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Tuesday, 24 December, 2024
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बाबू से नेता बनने तक का सफर: 10 सिविल अधिकारी जिन्होंने राजनीति में कमाया नाम

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छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी ओ.पी. चौधरी अदला-बदली करने वाले लोगों की एक लंबी सूची में शामिल हो गए। उन्होंने मुख्यमंत्री रमन सिंह के आदेश पर भाजपा को ज्वाइन किया है।

नई दिल्ली: 2005 बैच के आईएएस अधिकारी छत्तीसगढ़ रायपुर जिला के कलेक्टर ओ.पी. चौधरी ने भाजपा में शामिल होने के लिए पिछले हफ्ते अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।

कथित तौर पर चौधरी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के आदेश पर राजनीति में उतरने का फैसला किया,जो बग़ावत-प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा और रायपुर के कलेक्टर के रूप में उनके काम से प्रभावित थे। युवा अधिकारी ने भी राजनीति में आने का निर्णय लिया क्योंकि वह “कुछ अलग करना” चाहते । इस शीतकालीन विधानसभा चुनाव में उनके निर्वाचन क्षेत्र खरसिया से चुनाव लड़ने की संभावना है।

लेकिन वह अकेले नहीं है। दिप्रिंट ने 10 अन्य सिविल सेवकों पर एक नज़र डाली है जो इस मार्ग पर चले और उन्होंने सफलता प्राप्त की। शुरुआत चौधरी के नए राजनीतिक प्रतिद्वंदी के साथ करते है।

अजीत जोगी

जब अजीत जोगी ने राजनीति में शामिल होने का फैसला किया तो वह भी जिला कलेक्टर थे। 1968 के बैच के एक आईएएस अधिकारी, वह तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा प्रोत्साहित करने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने।

एक वक़्त गांधी परिवार के वफादार होने के बाद, जोगी को भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों के बहुत से आरोपों का सामना करना पड़ा, और आखिरकार 2016 में कांग्रेस छोड़नी पड़ी जब उनके विधायक पुत्र अमित को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। तब इस आदिवासी नेता ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन किया, जो आने वाले चुनावों में कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।

यशवंत सिन्हा

पटना में जन्मे यशवंत सिन्हा ने 1960 में आईएएस को ज्वाइन किया और 1984 तक नौकरशाह बने रहे। वह 1990-91 में जनता दल के सदस्य के रूप में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के केंद्रीय मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री बने और बीजेपी में जाने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी के अगुआई वाली एनडीए सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मामलों के मंत्री के रूप में काम किया।

2018 में उन्होंने वर्तमान पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेदों के परिणामस्वरूप भाजपा को छोड़ दिया। उनके बेटे जयंत सिन्हा नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री हैं।


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मीरा कुमार

बिहार के आरा में जन्मी मीरा कुमार 2009 से 2014 तक लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली भारत की पहली महिला बनीं। उनके पिता बाबू जगजीवन राम ने भारत के चौथे उप -प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।

मीरा कुमार ने 1973 में भारतीय विदेश सेवा को ज्वाईन किया और करीब एक दशक से अधिक समय तक सेवा की।

बिजनौर उप-चुनाव में राम विलास पासवान और मायावती को हराकर वह 1985 में राजनीति में आईं।

2004 में उन्हें कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री नियुक्त किया गया था। कांग्रेस ने 2017 में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए मीरा कुमार को भी चुना, जहाँ वह रामनाथ कोविंद से हार गईं थी ।

मणिशंकर अय्यर

लाहौर में जन्में मणिशंकर अय्यर ने 1963 में भारतीय विदेश सेवा को ज्वाइन किया , 1989 में राजनीति में शामिल होने के लिए सेवानिवृत्त हुए। वह 1991 में तमिलनाडु के मयीलाडूतुरै से लोकसभा के लिए चुने गए थे। तब से उन्होंने सरकार में विभिन्न पदों पर कार्य किया है,पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (2004-06), युवा मामलों और खेल (2006) -08) और पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास (2008-09)जैसे पोर्टफोलियो संभाले।

दून स्कूल में राजीव गांधी से वरिष्ठ अय्यर पूर्व प्रधानमंत्री के करीबी थे और गांधी परिवार के वफादार बने रहे हैं। हालांकि, उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान अपने कुख्यात “चायवाला -कांट -बी -पीएम” टिप्पणी और गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले पीएम मोदी के खिलाफ उनकी “नीची जात” पर तंज जिसके परिणामस्वरूप पिछले साल कांग्रेस से उनका निलंबन हुआ था। हालाँकि निलंबन हाल ही में रद्द कर दिया गया।

नटवर सिंह

1953 में नटवर सिंह ने भारतीय विदेश सेवा ज्वाइन की और 31 वर्षों तक सेवा दी। आईएफएस अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्हें चीन और अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण दूतावासों में तैनात किया गया था।

1984 में उन्होंने आईएफएस छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। वह भरतपुर, राजस्थान से आठवीं लोकसभा में चुने गए थे। उसी वर्ष, उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

1985 में वह राजीव गांधी की सरकार में स्टील, कोयला और खनन और कृषि मंत्रालयों में राज्य मंत्री बने। उन्होंने मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के दौरान विदेश मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया।

सिंह कभी गांधी परिवार के बहुत करीबी थे और शायद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को “सोनिया” के रूप में संबोधित करने वाले एकमात्र कोंग्रेसी नेता थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनौपचारिक निकास के बाद उनकी प्रतिष्ठा कम हो गयी क्योंकि कथित तौर पर फ़ूड फॉर आयल स्कैंडल में उनके पुत्र के शामिल होने का कोलाहल मच चुका था ।

अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1992 में उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा ज्वाइन की ।

कुछ साल बाद वह भारतीयों के लिए सूचना के अधिकार रखने के लिए प्रचारक बन गए और 2006 में उभरते नेतृत्व के लिए रैमन मैगसेसे अवॉर्ड जीता ।

2011 में भ्रष्टाचार विरोधी जन लोकपाल आंदोलन में अन्ना हज़ारे के साथ केजरीवाल एक प्रमुख चेहरा थे और 2012 में आम आदमी पार्टी लॉन्च करने के लिए उन्होंने आंदोलन का इस्तेमाल किया। 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 49 दिनों बाद उनकी सरकार गिर गई, 2015 में उनकी पार्टी ने 70 में से 67 सीट जीतकर अभूतपूर्व बहुमत के साथ वापसी की।


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मोदी सरकार में नौकरशाह

हरदीप सिंह पुरी

हरदीप सिंह पुरी वर्तमान में आवास और शहरी मामलों के लिए राज्य (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री हैं।

पुरी ने 1974 में भारतीय विदेश सेवा ज्वाइन की और ब्रिटेन और ब्राजील में राजदूत के रूप में कार्य किया। वह जिनेवा के साथ-साथ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि भी थे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो बार अध्यक्ष भी थे – अगस्त 2011 और नवंबर 2012 में । 2011-2012 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकवाद विरोधी समिति के चेयरमैन के रूप में सेवा प्रदान की ।

पुरी जनवरी 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए और सितंबर 2017 में मंत्रियों की परिषद में शामिल किए गए।

राज कुमार सिंह

राज कुमार सिंह 1975 बैच के पूर्व बिहार-कैडर आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने केंद्रीय गृह सचिव के रूप में कार्य किया था। सिंह समस्तीपुर के जिला मजिस्ट्रेट थे जब भाजपा नेता एल.के आडवाणी को 1990 में उनकी रथ यात्रा के दौरान गिरफ्तार किया था।

सिंह 2013 में भाजपा में शामिल हो गए। वह वर्तमान में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के लिए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं और लोकसभा में बिहार के आरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सत्यपाल सिंह

सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं। उन्होंने मुंबई के पुलिस आयुक्त के रूप में भी कार्य किया और 1990 के दशक के दौरान मुंबई में संगठित अपराध सिंडिकेट को खत्म करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के नक्सली प्रभावित इलाकों में उनकी असाधारण सेवाओं के लिए सिंह को 2008 में आतंरिक सुरक्षा सेवा पदक से सम्मानित किया गया था।

2014 में उन्होंने मुंबई पुलिस प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने 2014 के आम चुनावों में बागपत सीट से चुनाव लड़ा और जीता और वर्तमान में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री हैं।

2016 में सिंह ने यूपीए सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाया था कि उनको इशरत जहां मुठभेड़ मामले में नरेंद्र मोदी (तब गुजरात के मुख्यमंत्री) को फ्रेम करने के लिए उनको लुभाने की कोशिश की थी।

सिंह ने इस साल की शुरुआत में एक विवाद भी उठाया जब उन्होंने कहा कि डार्विन के विकास का सिद्धांत “वैज्ञानिक रूप से गलत है” और स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाना चाहिए।

अल्फोंज कन्नाथानम

केरल के कोट्टायम जिले के रहने वाले अल्फोंज कन्नाथानम, 1979 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं।

1990 के दशक में दिल्ली विकास प्राधिकरण के कमिश्नर के रूप में कार्य करते हुए अल्फोंज लाइमलाइट में आए, जब उन्होंने कई अवैध इमारतों को ध्वस्त करवा दिया और 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की भूमि का पुन: दावा किया। इसने उनको एक नया उपनाम ‘डिमोलिशन मैन’ दिया ।


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वह 2006 में आईएएस से सेवानिवृत्त हुए और वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट के समर्थन के साथ उस साल कोट्टायम में कंजिरप्पाली से एक स्वतंत्र विधायक के रूप में निर्वाचित हुए ।

वह 2011 में बीजेपी में शामिल हो गए और छह साल बाद, राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने। वह वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री हैं  और साथ ही राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के लिए पर्यटन मंत्री हैं।

Read in English : 10 IAS, IFS and other civil servants who made it big in politics

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