्ज माफ करने को भी भुनाएगी. इन राज्यों में सत्ता बदलने के साथ बदली व्यवस्था का भी प्रचार प्रसार करेगी. पार्टी राफेल विमान सौदे को भी लगातार उठा कर माहौल बना रही है.

माया पहुंचीं ट्विटर पर, अखिलेश खुद कर रहे हैं संवाद

बहुजन समाज पार्टी की आस भी युवाओं से लगी हुई है. पार्टी ने अपनी कई समितियों में युवाओं को स्थान दिया है. युवा वोटर्स को जोड़ने के लिए पार्टी में प्रोफेशनल डिग्री होल्डर को बेहद तरजीह दी जा रही है. युवा वोटर्स को देखते हुए हाल ही में बसपा सुप्रीमो ने भी ट्विटर पर दस्तक दे दी है.

वहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव आमतौर पर अपनी सभाओं में युवाओं को रोजगार देने और मोदी सरकार के उनके साथ विश्वासघात करने की बात करते हैं. पार्टी में युवाओं के लिए एक विंग बनाई गई है. समाजवादी युवजन सभा, मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड में युवाओं को महत्व दिया जा रहा है. लोकसभा सीटों के हिसाब से उप्र में पहली बार मत करने वाले युवाओं की अहमियत बढ़ गई है.

जानकारी के मुताबिक उप्र में कुल 14.40 करोड़ मतदाता हैं. इस बार 45 लाख से ज्यादा लोगों ने अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाया है.

तेजस्वी का रोजगार, नीतीश का फोकस बिहार में बहार पर

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का फोकस अब भी बिहार में रोजगार के सृजन को लेकर है. वे अपने हर भाषण में युवाओं के मुद्दे को लेकर नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करते हैं. हाल ही में उन्होंने युवाओं को खुद से जोड़ने के लिए ट्विटर चौपाल भी लगाई थी. पार्टी कई युवा सम्मेलन भी कर चुकी है. तेजस्वी बिहार के युवा नेताओं में से एक हैं अब देखना है कि वे युवाओं के वोट अपनी पार्टी की तरफ कैसे जोड़ते हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार में चार लाख युवा पहली बार अपने मत का प्रयोग करेंगे. इसके अलावा 20 से 29 साल के करीब 7.10 लाख नए लोगों ने वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया है. ये लोग भी अपना मत करेंगे.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के दौरान कई लोकलुभावन योजनाएं युवाओं के लिए शुरू की है. इनमें छात्रों के लिए चार लाख रुपए तक स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड स्कीम के अलावा पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक वर्ग के लिए छात्रवृत्ति योजना शामिल है. वहीं यूपीएससी की परीक्षा पास करने पर पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति व जनजातियों के छात्रों के लिए एक लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि व राज्य की यूपीएससी परीक्षा पास करने पर 50 हजार रुपए की राशि देने की योजना मुख्य है.

तृणमूल कांग्रेस ने आगे बढ़ाया अभिषेक बनर्जी को

बंगाल की सत्ता पर काबिज ममता बनर्जी ने अपने भतीजे और तृणमूल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी को आगे किया है. वे विपक्षियों पर बेहद आक्रमक तरीके से हमले कर करते हैं. अभिषेक पार्टी के बंगाल की डायमंड हार्बर सीट से सांसद भी हैं.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने महाराष्ट्र राज्य में युवाओं को आकर्षित करने के लिए पार्टी सांसद सुप्रीया सुले और शरद पवार के भतीजे व पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को आगे किया है. वहीं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने युवा मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है. आदित्य पिछले दो वर्षों से पार्टी के युवाओं को जोड़ रहे हैं. वहीं युवा सांसदों के हर कार्यक्रमों में प्रमुखता से शामिल भी होते हैं.

तमिलनाडु में स्टालिन है युवा चेहरा

लोकसभा सीटों के लिहाज से तमिलनाडु एक अहम राज्य है. राज्य में 39 लोकसभा सीटे हैं. द्रमुक द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के प्रमुख 65 वर्षीय मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन (एमके स्टालिन) तमिलनाडु में एक युवा चेहरे के रूप में पहचाने जाते हैं. वर्तमान परिदृश्य के लिहाज से पार्टी में अभी कोई उनके समक्ष खड़ा होता नजर नहीं आ रहा है. पार्टी की कमान संभालने के बाद से स्टालिन एक्टिव मोड में आ गए है. पार्टी ने यहां कांग्रेस से गठबंधन किया है. स्टालिन भी यहां युवाओं पर फोकस कर रहे हैं और एआईडीएमके सरकार के खिलाफ राज्यभर में दौरा कर उनकी खामियों को उजागर करने में जुटे हैं.

मार्च के पहले पखवाड़े में हो सकती है चुनाव की घोषणा

निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा मार्च के पहले पखवाड़े में संभव है. संभवत: इस बार आम चुनाव दस से बारह चरणों में हो सकते हैं. चुनाव की तैयारियों के लिए निर्वाचन आयोग की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है.

आयोग के अधिकारी अधिकतर राज्यों का दौरा कर चुके हैं. कुछ राज्यों में अधिकारियों का दौरा अंतिम चरण में है. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव नौ चरणों में हुए थे. पहले दौर में दो राज्य, दूसरे चरण में पांच राज्य, तीसरे में 14, चौथे में तीन, पांचवे में 13, छठे में 12, सातवें में नौ, आठवें में सात, नौवें में तीन राज्यों में चुनाव हुए थे.

 

share & View comments