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Sunday, 28 April, 2024
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डिजिटल इंडिया की धज्जियां उड़ाने के लिए कांग्रेस की पोस्टकार्ड चाल

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मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के युग में भी कांग्रेस ने युवा पीढ़ी के समर्थन में पोस्टकार्ड के माध्यम चुने जाने के सवाल पर पार्टी ने कहा कि यह कार्य “राज्य में इंटरनेट और मोबाइल की “खराब सेवाओं” की समस्या को उजागर करने के लिए था।

नई दिल्लीः पुराने अच्छे दिनों से संचार का एक बेहतरीन तरीका (पोस्टकार्ड), इंटरनेट की पीढ़ी का समर्थन करके और प्रधानमंत्री मोदी के दो असफल प्रयासों – विकास (डेवलेपमेंट) और डिजिटल भारत पर बीजेपी को लक्षित करके, कांग्रेस के हथियार के रूप में उभरकर सामने आया है।

मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा 2014 में “सबका साथ सबका विकास” (हर किसी से समर्थन, हर किसी के लिए विकास) के वादे पर सत्ता में आई थी। दूसरी तरफ, डिजिटल इंडिया एनडीए सरकार की एक प्रमुख पहल है जो “भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलने” की माँग करती है।

दिप्रिंट के कुमार अंशुमन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस हफ्ते कांग्रेस के छात्र संघ, एनएसयूआई के सदस्य, भाजपा की अगुवाई वाले छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रशंसकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए, पोस्टकार्ड को एक हथियार के रूप में प्रयोग करेंगे। राज्य में, इस वर्ष केअंत में चुनाव होने हैं।

कांग्रेस, देश में 2019 में होने वाले चुनाव में अपने प्रवेश को लेकर देश भर में अनुमानित 15 करोड़ जनता को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।

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इस अभियान के तहत एनएसयूआई के नेता राज्य के अलग-अलग जिलों में जाकर नई पीढ़ी से पूछेंगे कि”क्या आपने अपने जिले में ‘विकास’ देखा है?”यदि उत्तरादाता अपना जबाव नकारात्मक तरीके से देंगे, तो सदस्य युवाओं को मुख्यमंत्री वीएम रमन सिंह को एक पोस्टकार्ड भेजने के लिए प्रोत्साहित करेंगे – जिसमें लिखा होगा “विकास कहाँ है?”

यह पूछे जाने पर कि मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के युग में भी कांग्रेस ने, युवा पीढ़ी के समर्थन में पोस्टकार्ड का माध्यम क्यों चुना, एआईसीसी की संयुक्त सचिव और एनएसयूआई प्रभारी रुचि गुप्ता ने कहा कि यह कार्य “राज्य में इंटरनेट और मोबाइल की खराब सेवाओं” की समस्या को उजागर करने के लिए था।

प्रत्यक्षतः, स्पष्टीकरण कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी के 2013 अभियान की भी अवहेलना करता है, जब उन्होंने राज्य में मतदाताओं तक पहुचने के लिए सोशल मीडिया, स्मार्टफोन, व्हाट्सएप और वाइस कॉल का सहारा लिया था।

हालांकि, इंडिया सोशल किताब के लेखक और आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया रणनीतिकार अंकित लालने कहा कि इस योजना से समाज की कुछ भलाई हो सकती है। “पोस्टकार्डों ने, एक उपकरण के रूप में, राजनीति को काफी प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि “वे राजनीतिक दुनिया के लिए नए नहीं हैं।”

“यहां तक कि 2017 में, महिलाओं की सुरक्षा को लेकर,आम आदमी पार्टी की महिला समूह ने भी पीएम मोदी को 10,000 पोस्टकार्ड लिखे थे। यह प्रचलन थोड़ा पुराना हो सकता है, लेकिन कभी-कभी, यह काफी प्रभावी साबित हो जाता है।”

दिलचस्प बात यह है कि यह अभियान देश में, हाई-स्पीड इंटरनेट, पोस्टकार्ड और अंतर्देशीय पत्रों को आगे बढ़ाना जारी रखता है।

अब देखा जाना बाकी है कि क्या छत्तीसगढ़ के मतदाता अपने राजनेताओं को पोस्टकार्ड लिखते हैं या अपने अधिक विश्वव्यापी साथियों के साथ बराबर आने के लिए इस विधि और प्रचलन को पीछे छोंड़ देते हैं।

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