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Wednesday, 29 January, 2025
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सैनी 2.0 के 100 दिन: हरियाणा के CM को क्यों अब केवल खट्टर की परछाई नहीं देखा जाता

सीएम बनने के एक साल से भी कम समय में सैनी ने विधानसभा चुनावों में भाजपा को शानदार जीत दिलाई और अपने ‘समावेशी’ दृष्टिकोण के साथ भाजपा के भीतर और बाहर एक सम्मानित नेता के रूप में उभरे हैं.

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गुरुग्राम: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले अपने जन्मदिन पर चंडीगढ़ स्थित अपने आवास संत कबीर कुटीर में आमंत्रित किए जाने से सफाई कर्मचारी काफी खुश थे.

पंचकूला और आस-पास के इलाकों से आए सफाई कर्मचारियों का सैनी ने गर्मजोशी से स्वागत किया. सैनी अपनी पत्नी के साथ उनके साथ बैठे और सर्दी के मौसम में उनके साथ गर्मा-गरम नाश्ता किया. अगले कुछ मिनटों में सीएम ने कर्मचारियों की शिकायतें सुनीं और उनके काम पर चर्चा की.

आमंत्रित लोगों में से एक पूनम ने दिप्रिंट को बताया, “हम आज सीएम को उनके जन्मदिन पर बधाई देने आए थे. जब हम पहुंचे तो यह देखकर हैरान रह गए कि हमारे लिए खाना तैयार किया गया था. सीएम ने जाने से पहले हमसे उनके साथ खाना खाने को कहा.”

सैनी का जन्मदिन पिछले साल हरियाणा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की शानदार जीत के बाद उनके दूसरे कार्यकाल के 100 दिनों के साथ मेल खाता है.

पिछले साल मार्च में लोकसभा चुनावों से पहले मनोहर लाल खट्टर की जगह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने के भाजपा के फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया था क्योंकि सैनी का अनुभव कम था. सैनी सिर्फ एक बार सांसद और विधायक रह चुके थे.

एक साल से भी कम समय में 55-वर्षीय सैनी को न केवल एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने हरियाणा में भाजपा की स्थिति को मज़बूत किया है, बल्कि उन्हें सभी राजनीतिक दलों से सराहना भी मिली है.

पूनम और यहां तक ​​कि विपक्षी खेमे की प्रतिक्रियाओं से लाडवा विधायक के करीबी लोगों को कोई हैरानी नहीं हुई. सैनी के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रेय ने दिप्रिंट को बताया, “जब भाजपा ने उनके नेतृत्व में 48 सीटें जीतीं, तो सीएम सैनी ने घोषणा की कि वे तब तक शपथ नहीं लेंगे, जब तक वे सरकारी नौकरियों के लिए उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र नहीं सौंप देते. 17 अक्टूबर 2024 को, सीएम ने पद की शपथ लेने से पहले 25,000 से ज़्यादा ग्रुप-सी उम्मीदवारों को पत्र सौंपे गए.”

“इस प्रतीकात्मक कार्य ने पारदर्शिता और योग्यता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया, जो हरियाणा के युवाओं के साथ प्रतिध्वनित होता है.”

दोनों मुख्यमंत्रियों के साथ काम करने वाले भाजपा के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसे कई मौके आए हैं जब सैनी ने खुद को खट्टर से बेहतर और लोकप्रिय राजनेता साबित किया है.

2023 में ग्रामीण विकास पंचायत कार्यों के लिए हरियाणा सरकार की ई-टेंडर नीति के खिलाफ विरोध का हवाला देते हुए, भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि उस समय खट्टर ने सख्त रुख अपनाया था, जिससे ज़मीनी स्तर पर काम ठप हो गए थे.

मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद, सैनी ने सरपंचों के साथ बैठक की और ई-टेंडरिंग के बिना विकास कार्यों के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ा दी.

भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि खट्टर जनता के साथ अपनी खुली बैठकों में मांग करने वाले लोगों से नाराज़ होने के लिए जाने जाते हैं. “विधानसभा चुनावों के दौरान भी, उन्होंने एक व्यक्ति को कार्यक्रम स्थल से चले जाने को कहा जब उसने खट्टर से कहा कि हालांकि, भाजपा अगली सरकार बनाएगी, लेकिन उनके हिसार के उम्मीदवार (कमल गुप्ता) हार जाएंगे.”

गुप्ता अंततः निर्दलीय सावित्री जिंदल से हार गए, जो भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां भी हैं.

भाजपा पदाधिकारी ने कहा, “इसके उलट, 10 जनवरी को हिसार की यात्रा के दौरान सैनी ने एक जोड़े को फोन किया, जिन्होंने पुलिस द्वारा रोके जाने पर आत्मदाह का प्रयास किया था. बाद में जोड़े ने अपनी लापता बेटी का पता लगाने में पुलिस की निष्क्रियता के बारे में शिकायत की.”


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‘अपनी बात के पक्के’

हरियाणा की राजनीतिक संस्कृति से अलग हटकर सैनी ने विपक्षी नेताओं के प्रति अधिक समावेशी और सम्मानजनक दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश की है, जैसा कि कांग्रेस के गोकुल सेतिया के मामले में देखा गया है.

नवंबर में सिरसा में एक मेडिकल कॉलेज की नींव रखते समय, सीएम ने सुनिश्चित किया कि प्रोटोकॉल को लेकर गलतफहमी के कारण कथित तौर पर नाराज़ सेतिया को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया जाए और उन्हें एक प्रमुख भूमिका दी जाए. कांग्रेस विधायक ने सैनी की प्रशंसा की थी और उनके साथ मंच साझा किया था.

सेतिया ने दिप्रिंट को बताया कि सैनी के सिरसा दौरे से पहले, उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित काम के लिए सीएम कार्यालय में उनसे मुलाकात की थी और कहा कि सैनी ने तुरंत अधिकारियों को आदेशों का पालन करने के निर्देश दिए.

सेतिया ने बताया, “उन्होंने मुझसे कहा कि वे मेरे निर्वाचन क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की नींव रखने आएंगे. जिस दिन वे आने वाले थे, डिप्टी कमिश्नर (डीसी) ने मुझे सिरसा एयरफोर्स स्टेशन का प्रवेश पास नहीं दिया, जहां सैनी को उतरना था. मेरा डीसी से झगड़ा हुआ, लेकिन अपने प्रभाव से स्टेशन जाने में कामयाब रहा, लेकिन, जब तक मैं पहुंचा, तब तक सीएम का काफिला बाहर आना शुरू हो चुका था.”

उन्होंने कहा, “जैसे ही सैनी ने मुझे देखा, उन्होंने एयरफोर्स स्टेशन के गेट पर काफिला रुकवाया और मुझे अपने साथ अपनी कार में बैठाया. फिर, हम कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़ गए. ऐसे गुणों वाले सीएम की तारीफ कोई कैसे न करे?”

विधायक ने कहा कि सैनी “अपनी बात के पक्के आदमी हैं”, “वे जो वादा करते हैं, उसे पूरा करते हैं. उनके बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वे भाजपा विधायकों और विपक्ष के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों के बीच भेदभाव नहीं करते.”

एक अन्य कांग्रेस विधायक शैली चौधरी ने 20 जनवरी को नारायणगढ़ के अपने दौरे के दौरान सैनी की तारीफ करते हुए कहा कि वे “एक लोकप्रिय नेता” हैं. संयोग से, सैनी पहले हरियाणा विधानसभा में नारायणगढ़ का प्रतिनिधित्व करते थे.

‘शासन शैली में बदलाव’

खट्टर और सैनी दोनों के शासन के दौरान काम कर चुके एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि नायब सैनी न केवल लोगों के बीच बल्कि अधिकारियों के बीच भी लोकप्रिय हैं.

सिविल सेवक ने दिप्रिंट से कहा, “बैठकों या अधिकारियों के साथ आमने-सामने की बातचीत में वे (सैनी) अपने हमेशा मुस्कुराते व्यवहार से माहौल को खुशनुमा बना देते हैं, लेकिन साथ ही, जब उनके आदेशों को लागू करने की बात आती है, तो वे अपनी दृढ़ता नहीं खोते. फैसला सुनाने से पहले वे सभी दृष्टिकोणों को ध्यान से सुनते हैं. यहां तक ​​कि अगर वे किसी बिंदु से सहमत नहीं होते हैं, तो भी वे कभी भी अधिकारी से नाराज़ नहीं होते, बल्कि बात बदलकर आगे बढ़ जाते हैं.”

अधिकारी के अनुसार, सैनी शीर्ष पद पर अपेक्षाकृत नए होने के बावजूद चीज़ों से अच्छे से वाकिफ हैं.

अधिकारी ने कहा, “नौकरशाहों के साथ एक बैठक के दौरान, एक वरिष्ठ (अधिकारी) ने नाबार्ड को पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम) बताया. सैनी ने तुरंत विनम्रता से अधिकारी से कहा कि वे अपनी जानकारी को ठीक करें और नाबार्ड को पीएसयू न कहें. सैनी ने अधिकारी से कहा कि ‘नाबार्ड शीर्ष विकास बैंक है, जिसके पास सहकारी बैंकों पर विनियामक शक्तियां हैं. सहकारी बैंकों के लिए नाबार्ड वही है, जो वाणिज्यिक बैंकों के लिए आरबीआई है’, जिससे अन्य लोग काफी हैरान थे.”

अधिकारी ने कहा, “उन्हें (सीएम को) अक्सर लोगों से मिलने के लिए रुकते देखा गया है और उनके इस तरह के हाव-भाव फोटो खिंचवाने के मौकों की तरह नहीं, बल्कि बहुत असली लगते हैं.”

पिछले साल अगस्त में रोहतक के दौरे पर सैनी ने एक चाय की दुकान पर अपना काफिला रुकवाया और अपने और अपने साथ आए अन्य लोगों के लिए चाय बनाई. उसी महीने सैनी अपनी कार से उतरकर जींद जिले में बैलगाड़ी पर सवार हुए. तीन महीने बाद, सीएम को सोनीपत जिले के गोहाना में ‘जलेबी’ बनाने की कोशिश करते देखा गया.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, सैनी अपने मिलनसार व्यवहार, निर्णायक शासन और अभिनव नेतृत्व के कारण अपने पूर्ववर्ती खट्टर से अधिक लोकप्रिय हो गए हैं.

कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा स्थित इंदिरा गांधी राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. कुशल पाल ने दिप्रिंट को बताया कि जब मार्च 2024 में सैनी को मुख्यमंत्री पद पर बिठाया गया था, तो उन्हें खट्टर का शिष्य माना गया था.

पाल ने कहा, “हालांकि, बहुत कम समय में ही सैनी न केवल अपने पूर्ववर्ती (खट्टर) की छत्रछाया से बाहर निकलने में कामयाब रहे हैं, बल्कि लोगों तक अपनी पहुंच और मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ सभी की बात सुनने की क्षमता के माध्यम से खुद को एक बेहतर और अधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री साबित कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि जब हरियाणा में 2024 में चुनाव होने वाले थे, तो भाजपा नेताओं सहित लगभग सभी ने सोचा था कि कांग्रेस सत्ता में आएगी, “लेकिन यह केवल जनता के बीच सैनी की लोकप्रियता के कारण ही था कि सत्तारूढ़ पार्टी न केवल तीसरी बार सत्ता में लौटी, बल्कि पहले से अधिक विधायकों के साथ भी सत्ता में आई.”

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) की शोधकर्ता ज्योति मिश्रा के अनुसार, दूसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री के रूप में सैनी के पहले 100 दिन उनके पूर्ववर्ती की तुलना में शासन में बदलाव को दर्शाते हैं.

मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, “जबकि खट्टर ने विकास, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे और भाजपा के राष्ट्रीय एजेंडे के साथ तालमेल पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया, उनके नेतृत्व को अक्सर कम सुलभ और स्थानीय मुद्दों से अलग माना जाता था. परियोजनाओं और मुद्दों, जैसे कि गौ रक्षा और भ्रष्टाचार विरोधी उपायों पर उनके जोर ने ध्यान आकर्षित किया, लेकिन बेरोज़गारी, कृषि संकट और हाशिए के समुदायों की ज़रूरतों जैसे सामाजिक-आर्थिक चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में विफल रहे.”

उन्होंने कहा, “इसके विपरीत, सैनी अधिक समावेशी, व्यावहारिक शासन शैली अपनाते हुए दिखाई देते हैं. उनका नज़रिया आंतरिक पार्टी सामंजस्य पर जोर देता है, हरियाणा में विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास बनाने के लिए काम करता है.”

उन्होंने कहा कि सैनी ने बेरोज़गारी और किसान संकट जैसी क्षेत्रीय चिंताओं को सीधे संबोधित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, जो अधिक व्यापक कल्याण नीतियों की ओर बदलाव का संकेत देता है.

उन्होंने कहा कि नेतृत्व सुलभता और फैसले लेने में स्थानीय लोगों की भागीदारी को प्राथमिकता देता है, जो खट्टर के शीर्ष-स्तरीय दृष्टिकोण के विपरीत है. मिश्रा ने कहा, “सैनी की शैली व्यावहारिक है, जो ज्वलंत मुद्दों के लिए स्थानीय समाधान की तलाश करते हैं. वे प्रशासनिक मशीनरी को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि शासन ज़मीनी स्तर तक पहुंचे. पार्टी की आंतरिक एकता और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के बीच संतुलन बनाने की उनकी क्षमता उनके कार्यकाल की सफलता को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण होगी.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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