प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आदेशित दलित आउटरिच कार्यक्रम के दौरान पार्टी नेताओं को कई बार शर्मिंदा होना पड़ा। लेकिन अब भाजपा के ही दलित नेता इसकी आलोचना कर रहे हैं।
नई दिल्लीः भाजपा द्वारा संचालित दलित आउटरिच कार्यक्रम, ग्राम स्वराज अभियान, चुनाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले समुदाय का दिल जीतने के बजाय सत्तारूढ़ पार्टी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी का कारण बन रहा है। इसके लिए पार्टी स्वयं को दोषी ठहराती है।
6 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा के सभी मंत्रियों और सांसदों से उन सभी गाँवों और बस्तियों में समय बिताने के लिए कहा था जिनमें दलितों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है। 10 अप्रैल को प्रारंभ हुआ ’ग्राम स्वराज कार्यक्रम’ 5 मई तक चलेगा।
कई आज्ञाकारी नेताओं ने प्रधानमंत्री की इच्छा को पूरा करने के लिए दलितों के घर पहुचकर बाहर से भोजन और मिनिरल वाटर की माँग करने इस पूरे कार्यक्रम का मजाक उड़ाया। इस अभियान के समापन में बचे केवल दो दिन पहले ही यह सब केवल ढोंग साबित हो रहा है, भाजपा में मौजूद कुछ दलित नेताओं सहित अन्य दलित नेताओं के द्वारा प्रधानमंत्री की इस पहल की भरपूर आलोचना की गई।
उत्तर पश्चिम दिल्ली में भाजपा सांसद और एक वरिष्ठ दलित नेता उदित राज ने दिप्रिंट को बताया कि, “यह अभ्यास दलितों को अपमानित करने जैसा है।” “पहले तो भोजन करने के लिए दलितों के घर जाते हैं और फिर घर के बाहर ही भोजन और मिनिरल वाटर की व्यवस्था करवाते हैं। मेरे हिसाब से यह दलितों का दोहरा अपमान है”
“पहले राहुल गाँधी ने भी ऐसी ही राजनीति करने की कोशिश की थी और बुरी तरह विफल रहे थे। अब हम इसे अपना रहे हैं। यह पार्टी को और अधिक नुकसान पहुँचा रहा है।“
गरीबी पर्यटन
जनवरी 2009 में राहुल गाँधी और उस समय के ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड मिलिबैंड ने अमेठी के एक दलित के घर में रात बिताई थी। उस समय भाजपा द्वारा राहुल गाँधी की आलोचना करते हुए राहुल को गरीबी पर्यटन में संलग्न बताया था।
हालांकि भाजपा ने अपने दलित वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इसी विचार को अपनाया था। 2014 के आम चुनाव और 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ी संख्या में दलित वोट प्राप्त किये थे।
लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के उपचुनावों में दलितों द्वारा भाजपा को नजरअंदाज कर दिया गया, जिसके कारण इसको हार का सामना करना पड़ा। कई भाजपा शासित प्रदेशों में दलितों पर किए गए अत्याचारों ने पार्टी को काफी नुकसान पहुँचाया है।
20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दलितों पर हो रहे अत्याचार के निवारण के लिए बनाए गए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम ने भी भाजपा को करारा झटका दिया था।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर की है और यदि कोर्ट अपने प्रारंभिक आदेश को बरकरार रखती है तो इसमें एक संशोधन करवाने का संकल्प भी लिया है। लेकिन उन्होंने 2 अप्रैल को राष्ट्रव्यापी पड़ताल पर गए दलितों को आश्वस्त नहीं किया है, इसी हड़ताल से देश भर में 12 लोगों की मौत हो गई थी।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के पाँच दलित सांसदों ने मोदी सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते हुए कहा था कि भाजपा ने दलित के लिए बहुत कम काम किया है।
शर्मिंदगीपूर्ण दशा
दलित वोट बैंक को खोने के डर से भाजपा ने 5 अप्रैल को एक अभियान का आरंभ किया था, इस अभियान को प्रारंभ करने के समय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बोलांगिर (उड़ीसा) में एक दलित घर में दोपहर का भोजन किया था। जिस समय अमित शाह घर के अंदर भोजन कर रहे थे उसी समय ग्रामीण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम पर सरकार के रवैये का कड़ा विरोध कर रहे थे।
30 अप्रैल को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा रात में अलीगढ़ में एक दलित घर गए तथा घर के बाहर से ही भोजन और मिनिरल वाटर का आर्डर दिया, फिर मंत्री ने दलित परिवार के साथ ही रात का भोजन किया था।
घर के मालिक रजनीश कुमार का कहना है कि, “मुझे मंत्री की यात्रा के बारे में पहले से नहीं पता था। सब कुछ पहले से नियोजित था, बाहर से भोजन लाकर घर में रख दिया गया था और मुझे घर में बैठने के लिए बोला गया था।“
लेकिन राणा ने आपने ऊपर लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए पत्रकारों को बताया कि, “पूरा गाँव दलितों का ही है और मुझे उनसे बहुत प्यार मिला।“ “भोजन गाँव में ही तैयार किया गया था, कुछ लोग बेकार में ही मुद्दे बना रहे हैं क्योंकि यह मुख्यमंत्री योगी जी और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए विकास कार्यों को देख नहीं सकते हैं।“
1 मई को उत्तर प्रदेश के एक और मंत्री राजेन्द्र प्रताप ने झाँसी में एक दलित के घर में भोजन करने के बाद स्वयं की तुलना श्रीराम से करते हुए एक विवादास्पद बयान दिया। अपनी यात्रा के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि, “राम और सबरी का संवाद रामायण में है। आज जब ज्ञान जी की माँ ने मुझे रोटी परोसी तो उन्होंने कहा ’उद्धार हो गया’
“मैं एक क्षत्रिय हूँ और धर्म की रक्षा करना मेरे रक्त में है, इन्हें लगता है कि इन्हें यह अनमोल चीज मिल गई जिसे यह खरीद नहीं सकते।“
दूसरी ओर, वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने राजेंद्र प्रताप के बयान का खंडन करते हुए कहा कि – “मैं स्वयं को भगवान राम के जैसा नहीं मानती हूँ कि मैं किसी दलित के घर में भोजन करके उसका उद्धार कर सकती हूँ। इसके बजाय में दलितों को अपने घर पर आमंत्रित करके व्यक्तिगत रूप से उनकी सेवा करना अधिक पसंद करती हूँ।“ भारती ने (मध्य प्रदेश) छत्रपुर के एक गाँव गढ़मौ में आयोजित सामाजिक सम्राट भोज में अपना यह बयान दिया जबकि भोज में भाग लेने से इंकार कर दिया।
“जब दलित हमारे घर आते हैं और एक साथ भोजन करते हैं तब हम शुद्ध होते हैं।“
अत्यधिक आलोचना
दलित कार्यकर्ताओं जैसे डॉ. भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर द्वारा भाजपा की इस करतूत की आलोचना की है।
उन्होंने कहा, “भाजपा एक बेहूदा पार्टी है। 1940 और 1950 से ही दलितों के साथ भोजन का मुद्दा समाप्त हो गया था। इन दिखावटी कार्यो में शामिल होने के बजाय भाजपा को दलितों द्वारा सामना किए जा रहे वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।“
यह पूछे जाने पर कि भाजपा और कांग्रेस दलितों के साथ भोजन की राजनीति क्यों करती हैं जबकि बसपा या राष्ट्रीय जनता दल ऐसा नहीं करती हैं, तो इस पर भाजपा सांसद उदित राज ने कहा कि, “बसपा और राष्ट्रीय जनता दल ऐसा क्यों करेंगे? ऐसा केवल वही करते हैं जो दलितों को निम्नऔर अधीन मानते हैं।“