बेंगलुरु/नई दिल्ली: मंगलवार को बेंगलुरु में हुई छब्बीस पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ विपक्षी गठबंधन का नाम ‘INDIA’ रखा, जो ‘भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन’ का संक्षिप्त रूप है – जिसने 2024 के लोकसभा चुनावों को भारत और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के बीच लड़ाई’ में बदल दिया है.
हालांकि, बैठक में भाग लेने वाले नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि यह संक्षिप्त नाम आना आसान नहीं था. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा सोमवार को आयोजित रात्रिभोज में गठबंधन के नए नाम के लिए कई नाम सुझाए गए. लेकिन, घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा, यह एक समूह था जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और के.सी. वेणुगोपाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी और डेरेक ओ’ब्रायन, शामिल थे, जो ‘इंडिया’ के आइडिया के साथ सामने आए थे.
ओ’ब्रायन ने मंगलवार को दिप्रिंट को बताया, “हम किसी नाम की तलाश में नहीं थे. हम एक बड़े विचार की तलाश में थे और वह है भारत.”
कांग्रेस को गठबंधन के नाम का श्रेय लेने की जल्दी थी, हालांकि बैठक में शामिल हुए कई नेताओं ने इस आइडिया के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का नाम लिया.
बैठक में भाग लेने वाले दो नेताओं के अनुसार, ‘इंडिया’ संक्षिप्त नाम में शब्दों के इस्तेमाल की असीमित क्षमता, मजाक उड़ाए जाने के खिलाफ एक सेफगार्ड के रूप में खोजा गया उपाय और एक व्यापक अपील थी.
एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के उद्घाटन भाषण के बाद बनर्जी बोलने वाली पहली थीं, जहां उन्होंने बैठक से पहले संक्षिप्त नाम रखा था. बैठक में भाग लेने वाले एक नेता ने कहा, उन्होंने मंगलवार सुबह विपक्षी बैठक में अधिकांश नेताओं को इसकी अवधारणा समझाई, लेकिन उनके बिहार समकक्ष, नीतीश कुमार और सीपीआई (एम) के सीताराम येचुरी इस प्रस्ताव पर विशेष रूप से रोमांचित नहीं थे.
संसद सदस्य और विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) पार्टी के प्रतिनिधि थोल थिरुमावलवन ने दिप्रिंट को बताया, “ममता बनर्जी ने भारत का सुझाव दिया, जो भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन के लिए था. इसका समर्थन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने किया. ”
नाम न छापने की शर्त पर बैठक में शामिल एक अन्य नेता ने कहा, “राहुल [गांधी] ने कहा कि मोर्चे का नाम ‘INDIA’ रखने से विपक्ष को कथाओं की लड़ाई में बढ़त हासिल करने में मदद मिलेगी क्योंकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इसके मुकाबले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम उछालना मुश्किल हो जाएगा.”
‘INDIA’ गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के विरोधी दलों का एक संयुक्त मोर्चा पेश करना चाहता है.
विपक्ष की बैठक में मौजूद 26 दलों में कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), शिव सेना (यूबीटी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), शामिल थे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), समाजवादी पार्टी, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), झारखंड मुक्ति मोर्चा, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, एमडीएमएल, वीसीके, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी , कोंगु देसा मक्कल काची, फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस (मणि), अपना दल (कामेरावाड़ी) और मनिथानेया मक्कल काची.
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अन्य दावेदार
हालांकि बैठक में मौजूद सूत्रों के मुताबिक, बैठक में प्रस्तावित यह एकमात्र नाम नहीं था. घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि प्रत्येक नेता ने पहले गठबंधन के लिए एक नाम प्रस्तावित करने और फिर इसके पीछे के विचार को समझाने में कई मिनट बिताए.
कहा जाता है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भारत से ‘एन’ अक्षर को हटाने और ‘आईडीआईए’ को बनाए रखने का सुझाव दिया, जो ‘इंडियन डेमोक्रेटिक इनक्लूसिव अलायंस’ का संक्षिप्त रूप है.
सूत्रों के मुताबिक, येचुरी ने ‘वी फॉर इंडिया’ का समर्थन किया, जबकि सीपीआई के डी. राजा ने ‘सेव डेमोक्रेसी अलायंस’ या ‘सेक्युलर इंडिया’ का सुझाव दिया.
सूत्रों ने कहा कि वीसीके ने संभावित नाम के रूप में ‘भारत बचाओ गठबंधन’ या ‘धर्मनिरपेक्ष भारत गठबंधन’ का सुझाव दिया, जबकि मारुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) के वैयापुरी गोपालसामी – जिन्हें वाइको के नाम से जाना जाता है – ने ‘इंडियन पीपल्स अलायंस’ का समर्थन किया.
बैठक में मौजूद लोगों के मुताबिक, गठबंधन के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक नीतीश कुमार ‘इंडियन मेन फ्रंट’ चाहते थे.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में गठबंधन के लिए एक और नाम ‘भारत जोड़ो गठबंधन’ का सुझाया गया, जिसका उद्देश्य कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा की सफलता को आगे बढ़ाना है. उनका नाम जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती ने सुझाया था.
सूत्रों ने बताया कि इस बीच, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ‘यूपीए-3’ लेकर आए और फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव जी. देवराजन ने ‘पीपुल्स अलायंस फॉर इंडिया’ का प्रस्ताव रखा.
हालांकि, अंत में ‘INDIA’ पर मुहर लगी, जिसे गठबंधन के नाम के रूप में अपनाया गया था.
‘INDIA’ क्या दर्शाता है?
बैठक में मौजूद लोगों में से सूत्रों ने बताया कि नेताओं के बीच इस बात पर भी मतभेद थे कि संक्षिप्त नाम के प्रत्येक अक्षर को क्या दर्शाया जाना चाहिए.
इस बात पर मंथन चल रहा था कि क्या ‘एन’ अक्षर का मतलब ‘नया’ या ‘राष्ट्रीय’ होना चाहिए, या फिर ‘डी’ का मतलब ‘लोकतांत्रिक’ या ‘विकासात्मक’ होना चाहिए. एक नेता ने कहा, बाद में यह तय किया गया कि राजनीतिक दलों द्वारा सुझाए गए सभी नाम अब चुनाव अभियान का हिस्सा बन जाएंगे.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बैठक में कहा कि नामों पर चर्चा बाद में हो सकती है लेकिन पार्टियों को ‘सीट-बंटवारे पर मतभेदों को दूर करने’ पर अधिक ध्यान देना चाहिए.
सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने दिप्रिंट को बताया, “एक काम हो गया है लेकिन वह (नाम) पहला चरण है, लोगों को उम्मीद थी कि गठबंधन का कोई नाम होगा और यह हिस्सा अब खत्म हो गया है.”
(अनुवाद: पूजा मेहरोत्रा)
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