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Friday, 1 November, 2024
होमराजनीतियदि गुप्त रूप से चल रहा अभियान सफल हुआ तो दिव्या स्पंदना बन सकती हैं युवा कांग्रेस की नयी अध्यक्षा

यदि गुप्त रूप से चल रहा अभियान सफल हुआ तो दिव्या स्पंदना बन सकती हैं युवा कांग्रेस की नयी अध्यक्षा

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‘पोस्ट-ट्रुथ’, ट्रम्प अभियान का एक उपहार, यानि कि एक ऐसी स्थिति जिसमें लोग तथ्यों पर ध्यान न देते हुए जो विश्वास करना चाहते हैं उसके आधार पर तर्क स्वीकार करने की अधिक सम्भावना रखते हैं।

लेकिन पत्रकारों को ‘प्री-ट्रुथ’ के क्षेत्र में रहना चाहिए। स्थानों, घटनाओं, लोगों तक अपनी पहुँच की ख़ूबी द्वारा और उत्सुक आँखों, नाक और कानों द्वारा वे विशेष, रसदार जानकारी प्राप्त करते हैं जो खुला तथ्य बनने से पहले बंद परिपथ में कुतर्क या बकवास भी हो सकती है।

इससे पहले कि ये समाचार चक्र में आये और नेटवर्क में ठूंस दिया जाए, इसका बाहर निकल जाना उचित है।
प्री-ट्रुथ, हमारा नया फ़ीचर आपको राष्ट्रीय राजधानी और राज्यों से, राजनीती और सरकार की दुनिया से अलग तेज, विनोदी और महत्वपूर्ण छोटे लेखों के बड़े सारांशों तक ले जाएगा। तो शुरुआत करने के लिए बुधवार और शुक्रवार को आँखें जमायें रखें।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सरकारी आवासों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक मध्य प्रदेश में भी थरथराहट पैदा करती है।

पूर्व मुख्य मंत्रियों के लिए सरकारी आवासों को जारी रखने की इजाज़त के उत्तर प्रदेश के नियम को ख़ारिज करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश मध्य प्रदेश, जहाँ इस साल के अंत में चुनाव हैं, को भी संभावित रूप से झटका दे सकता है।
वहां पांच पूर्व मुख्यमंत्री (एक मृतक सहित) हैं जिनके पासभोपाल में सरकारी आवास हैं: कैलाश जोशी, उमा भारती, बाबूलाल गौड़, दिग्विजय सिंह और स्वर्गीय सुन्दरलाल पटवा।

जोशी के बेटे दीपक शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री हैं, जबकि भारती केंद्रीय मंत्री हैं। गौड़ एक विधायक हैं जबकि दिग्विजय राज्य के राज्यसभा सदस्य हैं। पटवा के भतीजे सुरेंद्र चौहान कैबिनेट में मंत्री हैं।

जब राजनेताओं के लिए आवास की बात आती है, तो मध्य प्रदेश अपेक्षाकृत अधिक उदार है।राज्य के सभी लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों को भोपाल में सरकारी घर दिए गए हैं, जबकि सुरेश पचौरी और असलम शेर खान जैसे कई पूर्व केंद्रीय मंत्री भी सरकारी आतिथ्य का आनंद लेते हैं।

नव नियुक्त मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के पास एक बड़ा बंगला है जो 9, श्यामला हिल्स, भोपाल में चौहान के निवास के पास स्थित है।

‘कांग्रेस की फुसफुसाहट’ के इस खेल में एक स्पष्ट विजेता हो सकता है।

जनता से दूर, कांग्रेस एक आतंरिक, कानाफूसी के अभियान को देख रही है – भारतीय युवा कांग्रेस के प्रतिष्ठित अध्यक्ष पद के लिए – “वह क्यों नहीं”। हालाँकि “वह” को निर्दिष्ट नहीं किया गया था, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह दिव्या स्पंदना हैं, जो सोशल मीडिया प्रमुख हैं और जिन्हें स्क्रीन पर राम्या के नाम से भी जाना जाता है।

अगर दिव्या को भारतीय युवा कांग्रेस के प्रमुख के रूप में लाया जाता है, तो वह अंबिका सोनी के बाद युवा विंग का नेतृत्व करने वाली दूसरी महिला होंगी। पद छोड़ रहे भारतीय युवा कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा को हाल ही में रायसीना रोड, नई दिल्ली में एक अनौपचारिक विदाई दी गयी थी। राजा ने कहा कि यह एक विषय है राष्ट्र निर्माण में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व पर जोर देता है।

कांग्रेस मंडली में, दिव्या को पार्टी प्रमुख राहुल गाँधी का करीबी माना जाता है। युवा गाँधी ने मंड्या से पूर्व लोकसभा सदस्य को मई 2017 में अपनी सोशल मीडिया इकाई और राष्ट्रीय डिजिटल टीम का नेतृत्व करने एक लिए विशेष रूप से चुना था।

पांच महीने के भीतर, राहुल की छवि को गतिशील राष्ट्रीय नेता के रूप में बदलने के लिए, दिव्या ने अपने ही घर के आलोचकों से गुप्त रूप से प्रशंसा पाई। जिस तरीके से उन्होंने बीजेपी के आईटी प्रभारी अमित मालवीय के खिलाफ अंक अर्जित किये, इससे अधिक शानदार और क्या था।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद नए भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष की औपचारिक घोषणा की उम्मीद है।

2019 से पहले ‘विद्रोही’ बीजेपी सांसद ‘अपने विकल्पों का मूल्यांकन’ कर रहे हैं

दरभंगा के बीजेपी सांसद, पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद, 2019 के आम चुनावों से पहले अपने विकल्पों की खोज कर रहे हैं।

वह पार्टी नेतृत्व के साथ उलझ रहे हैं जबसे उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधते हुए दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में कथित चूक और दलाली को लेकर आरोप लगाये जिसके बाद में यह मामला कई सालों तक प्रकाश में रहा।

बिहार मामलों के नए कांग्रेस प्रभारी, शक्तिसिंह गोहिल को आजाद से सोमवार को दिल्ली में अपने बेटे के विवाह समारोह में भाग लेने का निमंत्रण मिला। गोहिल ने उस समारोह में भाग लिया, लेकिन पार्टी के उच्च नियोग (हाई कमांड) से अनुमति मिलने के बाद।

एक समयावधि में, जावड़ेकर द्वारा शिक्षा नीति को लेकर सुस्त रवैया

मानव संसाधन विकास मंत्री (एचआरडी) प्रकाश जावड़ेकर को नई शिक्षा नीति के बारे में कोई जल्दबाजी नहीं है, उनके तीन साल के काम के बाद, स्मृति ईरानी ने सलाह की प्रक्रिया शुरू की और उसके दो साल बाद पूर्व आईएएस अधिकारी टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी प्रलेख (ड्राफ्ट) रिपोर्ट प्रस्तुत की।

अंतरिक्ष वैज्ञानिक कस्तुरिरंगन की अगुवाई में पिछले साल जून में जावड़ेकर ने छह महीने की समयसीमा के साथ एक नया दल बनाने का फैसला किया।

पिछले महीने, जावड़ेकर ने इसको लेकर तीन महीने तक समय सीमा बढ़ा दी, मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि समिति ने उस प्रलेख (ड्राफ्ट) रिपोर्ट की समीक्षा के लिए केवल एक माह का समय दिया गया था।

यह देखते हुए प्रधान मंत्री कार्यालय ने नई शिक्षा नीति के विमोचन में हो रही देरी को लेके मंत्रालय को अनुस्मारक (रिमाइन्डर) भेजा, जावड़ेकर के तीन महीने के अतिरिक्त समय की मांग ने मंत्रालय के अधिकारियों को परेशान कर दिया है।

इस विवादास्पद मंत्री के लिए यह मुसीबतों का वर्ष रहा

केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े विवादों से घिरे रहने वाले और दुर्घटनाओं से ग्रस्त है। यह हाल ही में उनके साथ होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या से लगता है जिनमे वो पूरी तरह से मौजूद है। इस साल जनवरी में, जब वह बेंगलुरु हवाई अड्डे पर जा रहे थे, तो उनका अनुरक्षी वाहन उनकी कार के आगे आकर धीमा हो गया जिसके बाद उनकी कार उस अनुरक्षी कार के साथ-साथ एक और निजी वाहन से टकरा गई, दुर्घटना में तीन लोगों को मामूली चोटें आईं। इस साल अप्रैल में, एक तेज ट्रक ने कर्नाटक के हावेरी जिले में उनके काफिले में चल रहे वाहनो को टक्कर मार दी।

हेगड़े, जिन्होंने यह दावा किया कि यह उनको मारने का एक प्रयास था। उन्होंने कहा कि उनकी कार तेज थी इसलिए ट्रक की टक्कर उनकी गाड़ी को न लगकर उनके काफिले में चल रही एक गाड़ी को लगी।

7 मई को, हेगड़े उत्तरा कन्नड़ जिले के कुमाता तालुक में यात्रा कर रहे थे, जब उनकी कार धीमी गति में थी उसी समय उनकी कार उन्हीं के काफिले में चल रहे एक वाहन से टकरा गई लकिन कोई घायल नहीं हुआ।

जल्द आ रहा है: मुख्य न्यायाधीश मिश्रा और न्यायाधीश चेलमेश्वर एक ही न्यायपीठ में

सम्मेलनों से रवानगी तेजी से न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर का प्रधान गुण बनता जा रहा है। वह अब पहले ऐसे न्यायाधीश भी हैं, जिन्होंने स्वयं के ही विदाई समारोह के आमंत्रण को ठुकरा दिया था। लेकिन न्यायाधीश के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें लगता है कि वह मुख्य न्यायाधीश को पारंपरिक भाषण, कि न्यायाधीश चेलमेश्वर कितने अच्छे न्यायमूर्ति रहे हैं (विशेष रूप से पिछले कुछ महीनों में!),देने की उलझनों से बचाते हुए उनका पक्ष ले सकते हैं।

हालांकि हो सकता है कि वह 18 मई को मुख्य न्यायाधीश के साथ एक बैठक में शामिल न हो पाए हों, लेकिन अभी एक और सभागम होना बाकी है जिससे वह बच कर निकल नही सकते। प्रत्येक न्यायाधीश अपने पहले और अंतिम दिन में मुख्य न्यायाधीश के साथ न्यायालय में बैठता है।

चेलमेश्वर के साथ मिश्रा की उपस्थिति एक अदालती कार्यक्रम है जिसका सब इंतजार कर रहे हैं।

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