scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमराजनीतिट्रम्प से निराश, भारत रूस के साथ पुरानी दोस्ती को फिर से जगायेगा

ट्रम्प से निराश, भारत रूस के साथ पुरानी दोस्ती को फिर से जगायेगा

Text Size:

ट्रम्प की चाल से शंकित, पिछले दशको में अमेरीकी सरकार के तरफ झुकाव से अलग, लगता है नयी दिल्ली फिर से अपने पुराने रिश्तों की तरफ रुख कर रही है.

नई दिल्ली: सोमवार को सोची के ब्लैक सी रिज़ॉर्ट में कुछ घंटों के लिए, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया जायेगा, मोदी की ये मुलाकात अन्य मुलाकातों के बीच हो रही है जहाँ एक तरफ सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद और बल्गेरियाई राष्ट्रपति रुमेन राडेव और दूसरी ओर जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुअल मैक्रॉन सम्बन्ध सुधारने हेतु मिल रहे हैं

यह अल्पकालीक यात्रा जहाँ एयर इण्डिया वन सीधे पालम से सोची के लिये  सुबह 9:30 पर सीधे लैंड करेगी और शाम 6 बजे वहां से उड़ान भरेगी -उम्मीद करी जा रही है की इस वर्ष दोनों नेताओं के बीच जो तीन टेलीफोन कॉलों  के माध्यम से “क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थिति” पर बातचीत हुई उसी को आगे बढ़ाया जायेगा।

दिल्ली में पैदा हुई हलचल के लिए ये मुलाकात कुछ स्थिरता लाएगी जो कि ट्रम्प द्वारा विश्व नीतियों में लाये गए परिवर्तन की वजह से है और जिसकी वजह से भारत पर असर पड़ रहा है.

दिल्ली की चार प्राथमिक चिंताएँ इस प्रकार हैं:

सबसे पहले, अमेरिका ने कहा है कि ईरान परमाणु समझौते से हटने के साथ ही ईरान से समझौता करने वाले देशों के ऊपर भी इसका असर पड़ेगा। 6 अगस्त से इरान के साथ किसी देश का डालर में  लेनदेन नहीं होगा। दिल्ली अब चिंतित है कि ईरान के चाबहर बंदरगाह के विकास हेतु जिसके लिये 500 मिलियन डॉलर खर्च करने का वादा भारत ने किया है,उसको आघात पहुचेगा।

वैसे चबाहर को पाकिस्तान के कराची बंदरगाह के लिए एक विकल्प माध्यम के रूप में  और साथ ही चाइना द्वारा समर्थित ग्वादर के बंदरगाह के लिए भी देखा जा रहा था जो की ज़मीनी रूप से घिरे अफगानिस्तान द्वारा सामान के आयात और निर्यात के लिए इस्तेमाल किये जाता है – इस सोच को तीन साल पहले अमेरिका का भी समर्थन प्राप्त था।

दिल्ली इस सन्दर्भ में चिंतित है कि ईरान के खिलाफ लगा प्रतिबंध ऊर्जा की लागत को बढ़ाएगा, लेकिन दूसरी ओर यह भी है कि सऊदी अरब ने भारत में निर्यात की गई ऊर्जा के मामले में ईरान को भी पीछे छोड़ दिया है .

दूसरा चिंता का विषय यह है कि, भारत का वाशिंगटन में मॉस्को विरोधी मनोदशा को लेकर रूस के साथ किसी भी संभावित हथियारों का समझौता उसे परेशानी की स्थिति में पहुंचा सकता है. इस समझौता में एस-400 ट्रायमफ एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हैं जो दिल्ली मॉस्को से लगभग $ 4.5 बिलियन में खरीदना चाहता है। यह समझौता अक्टूबर 2016 में शुरू किया गया था, लेकिन इसके अंतिम मूल्यो को लेकर वार्ता अभी लंबित है।

दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि वे अमेरिकी दबाव के सामने न डरने का दृढ़ संकल्प रखते हैं। लेकिन वुहान शिखर सम्मेलन के चलते, जहाँ चीन के साथ संबंधों का “रीसेट” अभी प्रक्रिया में है, ऐसा लग रहा है कि भारत पिछले दशकों में अपने परमाणु सम्बन्धों से रचे गए अमेरीकी सरकार के प्रति अपने झुकाव से अलग, फिर से अपने पुराने रिश्तों की तरफ रुख कर रही है

अधिकारियों का कहना है कि वे अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने के इच्छुक हैं, लेकिन यह भी कहते हैं कि ट्रम्प के दैनिक कार्यों द्वारा उत्पन्न अनिश्चितता उन्हें पुराने मोर्चों को फिर से खोलने और पुराने संबंधों को पुनः खोजने के लिए मजबूर कर रही है।

तीसरा कारण यह है कि भारत व्यापार के मोर्चे पर निरंतर तनाव की स्थिति से चिंतित है, जहाँ अमेरिका टैरिफ प्रतिबंधो को कम करने के लिये भारत पर जोर लगा रहा है।

चौथा चिंता का कारण यह भी है कि, एच-1 बी वीजा के  आवेदनों पर निरंतर प्रतिबंध, जो की बढ़कर अब पति–पत्नी तक हो गया है

सोची में मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश सचिव विजय गोखले के साथ जायेंगे। दोवल 10 मई को मास्को में थे, जहाँ उन्होंने अपने समकक्ष निकोलाई पत्रुशेव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। कहा जाता है कि फोन के माध्यम से पुतिन द्वारा मोदी के लिए रूस आने का निमंत्रण और एक अनौपचारिक शिखर सम्मेलन का सुझाव दोवल की यात्रा के दौरान दिया गया था।

चूंकि पुतिन गर्मियों में अपने सोची रिज़ॉर्ट चले जाते हैं – जिसे बोचरोव क्रीक -2 कहा जाता है, दाचा में ताजा और समुद्री पानी के साथ दो पूल हैं, समुद्र के पास एक जिम है साथ ही साथ राष्ट्रपति की नाव के लिए घाट और एक हेलीपैड भी है, इसके अलावा अन्य अपेक्षित आवास भी हैं जहाँ रूसी राष्ट्रपति अपने सभी मेहमानों से मुलाकात करते हैं।

शुक्रवार को मेर्केल सोची में थीं और उन्होंने पुतिन के साथ ईरान परमाणु समझौते के बारे में बात की, ट्रम्प जिसे तोड़ने की धमकी दे रहे हैं और बर्लिन के साथ मॉस्को की मित्रता दांव पर है।

बशर अल-असद एक दिन पहले वहीं थे। अमेरिकी बमबारी के दौरान सीरियाई नेता का समर्थन करने वाले पुतिन ने उनसे कहा कि विदेशी शक्तियां जल्द ही चली जाएँगी और उन्हें एक संघर्ष-विरोधी क्षेत्र की ओर बढ़ना पड़ेगा।

बुल्गारिया के रुमेन रादेव, जो मोदी का अनुसरण करते हैं, 1877-78 के रूसो-तुर्की युद्ध में मिली बुल्गारिया की आजादी की 140 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पुतिन से मुलाकात कर रहे हैं।

ट्रम्प प्रशासन अमेरिका के प्रतिद्वंद्वियों का विरोध करते हुए जनवरी में लागू हुए प्रतिबंध अधिनियम (सीएएटीएसए) के माध्यम से रूस को सीरिया और यूक्रेन में उसके सैन्य आक्रमण के लिए दंडित करना चाहता है। तीसरे देश जो सैन्य और खुफिया क्षेत्रों में रूस के साथ “महत्वपूर्ण लेनदेन” करते हैं उन्हें भी मंजूरी दे दी जाएगी।

इसके विपरीत अप्रैल के अंत में अमेरिकी रक्षा सचिव जेम्स मैटिस ने रक्षा बजट पर अमेरिकी राज्यसभा (सीनेट) में सशस्त्र सेवा समिति की टिप्पणी पर अमेरिकी राज्य विभाग द्वारा जोर लगाने के बावजूद भी भारत, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों के लिए “लचीले छूट प्राधिकरण” की मांग की थी।

मैटिस को अहसास हुआ कि सीएएटीएसए प्रतिबंध भारत को रूस पर और आश्रित कर सकता है और दिल्ली के हथियार खरीदने वाले विविधता अभियान को कमजोर कर सकता है। “दुनिया में ऐसे राष्ट्र हैं जो प्राचीन रूस से मंगाए गए हथियारों से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं … यह पता लगाने के लिए हम केवल भारत, वियतनाम और कुछ अन्य देशों की तरफ देखते हैं, परिणामस्वरूप हम खुद को “कमजोर बनाने” जा रहे हैं।

वैसे (संयोगवश) प्रधान मंत्री मोदी मई के अंत में इंडोनेशिया की यात्रा कर रहे हैं।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) द्वारा मार्च की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका भारत के दूसरे सबसे बड़े हथियारों के आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है, जो अब इसे इसके हथियारों के आयात का 15 प्रतिशत प्रदान करता है। रूस 62 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ नंबर एक बना हुआ है, लेकिन पिछले पांच सालों में यह 79 प्रतिशत से नीचे खिसक गया है। इजरायल तीन नंबर पर है, जो भारत के आयात का 11 प्रतिशत का लेखा रखता है।

मोदी और पुतिन के साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जून में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और नवंबर में अर्जेंटीना में जी -20 शिखर सम्मेलन के बाद चीन के क़िंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में मिलेंगे।

अधिकारियों का कहना है कि इस दिन सोची की लंबी यात्रा पर कोई समझौते या सौदे दांव पर नहीं हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि सभी द्विपक्षीय मामलों पर चर्चा की जाएगी। जब रूसी राष्ट्रपति अपने वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए अक्टूबर में दिल्ली आएंगे, तो शंशय में चल रहे कुछ सौदों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

Read in English: Disappointed with Trump, India looks to rekindle old friendship with Russia

share & View comments